NEW DELHI. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि 2025 में भारत के पूरी तरह से स्वदेशी मानवयुक्त मिशन गगनयान के लांच के बाद 2035 तक देश का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। 2040 में भारत की चंद्रमा पर कदम रखने की तैयारी है।
करीब 150 प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं
एअरोनाटिकल सोसाइटी आफ इंडिया (एईएसआई) के 75 वर्ष पूरा होने के मौके पर आयोजित समारोह में जितेंद्र सिंह ने कहा कि एईएसआई, देश में नवाचार केंद्र और सहयोग का मंच और एयरो स्पेस क्षेत्र के लिए प्रेरणा स्रोत रही है। देश ने पिछले 9-10 सालों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी खासतौर पर विमानन और एयरोस्पेस में काफी प्रगति की। 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र की संभावनाओं को खोलने के बाद 2014 में केवल 4-5 की तुलना में वर्तमान में देश में करीब 150 प्रौद्योगिकी (डीप टेक) स्टार्ट-अप कार्य कर रहे हैं।
सरकार वैज्ञानिकों के समर्थन को लेकर दृढ़ है
भविष्य में एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी के लिहाज से भारत और अधिक ऊंचाइयों के लिए तैयार है, क्योंकि सरकार वैज्ञानिकों के प्रति अपने समर्थन को लेकर दृढ़ है। सरकार आगे बढ़ने के लिए जरूरी संसाधन और बुनियादी ढांचा मुहैया करा रही है। हाल ही में शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल से एयरोस्पेस के क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन और नवाचार को प्रोत्साहन मिला है। भारतीय एयरोस्पेस क्षेत्र काफी विकसित हुआ है।
भारत को अग्रणी बनाने मिलकर काम करें
एअरोस्पेस और विमानन पर यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी ज्ञान-साझा करने और सहयोग के प्रति हमारे समर्पण का एक प्रमाण है। उन्होंने अपील की कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता और नवाचार के जरिए भारत को एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में भारत को अग्रणी बनाने के लिए मिलकर कार्य करें।
नौ साल में दोगुनी हुई हवाई अड्डों की संख्या
केंद्रीय मंत्री ने देश में हवाई यात्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि अब संभ्रांत वर्ग की विलासिता नहीं रह गई है। जितेंद्र सिंह ने कहा कि उड़ान जैसी दूरदर्शी योजनाओं के जरिए देश में हवाई अड्डों की संख्या में दोगुनी वृद्धि, किफायती हवाई किराया और हवाई यात्रा को आम आदमी की यात्रा का माध्यम बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है। 2014 में 75 से बढ़कर वर्तमान में यह संख्या 150 से अधिक हो गई है।