रेनू तिवारी, KORIYA. अब योजनाओं की बात हो रही है तो छत्तीसगढ़ में भी साल 2018 में सरकार ने एक योजना शुरू की थी हमर जंगल हमर जीविका। इस योजना का मकसद था आदिवासी और किसानों को स्वरोजगार से जोड़ना। करीब एक दर्जन विभाग योजना से जुड़े थे और 9 करोड़ से ज्यादा का फंड इसमें इस्तेमाल किया गया। योजना का पायलट प्रोजेक्ट कोरिया जिले से शुरू किया गया था और ये योजना ठंडे बस्ते में चली गई। देखिए रायपुर से रेणु तिवारी की ये रिपोर्ट...
धूल खाते सोलर पैनल, बंद पड़ा ट्यूबवेल
कोरिया जिले का मुरमा गांव है जहां से पांच साल पहले हमर जंगल हमर जीविका योजना की शुरूआत हुई थी। योजना का मकसद था कि आदिवासियों को स्वरोजगार दिलवाना। इसके लिए 75 हेक्टेयर जमीन पर 9 करोड़ की लागत से मुर्गी शैड निर्माण, सोलरपंप, स्टॉप डैम और फलदार पेड़ लगाना था। ये सब लगा दिए, लेकिन ग्रामीणों को योजना का कोई लाभ ही नहीं मिला
योजना के बुरे हाल है
दरअसल जब योजना का प्रेजेंटेशन दिया गया था तो बताया गया था कि इससे आदिवासियों का जीवन स्तर बदल जाएगा। कोरिया जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष रेणुका सिंह का कहना है कि योजना के बुरे हाल है। सरकार को जांच के लिए भी कहा था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
9 करोड़ रुपए बर्बाद हो गए
जब द सूत्र ने बात की जिला पंचायत सीईओ आशुतोष चतुर्वेदी से और पूछा कि योजना बेहाल क्यों है तो रटा रटाया जवाब मिला कि जांच करवाएंगे।
ये कोरिया जिला जहां से योजना शुरू हुई थी वहां ऐसे हाल है तो बाकी जिलों के क्या हाल होंगे ये समझना मुश्किल नहीं।