NEW DELHI. प्रयागराज के रहने वाले एक युवा इंजीनियर की हाल ही में जॉब गई थी। नई जॉब के लिए वो लगातार अलग-अलग पोर्टल पर अप्लाई कर रहा था। जॉब की तलाश खत्म नहीं हो रही थी और इसी बीच एक दिन उसे वाट्सएप पर मैसेज आता है। मैसेज में एक जॉब प्रपोजल का था। इसमें कहा जाता है कि Concentrix नाम की एक कंपनी में वैकेंसी है और इसके लिए उसका बायोडाटा शॉर्टलिस्ट किया गया है। इसके बाद सिर्फ दो दिन के अंदर उसके साथ 3.5 लाख की ठगी हो गई। इसी तरह यूपी के और शख्स के साथ 40 लाख रुपए की ठगी हो गई। उसके पास इतने पैसे थे भी नहीं, लेकिन दोस्तों से कर्ज लेकर उसने खुद स्कैमर्स को पैसे ट्रांसफर कर दिए, लेकिन क्यों और कैसे? आइए जानते हैं...
लगभग 50 हजार से 50 लाख रुपए तक गंवाए
ये कहानी सिर्फ़ UP के रहने वाले दो युवकों की नहीं है, बल्कि देश भर के अलग अलग राज्यों के 100 और लोगों की है जिनसे मैंने बातचीत की है। ये सभी Work From Home स्कैम के शिकार हुए हैं। 100 लोगों में से सभी ने लगभग 50 हजार से लेकर 50 लाख तक गंवा दिए हैं। इनमें से अब कुछ कर्ज में डूब चुके हैं और कुछ का कहना है कि वो अब सड़क पर आ चुके हैं, क्योंकि उनकी जिंदगी भर की कमाई खत्म हो चुकी है।
इस स्कैम के शिकार हुए कई लोगों ने हमारे साथ अपने बैंक डिटेल्स भी शेयर किए हैं। एक युवक ने बताया कि वो स्कैमर्स को अब तक 40 लाख रुपए दे चुका है।
40 लाख की ठगी के बाद किया FIR
इन लोगों में से हर तबके के लोग हैं। कुछ जॉबलेस हैं, कुछ लोग जॉब करते हैं, कुछ छोटे बिजनेस करते हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर लोग पढ़े लिखे हैं। हालांकि, मोस्टली इसके शिकार ऐसे लोग हो रहे हैं जिनकी नौकरी चली गई है या वो जॉब ढूंढ रहे हैं। लगभग 100 लोगों में से कई ने पुलिस में शिकायत की है, लेकिन उनके मुताबिक पुलिस की तरफ से उन्हें कोई पुख्ता साल्यूशन नहीं मिला है। इन सभी का कहना है कि पुलिस कह रही है कि अभी जांच होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। स्कैमर्स सबसे पहले विक्टिम को मैसेज करते हैं कि वर्क फ्रॉम होम करके आप एक्स्ट्रा पैसे कमा सकते हैं। मैसेज देखने में बिल्कुल जॉब ऑफर जैसा ही लगता है। वाट्सएप मैसेज में विक्टिम को बताया जाता है कि ये जॉब वर्क फ्रॉम होम के लिए है। शुरू में कहा गया कि ब्लॉगर्स की इंस्टाग्राम और यूट्यूब रीच बढ़ाने के लिए हर दिन कुछ अकाउंट्स फॉलो करने होंगे और वीडियोज लाइट करने होंगे। पहले ही दिन स्कैमर्स विक्टिम के अकाउंट में 1000 से 10000 रुपए तक भेज देते हैं जिससे उनका ट्रस्ट बिल्ड हो जाता है। ये सब करने के लिए स्कैमर्स विक्टिम को शुरुआत में हर दिन 10,000 रुपए तक दे कर अपनी गिरफ्त में लेते हैं, ताकि विक्टिम को लगे कि ये काम असली है।
लोगों को ऐसे झांसा दे रहे हैं स्कैमर्स
अकाउंट लाइक और फॉलो करने के काम को इस तरीके से बताया गया जैसे ये काम कंपनी के ग्रोथ के लिए काफी जरूरी है। बिल्कुल प्रोफेशनल तरीके से मैसेज ड्राफ्ट करके भेजे जाते हैं। हर दिन 20 अकाउंट फॉलो करने और पोस्ट लाइक करने के लिए कहा जाता है। कई बार फर्जी ID Card भी भेजा जाता है ताकि लोग आसानी से झांसे में आ जाएं।
ये मैसेज उधर से भेजा जाता है...
