केंद्र के राज्यों को निर्देश: नाइट कर्फ्यू, वॉर रूम बनाएं; हेल्थ एक्सपर्ट बोले- तीसरी लहर तय

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केंद्र के राज्यों को निर्देश: नाइट कर्फ्यू, वॉर रूम बनाएं; हेल्थ एक्सपर्ट बोले- तीसरी लहर तय

ओमिक्रॉन के वैरिएंट (omicron varriant) को लेकर केंद्र ने राज्यों को अलर्ट रहने के लिए कहा है। केंद्र ने कहा कि कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा से तीन गुना ज्यादा संक्रामक है, लिहाजा राज्य जल्द ही फैसला लेते हुए नाइट कर्फ्यू और कंटेनमेंट जोन (Night curfew and containment zone) बनाने जैसे जरूरी उपायों के लिए अलर्ट रहें। वहीं, देश में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच हेल्थ एक्सपर्ट्स (Health experts) का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर (Corona third Wave alert) का आना तय है। इसे रोका नहीं जा सकता। लेकिन इसको लेकर घबराने की जरूरत नहीं है।

देश में अब तक 220 ओमिक्रॉन केस

भारत में 21 दिसंबर रात तक ओमिक्रॉन वैरिएंट के 220 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें महाराष्ट्र (65), दिल्ली (54), तेलंगाना (24), कर्नाटक (19), राजस्थान (18), केरल (15), गुजरात (14), जम्मू (3), यूपी (2), ओडिशा (2), आंध्र प्रदेश (1), चंडीगढ़ (1), तमिलनाडु (1) और बंगाल (1) में ओमिक्रॉन के मामले मिले हैं।

डेल्टा से 3 गुना खतरनाक ओमिक्रॉन

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों को वैज्ञानिक रिपोर्ट्स के आधार पर बताया है कि ओमिक्रॉन कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से तीन गुना ज्यादा संक्रामक है। केंद्र सरकार ने कहा, भारत के कई इलाकों में अभी भी डेल्टा वैरिएंट के केस सामने आ रहे हैं। ऐसे में स्थानीय और जिला स्तर पर राज्य सरकारों को दूरदर्शिता, डेटा एनालिसिस के साथ सख्त और त्वरित फैसला लेने की जरूरत है।

केंद्र के राज्यों को निर्देश

  • राजेश भूषण ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि टेस्टिंग और निगरानी बढ़ाने के अलावा रात में कर्फ्यू लगाने, बड़ी सभाओं पर रोक लगाने, शादियों और अंतिम संस्कारों में लोगों की संख्या को सीमित करने जैसे कदम उठाए जाएं।

  • केंद्र सचिव ने अपने पत्र में जिला स्तर पर कंटेनमेंट जोन बनाने, कंटेनमेंट जोन की सीमा तय करने, केसों की लगातार समीक्षा करने, अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने जैसे जरूरी कदमों को उठाने की सलाह दी है। केंद्र ने पत्र में कहा है कि इस तरह की रणनीति से राज्य के बाकी हिस्सों में संक्रमण फैलने से पहले ही स्थानीय स्तर पर काबू में हो जाएगा।
  • वॉर रूम, इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर्स को एक्टिव करें। केस ट्रेंड्स का एनालिसिस करें. भले ही केस कम हों, जिला और स्थानीय स्तर पर सक्रिय कार्रवाई करते रहें। फील्ड अधिकारियों के साथ नियमित समीक्षा करें। इन कदमों से निश्चित तौर पर संक्रमण को कम करने में मदद मिलेगी।
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