मनोज मुंतशिर आत्ममंथन करके लौटे, बोले- 'आदिपुरुष' लिखने में मुझसे हुई बड़ी भूल, लेकिन दूसरा मौका तो मैं भी डिजर्व करता हूं

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Rahul Garhwal
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मनोज मुंतशिर आत्ममंथन करके लौटे, बोले- 'आदिपुरुष' लिखने में मुझसे हुई बड़ी भूल, लेकिन दूसरा मौका तो मैं भी डिजर्व करता हूं

MUMBAI. आदिपुरुष फिल्म रिलीज होने के बाद फिल्म के राइटर मनोज मुंतशिर निशाने पर रहे हैं। मनोज को उनकी राइटिंग के कारण सोशल मीडिया पर नकारात्मक बातों का सामना करना पड़ा। अचानक से हुए विवाद के बाद जब मनोज ने अपनी सफाई भी दी, तो उस वक्त भी उन्हें नहीं बख्शा गया। हालात ऐसे हो गए कि परेशान होकर मनोज न केवल कुछ वक्त के लिए सोशल मीडिया से ब्रेक लिया बल्कि वो देश से दूर कहीं यात्रा पर भी निकल गए। लंबे समय उन्होंने आत्ममंथन किया और भारत लौटे। बुधवार (8 नवंबर) को मनोज ने कहा कि वे तमाम नेगेटिविटी और विवादों से जुड़ी चीजों पर बात करने को तैयार हैं।

आदिपुरुष की कहानी लिखने में 100 प्रतिशत गलती हुई

मनोज ने कहा कि आदिपुरुष कहानी लिखने में उनसे चूक हुई है। 100 प्रतिशत चूक हुई है। इसमें कोई शक है ही नहीं कि मैं इतना इनसिक्योर आदमी नहीं हूं कि मैं अपनी राइटिंग स्किल को डिफेंड करता फिरूं कि मैंने तो अच्छा लिखा है। अरे, 100 प्रतिशत गलती हुई है, लेकिन जब गलती हुई तो उस गलती के पीछे कोई खराब मंशा नहीं थी। मैंने धर्म को ठेस पहुंचानेऔर सनातन को तकलीफ देने का या भगवान राम को कलुषित करने का, हनुमान जी के बारे में कुछ ऐसा कह देने का जो नहीं है.. ऐसा उद्देश्य बिलकुल भी नहीं था। मैं ऐसा करने का कभी सोच भी नहीं सकता। मतलब ये है कि गलती हुई है। बहुत बड़ी गलती हुई है। मैंने इस हादसे से बहुत कुछ सीखा है और बहुत बढ़िया लर्निंग प्रोसेस रहा। आगे से बहुत एहतियात बरतेंगे, मगर ऐसा नहीं है कि अपनी बात करना छोड़ देंगे। बस मुझे एक मौका और चाहिए।

फिल्म में 600 करोड़ लगाए, आखिर कौन चाहेगा कि करियर खत्म कर लें ?

फिल्म के विवाद का निजी जिंदगी पर पड़े असर को लेकर मनोज ने कहा कि आप इंसान हैं, पत्थर तो नहीं.. लाश नहीं.. हर चीज का फर्क पड़ता है। प्यार भी आपको अच्छा लगता है और जब आप पर पत्थर उछाले जाते हैं, तो उनसे भी आपको तकलीफ होती है। आपको इससे डील करना सीखना पड़ता है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह का रिएक्शन रहेगा। फिल्म तो बहुत ही अच्छी नीयत से बनाई गई थी। 600 करोड़ अगर हम इस फिल्म में डाल रहे हैं, तो जाहिर-सी बात है कि सभी चाहते हैं कि बेहतरीन बने। कौन चाहेगा कि इस फिल्म को बनाकर हम अपना करियर खत्म कर लें। जाहिर-सी बात है इसके पीछे हमारा कोई एजेंडा नहीं था। बस चीजें खराब होती चली गईं।

मुझे नहीं देनी चाहिए थी सफाई

मनोज ने एक और गलती का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि जब चीजें इतनी जोर-शोर से चल रही थीं, तो उस वक्त मुझे सफाई नहीं देनी चाहिए थी। ये मेरी सबसे बड़ी भूल थी। अगर इससे लोग नाराज हुए हैं, तो उनकी नाराजगी जायज है, क्योंकि वो वक्त सफाई देने का नहीं था और वो गलती आज मुझे समझ में आती है।

अगर सपोर्ट में लोग नहीं होते, तो यहां खड़ा नहीं होता

मनोज ने कहा कि मुझे हिंदुओं का सपोर्ट मिला था। अगर आप सोशल मीडिया पर ही देख रहे हैं, तो वो दुनिया नहीं है। बहुत सारे लोग सपोर्ट में आए थे। ऐसे भी बहुत से लोग थे, जिन्हें क्षणिक नाराजगी थी, लेकिन वो ये समझ भी रहे थे कि इसके पीछे कोई बुरी मंशा भी नहीं थी। अगर सपोर्ट में लोग नहीं होते, तो आज मैं यहां खड़ा भी नहीं होता।

नकारात्मकता हावी हुई तो देश के बाहर चला गया

सोशल मीडिया से ब्रेक लेने पर मनोज ने कहा कि वो नेगेटिविटी (नकारात्मकता) मुझ पर हावी हो गई। जब सोशल मीडिया पर 8 मिलियन लोग फॉलो करते हैं तो वो 8 मिलियन की बारात आपके साथ है, वो किसी भी दिशा में स्विंग कर सकती है। कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ। उस वक्त डिस्कनेक्ट होने का ही आपके पास विकल्प बचता है। मैं इसी वजह से इन सबसे दूर चला गया था। मैं विदेश में कुछ वक्त के लिए रहा ताकि खुद का आत्ममंथन करूं। अब पहले से बेहतर फील कर रहा हूं।

