UJJAIN: महामंडलेश्वर पद और अखाड़े से मंदाकिनी निष्कासित, निष्कासन के बाद पीड़ितों ने मीडिया को सुनाई आपबीती

महामंडलेश्वर बनने के बाद मंदाकिनी पुरी ने महामंडलेश्वर को भी ठगने में कोई कसर नहीं छोड़ी। श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा से मंदाकिनी के निष्कासित होने के बाद अब पीड़ि​त सामने आ रहे हैं। दो महामंडलेश्वर और एक कथावाचक ने मीडिया को आपबीती सुनाई है...

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Sandeep Kumar
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BHOPAL. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी से महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी (Mandakini PURI ) आत्महत्या की कोशिश नाकाम होने के बाद उन पर कई तरह से सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि उज्जैन के ही श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा से मंदाकिनी को पद और अखाड़े से निष्कासित कर दिया है। दो महामंडलेश्वर ( Mahamandaleshwar ) और एक कथावाचक ने मीडिया को आपबीती सुनाई है। निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर सुमनानंद महाराज का कहना है कि मंदाकिनी पुरी ने मौनतीर्थ पीठ आकर कहा कि आप महामंडलेश्वर हैं। आपको शेर की खाल पर बैठना चाहिए। उन्होंने पूछा शेर की खाल कहां मिलेगी। जबाव मिला मैं आपके लिए हरिद्वार से मंगवा दूंगी। आप 5 लाख रुपए दे दो। महाराज ने रुपए देने से इनकार कर दिया था।

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जो गलत आचरण करेगा भुगतेगा सजा-महामंडलेश्वर

 पंचायती निरंजनी अखाड़ा बड़नगर रोड पर मीडिया से चर्चा में उन्होंने साफ कह दिया कि जो भी गलत आचरण करेगा, वह सजा भुगतने के लिए तैयार रहे। उज्जैन के एक संत सूरेश्वरानंद महाराज को महामंडलेश्वर बनाने का झांसा देकर मंदाकिनी पुरी ने उनसे 7.50 लाख रुपये नगद ऐंठ लिए। मांगने पर जब रुपये वापस नहीं दिए तो पीड़ित संत द्वारा उज्जैन के चिमनगंज मंडी थाना में एफआईआर दर्ज करवाई गई। यह मामला संज्ञान में आने के साथ ही इस तरह की ठगी के शिकार हुए और भी कई पीड़ित अखाड़े पहुंचे और अपनी आप बीती सुनाई। आरोपों कि गंभीरता देखते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष व श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी महाराज एवं सचिव महंत रामरतन गिरी महाराज ने मंदाकिनी पुरी को महामंडलेश्वर पद एवं अखाड़े से तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया। साथ ही कहा कि जो भी शिकायत है, हमारे पास आएगी उसकी जांच कराई जाकर आगामी कार्रवाई करेंगे। 

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पुरी ने की थी आत्महत्या की कोशिश


महामंडलेश्वर मंदाकिनी पुरी ने आत्महत्या (Suicide) करने की कोशिश की है। बीते दिनों महामंडलेश्वर मंदाकिनी माता पर साढ़े सात लाख रुपए लेकर महामंडलेश्वर की पदवी दिलाने के आरोप लगे थे। जिसके बाद उन्होंने कीटनाशक पीक कर खुदकुशी करने का प्रयास कर चुकी है।

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मंदाकिनी पुरी ने कई लोगों से की धोखाधड़ी

याद रहे कि महामंडलेश्वर बनाने के नाम पर साथ ही शासकीय स्तर पर कई पदों का प्रलोभन दिलाने को नाम पर मंदाकिनी पुरी ने कई लोगों से धोखाधड़ी को अंजाम दिया है। गत दिनों अखाड़ा परिसर में किए गए यज्ञ के नाम पर भी मंदाकिनी पुरी से जुड़े कई लोगों द्वारा अवैध चंदा वसूल की गई है। इस पर भी अब अखाड़े द्वारा वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। यह जानकारी श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्रीमंत रामरतन गिरी महाराज ने दी।

