माओवादी की बेटी ने पास की दसवीं की परीक्षा, डॉक्यूमेंट के अभाव में छूटी थी पढ़ाई, पढ़-लिखकर बनना चाहती है डॉक्टर

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Jitendra Shrivastava
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माओवादी की बेटी ने पास की दसवीं की परीक्षा, डॉक्यूमेंट के अभाव में छूटी थी पढ़ाई, पढ़-लिखकर बनना चाहती है डॉक्टर

नितिन मिश्रा, Narayanpur. छत्तीसगढ़ में बुधवार (10 मई) को बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट जारी कर दिए हैं। जिसमें कई विद्यार्थी सफल हुए हैं और कइयों को असफलता का सामना करना पड़ा। कई कहानियां भी सुनने को मिली, लेकिन यह कहानी नक्सली बेटी की है, नक्सलियों के गढ़ अबूझमाड़ की नक्सली मां-बाप की बेटी ने दसवीं की परीक्षा 18 साल की उम्र में पास की है। लड़की ने 54.5 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। कभी दस्तावेजों के अभाव में लड़की की पढ़ाई छूट गई थी। लड़की पढ़-लिखकर डॉक्टर बनना चाहती है। लड़की के नक्सली माता-पिता के ऊपर लाखों के इनाम हैं। 



नक्सली हैं परिजन



जानकारी के अनुसार अबूझमाड़ की लड़की के परिजन इनामी नक्सली हैं। अबूझमाड़ इलाका नक्सलियों का कोर एरिया माना जाता है। लड़की के परिजन सोनवा राम सलाम और आरती दोनों के ऊपर लाखों रुपए के इनाम है। अपने माता-पिता के नक्सली होने की जानकारी बेटी को है। लड़की के पिता के साथ काम कर चुके सरेंडर नक्सली ने बताया है कि सोनवा राम सलाम आकाबेड़ा और कुतुल के एरिया कमांडर है। वह एसएलआर हथियार से लैस होकर चलता है।सोनवा के ऊपर 8 लाख रुपए का इनाम घोषित है। पत्नी आरती भी 2006 से नक्सली संगठन से जुड़कर काम कर रही है। उसके ऊपर भी 4 लाख रुपए का इनाम है। दोनों की मौजूदगी कुरुषनार, बसिंग, कुकड़ाझोर और आकाबेड़ा थाना और कैंप में हमला करने में रही है। 



डॉक्टर बनना चाहती है, दस्तावेज नहीं होने पर छूटी थी पढ़ाई



इनामी नक्सली की बेटी को उसके परिजनों के नक्सली होने की जानकारी है लेकिन इन सब से दूर हटकर वह डॉक्टर बनकर सेवा देना चाहती है। बेटी का जन्म 2005 में हुआ था, शुरुआत पढ़ाई कुतुल गांव से हुई, आगे की पढ़ाई के लिए नारायणपुर गई। शहर के रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ में छठवीं से आठवीं तक की पढ़ाई हुई। भले ही लड़की सेकेंड डिवीजन से पास हुई है, लेकिन उसकी इक्छा शक्ति डॉक्टर बनने की ओर केंद्रित है। लड़की के पास जाति प्रमाण पत्र और स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र नहीं होने की वजह से उसने पढ़ाई छोड़कर अपने गांव आ गई। वह मूलतः एनमेटा की रहने वाली है। 



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10वीं की परीक्षा में 54.5 प्रतिशत अंक प्राप्त किए



परिजनों के नक्सली होने के कारण कोई भी दस्तावेज नहीं बन सके थे। कुछ समय बाद आगे भी पढ़ने की इच्छा के साथ पढ़ाई करने के लिए लड़की अपनी चचेरी बहन के घर चली गई, जहां से उसने 10वीं की परीक्षा दी और 54.5 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। लड़की अपने परिजनों के बारे में कोई भी बात करने में सहज महसूस नहीं करती है। लड़की का एक छोटा भाई भी है जो 9 वीं कक्षा में पढ़ता है। 



जिला प्रशासन करेगा लड़की की मदद 



जिला कलेक्टर अजीत वसंत के अनुसार नक्सली परिजनों की बेटी की बोर्ड परीक्षा में पास होने की जानकारी मिली है। लड़की मी हर संभव मदद की जाएगी।लड़की को विशेष रूप से संरक्षित जनजातियों को दी जाने वाली शिक्षा से संबंधित सभी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जायेगा।

स्थानीय अधिकारियों को लड़की का खास ख्याल रखने को निर्देशित किया गया है। आगे की पढ़ाई के लिए भी लड़की को मदद दी जाएगी।


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