फिल्म इंडस्ट्री में न मेरा कोई दोस्त है और ना ही दुश्मन

इंडस्ट्री वालों के बारे में ये बात बहुत आम है कि नेगेटिविटी बढ़ते ही दरकिनार कर लेते हैं। इस पर मनोज ने कहा कि मैंने हमेशा से इंडस्ट्री के साथ 'नो दोस्ती-नो दुश्मनी' वाला रिश्ता निभाया है। मैं बस उनसे प्रोजेक्ट और काम की नजर से ही जुड़ता हूं बाकी न इंडस्ट्री में कोई मेरा दोस्त है और न ही दुश्मन... न मैं उनकी पार्टी में जाता हूं या महफिल जमाता हूं। मेरे जो दोस्त हैं, वो इंडस्ट्री से बाहर हैं। ये वो लोग हैं, जिनके साथ मैंने अपना बचपन और कॉलेज के दिन गुजारे हैं। मुझे इसलिए उनके सपोर्ट या न सपोर्ट करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

जान से मार देने की धमकी से डर गया था परिवार

मनोज का दर्द भी छलका। वे बोले कि मैंने जो महसूस किया था, वो तो अलग बात है। मुझे सबसे बड़ा आघात तब लगा, जब मेरा परिवार इस नेगेटिविटी से परेशान हो गया था। रोजाना न्यूज चैनल में मेरे डेथ थ्रेड जैसी खबरें आती थीं, जिसे देखकर परिवार डर जाता था। देखिए आप गलत हैं या सही, लेकिन अपने परिवार के लिए तो स्पेशल होते ही हैं। दुनिया आपको अच्छा माने और कल बुरा माने, लेकिन परिवार के लिए तो आप हीरो होते हो। हो सकता है कि थोड़े दिनों के लिए मैं दुनिया के लिए विलेन बन गया था, लेकिन अपने मां-बाप की आंखों का तारा तो हमेशा था और रहूंगा।

धमकियों ने बहुत परेशान किया

मनोज ने कहा कि तकलीफ होगी ही न कि मेरा बेटा किसी मुसीबत में न पड़ जाए। ज्यादा तकलीफ आपको तब ही होती है, जब आप अपनों की आंखों में तकलीफ देखते हैं। मेरा दुख इतना बड़ा नहीं होता है, लेकिन आपको पता लगता है कि आपके पिता जी लगातार परेशान हो रहे हैं। मैं उन्हें कैसे समझाऊं कि सरकार ने मुझे पूरी प्रोटेक्शन दे रखी है। महाराष्ट्र पुलिस और सरकार का बहुत-बहुत शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने बहुत सपोर्ट किया था। डेथ थ्रेट्स तो अभी भी आ रहे हैं, लेकिन अब मैंने उन पर ध्यान देना बंद कर दिया है।

मैं सेकेंड चांस तो जरूर डिजर्व करता हूं

आपको लगता है कि आज दर्शक धर्म को लेकर सेंसिटिव हुए हैं। एक मेकर के तौर पर आपकी क्रिएटिविटी की फ्रीडम छीन जाती है। मनोज कहते हैं कि इसमें दोनों तरफ से चीजें बदली हैं। हमने भी कोई बहुत सही फिल्म नहीं बनाई थी और मैं ये मानता हूं। इससे पहले मैंने ही बाहुबली भी लिखी थी। मैं तो ये नहीं कह सकता कि यहां मैंने बाहुबली जैसी कहानी लिखी थी। गलती तो हमसे भी हुई है। हमारा निशाना सही नहीं लगा, लेकिन ये समझने वाली बात है कि अगर इधर से गलती हुई है तो इसके सारे चांस आप खत्म मत कर दो। तुम अगर उसे ही मार दोगे, तो तुम्हें दूसरी बाहुबली नहीं मिलेगी, क्योंकि उसी राइटर ने बाहुबली, तेरी मिट्टी और देश मेरे जैसे गाने लिखे हैं। मैं ये बात बहुत गर्व से कहता हूं कि आज आप इस देश में रामनवमीं, दिवाली, दशहरा मेरे गानों के बिना मना ही नहीं सकते हैं।

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'अच्छे कामों के कारण दूसरा चांस तो मिल सकता है मुझे'

मनोज मुंतशिर ने कहा कि जो भी गाने बजते हैं, उसमें टॉप पर मेरे ही गाने होते हैं। जब आप देशभक्ति जाहिर करते हैं, तो मेरा गाना आपकी जेहन में आता ही है तो आप क्या चाहते हो कि मेरे हाथ से कलम छीन ली जाए। सब खत्म कर लिया जाए अगर ये सौदा आपको मंजूर है, तो मैं मानता हूं कि एक राष्ट्र के तौर पर हम सही चुनाव नहीं कर रहे हैं। सेकेंड चांस तो उन लोगों को जरूर मिलना चाहिए, जिन्होंने पास्ट में अपनी काबिलियत प्रूव की है। मैं मानता हूं कि मैंने अपने पास्ट में इतने अच्छे काम किए हैं, तो मैं सेकेंड चांस जरूर डिजर्व करता हूं।

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