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स्थानीय संत मंडल ने भी किया निष्कासित

अखाड़ा द्वारा की गई कार्रवाई के बाद उज्जैन के स्थानीय संत मंडल द्वारा भी तुरंत प्रभाव से मंदाकिनी पुरी को निष्कासित कर दिया गया। जानकारी स्थानीय संत मंडल के अध्यक्ष श्री महंत रामेश्वर गिरी महाराज जूना अखाड़ा ने दी और कहा कि आगामी किसी भी धार्मिक कार्यक्रम, कथा भंडारे आदि में मंदाकिनी को आमंत्रित नहीं किया जाएगा।

वर्षा नागर से क्या बोलीं मंदाकिनी पुरी ?

यही नहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बोलकर राज्यपाल बनवाने का प्रलोभन भी दिया। अन्नपूर्णा गिरिजी से कहा गौसंवर्धन बोर्ड की अध्यक्ष बनवा दूंगी। हाल ही में महामंडलेश्वर बनी अन्नपूर्णा गिरिजी उर्फ वर्षा नागर से मंदाकिनी पुरी ने कहा कि गोसंवर्धन बोर्ड की अध्यक्ष बनवा दूंगी। आप तो 35 लाख का इंतजाम करवा दो। वहां से भी मंदाकिनी को कोई राशि नहीं मिली।

महामंडलेश्वर के लिए 15 लाख रुपए लगेंगे-मंदाकिनी

मंदाकिनी पुरीजी ने कथावाचक भगवान बापू को भी नहीं बक्शा। निरंजनी अखाड़ा परिसर में कथा करने आए बापू से कहा कि आपको महामंडलेश्वर पद मिल जाएगा। इसके लिए 15 लाख रुपए लगेंगे। बापू का कहना है कि उन्होंने एक लाख रुपए दे दिए हैं। उसके बाद बाकी की राशि की मांग कर रही थी।

अखाड़ा परिषद को भी रखा अंधेरे में

महामंडलेश्वर का पद पाने के लिए मंदाकिनी पुरी ने अखाड़ा परिषद को भी अंधेरे में रखा। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने खुद को जमीदार, होटल व्यवसायी बताया। कहा कि मेरे होटल से हर महीने 50 हजार रुपए किराया आता है। यही नहीं उन्होंने खुद को समाजसेवी भी कहा।

जानिए महामंडलेश्वर बनने की शर्तें

1. साधु संन्यास परंपरा से हो।

2. वेद का अध्ययन, चरित्र, व्यवहार व ज्ञान अच्छा हो।

3. अखाड़ा कमेटी निजी जीवन की पड़ताल से संतुष्ट हो।

4. व्यक्ति में वैराग्य होना चाहिए। संन्यास होना चाहिए। न घर-परिवार और न ही पारिवारिक संबंध होने चाहिए। आयु का कोई बंधन नहीं। संस्कृत, वेद-पुराणों का ज्ञान ज़रूरी। कथा कहें, प्रवचन दें कोई व्यक्ति या तो बचपन में अथवा जीवन के चौथे चरण यानी वानप्रस्थाश्रम में महामंडलेश्वर बन सकता है। अखाड़ों में परीक्षा ली जाती है।

दायित्व

सनातन धर्म का प्रचार देश के कोने कोने में करना, अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाना, भटके लोगों को मानवता की सही राह दिखाना।

पद के फायदे

शिष्य बनते हैं, लोगों से जुड़ाव, समाज में उठना-बैठना, घूमना-फिरना, कोई आर्थिक लाभ नहीं, सिंहस्थ के शाही स्नान में महामंडलेश्वर रथ पर सवार हो निकलते हैं। वीआईपी व्यवस्था, सुरक्षा के प्रबंध, नेताओं, अधिकारियों का जमघट रहता है।