indore. पुलिस को लगा था हम पुलिस हैं, जो चाहें कर सकते हैं, लेकिन दूसरी पुलिस ने उन्हें बताया कि हम भी जो चाहें कर सकते हैं। मामला दो युवकों के अपहरण की चर्चा से शुरू हुआ और इंदौर और राजस्थान पुलिस की भिड़ंत से होता हुआ अंततः धोखाधड़ी के पैसे लौटाने पर खत्म हुआ ।
छोड़ने, पकड़ने और पैसा लौटाने का ये त्रिकोणीय संघर्ष दरअसल राजस्थान पुलिस द्वारा इंदौर पुलिस को बताए बगैर दो युवकों को पकड़कर ले जाने से शुरू हुआ। वहां की पुलिस इंदौर पहुंची और हरिओम पिता रमेश मलगावे (27 साल) तथा दिनेश नामक युवक को कार में बैठाकर ले गई। कार से चार लोग आए थे। हरिओम का दोस्त भरत गुर्जर सीधा हीरानगर थाने पहुंचाऔर अपहरण की सारी कहानी बताई। अपहरण का सुन पुलिस भी मुस्तैद हो गई। पड़ताल में पता चला कि दोनों को चार लोग रॉयल बंग्लो, हनुमान मंदिर के पास बुलवाकर कार से ले गए हैं।
भाभी से कहा खाते में पांच लाख डालो तो शक और बढ़ा
उधर, गायब हरिओम ने फोन पर अपनी भाभी पूजा से कहा कि ये लोग पांच लाख रुपए खाते में डालने का कह रहे हैं। खाता नंबर भी दिया जिसमें पहले 50 हजार फिर 2.40 लाख रुपए डाले गए। हरिओम के परिजन भी घबराकर थाने पहुंचे और अपहरण और फिरौती की कहानी बताई। थाना प्रभारी दिनेश पटेल ने हरिओम को फोन लगाया तो वो बंद मिला। उन्हें मामला संदिग्ध लग रहा था क्योंकि हरिओम ऑनलाइन ट्रेडिंग का काम करता था।
पुलिस पर अपहरण और फिरौती का केस, दो सौ किमी से वापस लौटी
लगातार कोशिश करने के बाद आखिर पुलिस का हरिओम से संपर्क हुआ तो पता चला जो लोग हरिओम को ले जा रहे हैं वो दरअसल राजस्थान पुलिस है। वे इंदौर पुलिस को बताए बगैर दोनों युवकों को ले जा रहे थे। उनका कहना था कि हरिओम के खिलाफ चुरू (राजस्थान ) में धोखाधड़ी का केस दर्ज है। उसी सिलसिले पकड़कर ले जा रहे थे। इधर, इंदौर पुलिस ने इसे राजस्थान पुलिस का कानूनी दुस्साहस माना और उन्हें बताया कि हरिओम के परिजन आप पर अपहरण और फिरौती का केस दर्ज करवाने थाने आए हैं। आप इन्हें वापस लेकर आएं। तब तक राजस्थान पुलिस जावरा (करीब 200 किमी) पहुंच चुकी थी।
ऐसे हुआ मामले का पटाक्षेप
राजस्थान पुलिस ने अपनी चूक मानी और जावरा से रात दो बजे दोनों के लेकर वापस इंदौर आई। हरिओम ने भी धोखाधड़ी का बात कबूली और फरियादी के खाते में राशि वापस डाली । उसके बाद राजस्थान पुलिस ने यहीं सारी कार्रवाई कर दोनों को छोड़ा।