- कंपनी को एक को-इंप्लॉइ की जरूरत है जो हमें अपने कस्टमर के पेजेज को फॉलो करने में मदद करे।
पहले भरोसा जीतते हैं स्कैमर्स
- पार्ट टाइम जॉब बता कर कहा जाता है कि दिन के 20-30 इंस्टा हैंडल और यूट्यूब वीडियो लाइक करने हैं जिसके लिए पैसे मिलेंगे। शाम तक स्कैमर्स उनके बैंक अकाउंट में पैसे डाल देते हैं। पैसे मिलने के बाद लोगों को भरोसा हो जाता है कि ये काम सही है। यहीं से शुरू होता है स्कैमर्स का अगला स्टेप...
दूसरा टास्क...
- अब दूसरे टास्क के तौर पर टेलिग्राम ग्रुप का एडमिन एक लंबा चौड़ा मैसेज सेंड करता है जो देखने में प्रोफेशनल लगता है। यहां ट्रेडिंग के कुछ स्टेप्स लिखे होते हैं और बताया जाता है कि कुछ अमाउंट डालने से उसका कुछ परसेंट इंसेटिव के तौर पर मिलेगा।
ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म जैसा दिखने वाला ऐप...
अब टेलीग्राम ग्रुप का एडमिन कुछ ऑप्शन्स देता है। जैसे- 15000 देने पर 16000 मिलेगा, जबकि 40000 जमा करने पर 48000 रुपए का प्रॉफिट मिलेगा। यहां ऐसा बताया जाता है कि ट्रेडिंग के लिए कुछ सेकंड्स का ही समय मिलेगा। हालांकि, इसका कोई मतलब नहीं होता, सिर्फ वेबसाइट में फर्जी काउंटडाउन टाइमर लगाया गया होता है। यहां स्कैमर्स विक्टिम को इस तरह से मैनिपुलेट करते हैं कि उन्हें लगता है कि ये असलियत में कोई ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म है। जैसे ही एडमिन इस ग्रुप में लोगों से पैसे डालने के लिए कहता है उस ग्रुप के दूसरे लोग पेमेंट की स्क्रीनशॉट उसी ग्रुप में भजते हैं। इसे देखकर विक्टिम को ऐसा लगता है कि जब दूसरे लोग भी पहले से ये काम कर रहे हैं और पैसे कमा रहे हैं तो ये काम सही है। भरोसा करके वो भी पैसे उनके बताए हुए अकाउंट में सेंड करके स्क्रीनशॉट यहां सेंड करता रहता है, लेकिन फ्रॉड हो जाने के बाद विक्टिम को ये पता चलता है कि उस ग्रुप के दूसरे लोग दरअसल उसी स्कैमर्स के ही लोग होते हैं और वो भी इस फ्रॉड में शामिल होते हैं। ग्रुप के दूसरे स्कैमर्स जल्दी जल्दी पेमेंट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हैं जिसे देख कर विक्टिम को लगता है कि ये काम सही है और वो भी उनके बताए हुए अकाउंट नंबर पर पैसे भेजता है।
इस पूरे फ्रॉड को क्रिप्टो ट्रेडिंग की तरह डिजाइन किया गया है
धीरे-धीरे टास्क आगे बढ़ता है और अमाउंट भी बढ़ता जाता है यानी ये शख्स ज्यादा पैसा देने लगता है, क्योंकि उस ग्रुप के दूसरे लोग भी ऐसा कर रहे होते हैं। जो भी पैसे विक्टिम्स स्कैमर्स के अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं उतना ही अमाउंट उनके वर्चुअल वॉलेट में दिखने लगता है। ये वही ट्रेडिंग का फर्जी प्लेटफॉर्म है जिसे स्कैमर्स ने तैयार किया है। वर्चुअल वॉलेट में अमाउंट देख कर विक्टिम्स को लगता है कि उनका पैसा सेफ है और बढ़ रहा है। धीरे-धीरे हर दिन अमाउंट बढ़ा कर विक्टिम्स सेंड करते हैं, क्योंकि इनसे कहा जाता है कि जितना ज्यादा पैसा डालेंगे ट्रेडिंग के जरिए अमाउंट उतना बढ़ेगा। धीरे-धीरे विक्टिम्स हजार से लाख रुपए तक भेज देते हैं।
अब शुरू होता है डर का खेल
