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हर साल भारत में मई के अंत से जून की शुरुआत तक करीब 9 दिन की अत्यंत गर्मी का दौर शुरू होता है। इसे वैदिक ज्योतिष में ‘नौ ताप’ कहा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस भीषण गर्मी में सूर्य की आंतरिक गतिविधियां भी जिम्मेदार हैं।
सूर्य की स्तर पर उत्पन्न हो रहे कोरॉन्ल होल और सौर हवाओं की तेज रफ्तार पृथ्वी के वायु-मंडल पर प्रभाव डालती हैं, जिससे मौसम में असामान्यता और तापमान में वृद्धि होती है। अनुमान है कि, 2025 में भी इस अवधि में तेज और असामान्य गर्मी देखी जा सकती है।
इसके पीछे सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश और चंद्रमा की नौ नक्षत्रों में गति जैसी ज्योतिषीय स्थितियां मुख्य भूमिका निभाती हैं। ‘नौ ताप’ 25 मई से शुरू होकर 2 जून तक रहेगी। ऐसे में आइए समझते हैं इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण....
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सूर्य की आंतरिक गतिविधियां
सूर्य की सतह पर होने वाली सक्रियताएं जैसे कि 'कोरोनल होल्स' (Coronal Holes) और 'सोलर फ्लेयर्स' (Solar Flares) पृथ्वी के वातावरण को प्रभावित करती हैं।
कोरोनल होल से निकलने वाली तेज सौर हवाएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश करती हैं, जिससे वायुमंडल (Atmosphere) में बदलाव आता है।
2018 में हुए ऐसे ही कुछ सोलर फ्लेयर्स के कारण उत्तरी गोलार्ध में तापमान में असामान्य वृद्धि देखी गई थी। ये गतिविधियां बादलों के निर्माण, वर्षा और तापमान पर इनडायरेक्ट प्रभाव डालती हैं।
आयनोस्फीयर में बदलाव
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सौर हवाओं के प्रभाव से पृथ्वी की आयनोस्फीयर में इलेक्ट्रॉनिक और चुंबकीय बदलाव आते हैं। ये बदलाव वायुमंडल के निचले हिस्से, ट्रोपोस्फीयर में दबाव और बादलों के गठन को प्रभावित करते हैं।
‘मांसुरोव प्रभाव’ (Mansurov Effect) के मुताबिक, आयनोस्फीयर और पृथ्वी के बीच इलेक्ट्रिक पोटेंशियल में बदलाव के कारण बादलों की संरचना और वर्षा की प्रकृति बदलती है, जिससे मौसम में तेजी से बदलाव हो सकता है।
ज्योतिषीय ग्रह स्थिति
वैदिक ज्योतिष के मुताबिक, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है और मंगल और केतु अमृत नाड़ी (nectar pulse) में संयोजन करते हैं, तो वायुमंडल में नमी कम हो जाती है। इससे बारिश की संभावना घटती है और गर्मी बढ़ती है।
रोहिणी नक्षत्र में सूर्य का होना पृथ्वी के नजदीक आने का संकेत है, जो तापमान बढ़ाने में सहायक होता है। नौ ताप के 9 दिन इसी कारण भीषण गर्मी का दौर लाते हैं।
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जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
वैज्ञानिकों की मानें तो वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि हो रही है। ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते स्तर के चलते गर्मी की अवधि लंबी और तीव्र हो रही है। इससे नौ ताप जैसी प्राकृतिक घटनाओं का प्रभाव भी अधिक गहरा होता है और गर्मी का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है।
2025 का मौसम पूर्वानुमान
मौसम विभाग की मानें तो 2025 में भी मई के अंत से जून के पहले सप्ताह तक नौ ताप के कारण तेज गर्मी रहेगी। जून के दूसरे सप्ताह से ग्रहों की स्थिति में बदलाव आएगा, जिससे वायुमंडल में नमी बढ़ेगी और मानसून की शुरुआत होगी।
मध्य और दक्षिण भारत में बारिश के कारण गर्मी में राहत मिलेगी, जबकि उत्तर भारत में गर्मी और नमी दोनों बनी रह सकती हैं।
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सावधानियां और सुझाव
- गर्मी से बचाव के लिए अधिक से अधिक पानी पिएं और शरीर को हाइड्रेट रखें।
- बाहर अत्यधिक धूप में जाने से बचें।
- धूप में कम से कम समय बिताएं और हल्के कपड़े पहनें।
- हल्का और सूखा भोजन करें।
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सौर गतिविधियों से बचाने के उपाय करें।
- ऊर्जा बचाने के लिए घर में ठंडी जगह पर रहें।
- मौसम की जानकारी नियमित रूप से देखें और सुरक्षा के उपाय अपनाएं।
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