लोन बाकी होने से बीमार पिता को खटिया सहित किया था बेघर,सदमे में गई जान

मंदसौर के भील्याखेड़ी में लोन की किस्तें जमा करने पर पुजारी को बेघर करने के मामले में अब एक और नया मोड़ आ गया है। पुजारी के जिस बीमार पिता को खटिया सहित घर से बाहर निकाला था, उन्होंने सदमे के चलते दम तोड़ दिया है। क्राइम

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Jitendra Shrivastava
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पुजारी को बेघर करने से पिता की सदमें में गई जान।

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MANDSAUR. मेंटोर फायनेंस कंपनी जयपुर के कर्मचारियों ने लोन की किस्तें नहीं चुकाने पर बेघर करने से एक पिता की सदमे में जान चली गई। 1 फरवरी को नाहरगढ़ के ग्राम भील्याखेड़ी गांव में राममंदिर के पुजारी गोविंददास बैरागी के घर का सामान बाहर निकाल दिया था इसी दौरान पुजारी के 100 वर्षीय बीमार पिता रूपदास को खटिया सहित उठाकर बाहर पटक दिया था। तभी से पुजारी खेत पर झोपड़ी बनाकर कच्चे मकान में रह रहा था। वहीं पूजारी के पिता रूपदास इस घटना से सदमे में थे। रविवार को उनकी मृत्यु हो गई।

मंदसौर में फाइनेंस कंपनी की अमानवीयता; 100 साल के बीमार को खटिया सहित बाहर पटका, सामान सड़क पर रख घर में लगाया ताला

बेघर करने का ये था मामला

नाहरगढ़ थाना क्षेत्र के भील्याखेड़ी में रहने वाले राम मंदिर के पुजारी गोविंद दास का कहना है कि हमें 10 दिन हो गए बेघर हुए। फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों ने क्रूर व्यवहार करते हुए मेरे पिता को पंलग समेत बाहर पटक दिया था। वे कह रहे थे कि लोन नहीं दिया तो कहीं भी रहो, हमें मतलब नहीं। मजबूरी में परिवार के साथ खेत पर बनी झोपड़ी में रहने को मजबूर हूं। पिताजी ने कभी ऐसा देखा नहीं था। वे टेंशन में गुजर गए। मैंने 3 लाख का लोन लिया, वे 12 लाख मांग रहे हैं। उनके रिकवरी एजेंट किश्त के पैसे लेकर गए, हमें रसीद नहीं दी। गोविंद के भाई धनश्याम का कहना है कि घर से बेघर होने पर भाई पिता और अपने परिवार को लेकर कुंए स्थित तबेले में रहने आए थे।

किसान नेता ने लगाया आरोप

100 वर्षीय बुजुर्ग की मौत के बाद किसान नेता श्यामलाल जोकचंद ने आरोप लगाया कि एक ओर भाजपा विकसित भारत संकल्प यात्रा निकाल रही है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा के क्षेत्र में निजी फायनेंस कंपनी के कर्मचारियों की प्रताड़ना से राम मंदिर के पुजारी के पिता की सदमे में जान चली गई है। शासन-प्रशासन के कानों पर जू तक नहीं रेंग रही है। मानवता के नाते ही डिप्टी सीएम देवड़ा अपनी विधानसभा के पूजारी की मदद के लिए आगे नहीं आए। ये निष्ठुर शासन-प्रशासन अंग्रेजों की हुकूमत याद दिला रहा है। पुजारी को परिवार सहित घर से बेदखल कर घर का ताला लगाकर अपमानित करने वाले बैंक व पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई होना चाहिए। पुजारी को पुनः उसका घर दिया जाकर न्याय दिया जाए।

लॉ बेघर सदमा