कुछ ऐसे विक्टिम्स हैं जिन्होंने 40 लाख रुपए तक डाल दिए, लेकिन जब विक्टिम उन पैसों को अपने बैंक अकाउंट में सेंड करने को कहते हैं, तब स्कैमर्स उन्हें कहते हैं कि अभी और टास्क कंपलीट करना है तो ही पैसे बैंक अकाउंट में मिलेंगे। जिन विक्टिम्स के अपने पैसे खत्म हो जाते हैं वो अपने दोस्तों रिश्तेदारों से कर्ज ले लेते हैं। क्योंकि उन्हें कहा जाता है कि और पैसे नहीं डाले तो उनका पैसा फ्रीज हो जाएगा। चूंकि विक्टिम्स ने अब तक लाखों रुपए डाल दिए हैं, इसलिए वो स्कैमर्स की बात मानते चले जाते हैं, ये सोचकर की अगर उनकी बात ना मानी तो पैसे बैंक अकाउंट में नहीं आएंगे।
पुलिस-साइबर सेल में शिकायत के बाद भी कोई सल्यूशन नहीं मिला
अब इन लोगों ने साइबर सेल में शिकायत की है, लेकिन अब तक इनमें से किसी को पैसे वापस नहीं मिले हैं। इनका कहना है कि पुलिस कह रही है कि अभी जांच कर रहे हैं। हालांकि इन विक्टिम्स के मुताबिक पुसिल ने FIR नहीं लिखी, ब्लिंक इन्हें कहा गया कि ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएं। अब ये सभी विक्टिम्स परेशान हैं, क्योंकि इनमें से ज्यादातर कर्ज में डूब चुके हैं। इनमें से कुछ ने बताया कि उनके पिता मजदूरी करते हैं, जबकि कुछ लोग अच्छी कंपनियों में जॉब भी करते हैं।
टेलीग्राम पर बेचे जा रहे बैंक अकाउंट्स
टेलीग्राम स्कैमर्स का अड्डा बनता जा रहा है। वाट्सएप ग्रुप में अगर किसी को ऐड किया जाता है तो उसे सभी मेंबर्स के फोन नंबर दिखते हैं, लेकिन Telegram में प्राइवेसी की वजह से उस ग्रुप के किसी मेंबर का फोन नंबर नहीं दिखता। यहां तक की 1-1 टेलीग्राम चैट्स भी बिना नंबर दिखाए ही की जा सकती हैं। स्कैमर्स इसका फायदा उठाते हैं और नंबर ना दिखने की वजह से उन्हें ट्रेस कर पाना पुलिस के लिए भी मुश्किल होता है। टेलीग्राम में पर्सनल और ग्रुप चैट्स से दोनों तरफ के मैसेज डिलीट करने का भी फीचर होता है। सेंडर और रिसीवर दोनों का ही मैसेज कोई डिलीट कर सकता है। स्कैमर्स डिलीट मैसेज का फायदा उठा कर ट्रेस होने से बच जाते हैं। हालांकि, बैंक अकाउंट से पुलिस स्कैमर्स को ट्रेस कर सकती है, क्योंकि किसी बैंक में बिना किसी वैलिड आईडी के अकाउंट नहीं खोला जा सकता है।
इस तरह के फ्रॉड से कई सवाल खड़े होते हैं
सरकार और पुलिस को इस तरह स्कैम को गंभीरता से लेने की जरूरत है। क्योंकि ये कोई आम स्कैम नहीं है, यहां स्कैमर्स बड़ी-बड़ी कंपनियों के पूर्व कर्मचारी हैं और वो इस तरह से स्कैम डिजाइन कर रहे हैं कि कोई भी इसके झांसे में आ सकता है। टेलीग्राम ग्रुप पर ट्रेस भले ना मिले, लेकिन बैंक अकाउंट को फ्रीज किया जा सकता है। जिन बैंक अकाउंट पर लोगों ने केस दर्ज किए हैं उन्हें ट्रेस करके साइबर क्रिमिनल्स को पकड़ना चाहिए।
कौन चला रहा है ये स्कैम?
इसी साल जनवरी में पुलिस ने वर्क फ्राम होम स्कैमर्स को अरेस्ट किया था। तीन लोग कस्टडी में लिए गए और जांच में पता चला कि इस स्कैम में पेटीएम का एक पूर्व डिप्टी मैनेजर भी शामिल था जो स्कैमर्स को फिनांशियल फ्रॉड्स में मदद कर रहा था। पुलिस ने बताया था कि इस स्कैम का मुख्य आरोपी जॉर्जिया बेस्ड है। हालांकि, ये नेक्सस भारत के चंडीगढ़, मुंबई, हरियाणा, दिल्ली और पंजाब से चलाया जा रहा है। ये स्कैम काफी सॉफेस्टिकेटेड है और इसमें शामिल ज्यादातर लोग काफी एजुकेटेड हैं। मुमकिन है इन्हें कोडिंग से लेकर सोशल इंजीनियरिंग पर काफी कमांड है। इसी वजह से ये पूरा स्कैम ऐसा डिजाइन कर रहे हैैं कि कोई भी इनके झांसे में आसानी से आ जाए।