देश में समानता को लेकर एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। पूरे भारत में एससी एसटी वर्ग के 100 महामंडलेश्वर ( mahamandleshwar from st sc ) बनाए जाने की तैयारी है। जूना अखाड़े के रविंद्र पुरी महाराज ने यह जानकारी दी। दरअसल महाराष्ट्र में इन दिनों 4 एसटी एससी वर्ग के महामंडलेश्वर ( st sc mahamandleshwar in maharashtra ) बनाने की तैयारी है। इससे पहले गुजरात में भी एसटी एससी वर्ग से 4 महामंडलेश्वर बनाए गए थे। 19 अप्रैल को इनका पट्टाभिषेक हुआ था।
जाति व्यवस्था से ऊपर उठकर कदम उठाया गया
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने एसटी एससी वर्ग से महामंडलेश्वर बनाए जाने को एक बड़ा कदम बताया। यह 1300 साल बाद हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था को बदले की ओर एक कदम है। उन्होंने कहा कि यह तबका वर्षों से पिछड़ा है। इसे समाज की मुख्यधारा से जोड़ना जरूरी है। इसलिए बाधाओं को दूर कर इस दिशा में काम कर रहे हैं। महाराज ने बताया कि संतों के अनुसार पुरानी सोच को बदलने की जरूरत है। इससे सामाजिक संतुलन समरसता का माहौल बनेगा।
महामंडलेश्वर एक उपाधि है। इसका उपयोग शंकराचार्य द्वारा स्थापित दशनामी संप्रदाय के कुछ हिंदू भिक्षुओं द्वारा किया जाता है। महामंडलेश्वर शब्द का अर्थ है "महान और असंख्य मठों का श्रेष्ठ" या "किसी धार्मिक जिले या प्रांत का श्रेष्ठ।" इस पद को शंकराचार्य के बाद का स्थान मिलता है।
महामंडलेश्वर ज्ञान और शिक्षा के आधार पर बनाए जाते हैं। इसके लिए वेदांत की शिक्षा आवश्यक होती है। वेदांत न होने पर व्यक्ति का कथावाचक होना जरूरी होता है। इसके अलावा उसके यहां मठ होना आवश्यक है जहां जनकल्याण के लिए सुविधाओं का अवलोकन होता हो। महामंडलेश्वर बनने के लिए संत की दीक्षा और सन्यास लेना होता है। यह सारी प्रक्रिया होने के बाद पट्टाभिषेक होता है। इसमें अखाड़े में दूध, घी, दही, शहद और शक्कर से बने पंचामृत से अभिषेक होता है।