NEW DELHI. आदित्य L-1 पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक निकल गया है। आदित्य L-1 9 लाख 2 हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर चुका है। IRSO ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है। आदित्य L-1 लगातार लैग्रेंज पॉइंट की ओर लगातार बढ़ रहा है।
ISRO ने किया ट्वीट
इसरो ने आदित्य L-1 मिशन की जानकारी देते हुए ट्वीट किया है। ISRO ने लिखा कि अब ये यान सन-अर्थ लैग्रेंज पॉइंट-1 (L-1) की ओर अपना रास्ता तलाश रहा है। ये लगातार दूसरी बार है, जब इसरो किसी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर भेज सका। पहली बार ऐसा मंगल ऑर्बिटर मिशन के दौरान किया गया था। आदित्य L-1 को 2 सितंबर को लॉन्च किया गया था।
क्या है लैंग्रेज पॉइंट-1 ?
चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद इसरो ने सूरज के बारे में रिसर्च करने की ठानी। इसे अंजाम देने के लिए आदित्य L-1 मिशन लॉन्च किया गया। लैंग्रेज पॉइंट उसे कहते हैं जहां 2 बड़े ऑब्जेक्ट की ग्रैविटी किसी छोटे ऑबजेक्ट को थामकर रखती है। इस जगह को लैग्रेंज पॉइंट कहा जाता है। सूरज और धरती के बीच 5 लैग्रैंज पॉइंट हैं। लैग्रेंज पॉइंट काफी अहम है क्योंकि यहां से सूर्य पर सीधे नजर रखी जा सकती है।
हैलो ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा आदित्य L-1
आदित्य L-1 धरती और सूरज के L-1 पॉइंट के पास 'हैलो ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। ये पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। आदित्य L-1 का मकसद सूर्य को फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर पर नजर रखना है। आदित्य L-1 महत्वपूर्ण जानकारियां पृथ्वी पर भेजेगा।
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ये होंगे आदित्य L-1 के दोस्त
लैग्रेंज पॉइंट-1 पर आदित्य L-1 अकेला नहीं रहेगा। वहां पर उसे कई दोस्त भी मिलेंगे। 'इंटरनेशनल सन-अर्थ एक्सप्लोरर' (ISEE-3), जेनेसिस मिशन, यूरोपियन स्पेस एजेंसी का लीसा पाथफाइंडर, चाइना का चांग-5 लूनर ऑर्बिटर और नासा का 'ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर रिकवरी (GRAIL) मिशन' भी उसके साथ रहेंगे। नासा का विंड मिशन सूर्य की स्टडी कर रहा है।