नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल को ED से बड़ा झटका, यंग इंडिया की 751 करोड़ की संपत्ति जब्त

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Jitendra Shrivastava
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नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल को ED से बड़ा झटका, यंग इंडिया की 751 करोड़ की संपत्ति जब्त

BHOPAL. नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यंग इंडिया की 751.9 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की है। कांग्रेस से जुड़े यंग इंडिया के खिलाफ ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में की गई है। इस कंपनी में सोनिया-राहुल की 76% हिस्सेदारी है। इसी केस में ED ने 3 अगस्त 2022 को दिल्ली की हेराल्ड बिल्डिंग में स्थित यंग इंडिया कंपनी का ऑफिस सील कर दिया था और नेशनल हेराल्ड के दिल्ली, मुंबई और कोलकाता समेत 16 ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई सोनिया और राहुल से पूछताछ के बाद की गई थी।

661.69 करोड़ रुपए की अवैध संपत्तियों पर यंग इंडिया का कब्जा

जांच एजेंसी ने बयान जारी कर कहा कि सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछताछ की थी और उनके बयान दर्ज किए थे। इसी के आधार पर कार्रवाई की गई। ED ने आगे कहा कि जांच से पता चला कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के पास दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में 661.69 करोड़ रुपए की अवैध संपत्तियों में यंग इंडिया का कब्जा है। इसके अलावा AJL ने इसमें 90.21 करोड़ रुपए की अवैध आय निवेश किया है। इसी प्रॉपर्टी को अटैच किया गया है।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

नेशनल हेराल्ड केस का मामला सबसे पहले बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में उठाया था। अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। केस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को आरोपी बनाया गया था।

चुनावों में हार से ध्यान हटाने की हताशा हैंः सिंघवी

ED के इस एक्शन पर कांग्रेस नेता ने बीजेपी को निशाने पर लिया है। अभिषेक मनु सिंघवी ने X पर लिखा, ईडी द्वारा एजेएल संपत्तियों की कुर्की की खबरें प्रत्येक राज्य में चल रहे चुनावों में निश्चित हार से ध्यान हटाने की उनकी हताशा को दर्शाती हैं। पीएमएलए कार्रवाई केवल किसी विधेय या मुख्य अपराध के परिणामस्वरूप हो सकती है। किसी भी अचल संपत्ति का कोई ट्रांसफर नहीं है। पैसों का कोई आवागमन नहीं हो रहा है। अपराध की कोई आय नहीं है। वास्तव में, ऐसा कोई शिकायतकर्ता नहीं है जो यह दावा करता हो कि उसे धोखा दिया गया है। उन्होंने आगे लिखा, यह चुनाव के बीच में ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी की छल, झूठ और झूठ की पूर्वनिर्मित संरचना है। बीजेपी का कोई भी गठबंधन सहयोगी-सीबीआई, ईडी या आईटी-बीजेपी की निश्चित हार को नहीं रोक सकता।

क्या है मामला?

ईडी ने 26 जून 2014 के आदेश के तहत एक निजी शिकायत का संज्ञान लेने के बाद दिल्ली के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा जारी प्रक्रिया के आधार पर मनी-लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की। इस दौरान अदालत ने माना कि यंग इंडिया सहित सात आरोपियों ने प्रथम दृष्टया IPC की धारा 406 के तहत आपराधिक विश्वासघात, आईपीसी की धारा 403 के तहत संपत्ति और धारा 120बी के तहत आपराधिक साजिश, IPC की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना, बेईमानी से संपत्ति का दुरुपयोग करने के अपराध किए हैं। हालांकि, एआईसीसी ने 90.21 करोड़ रुपए के लोन को एजेएल से गैर-वसूली योग्य माना और इसे बिना किसी स्रोत के एक नई निगमित कंपनी मेसर्स यंग इंडियन को 50 लाख रुपए में बेच दिया।

भोपाल से भी जुड़ा है नेशनल हेरॉल्ड का मामला

कांग्रेस के अखबार नेशनल हेरॉल्ड और उसकी मूल कंपनी एजेएल के विवाद का नाता भोपाल से भी जुड़ा है। यहां एजेएल को 1981 में हिंदी अखबार नवजीवन के प्रकाशन के लिए प्रेस कॉम्पलेक्स में करीब पौने दो एकड़ जमीन लीज पर दी गई थी। इस पर बने कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में विशाल मेगा मार्ट, मंगलम इलेक्ट्रॉनिक्स, लोटस के शो रूम और अन्य निजी संस्थानों के ऑफिस हैं। यह लीज 2011 में बीडीए ने रद्द कर दी थी। इसके बाद एजेएल हाईकोर्ट चली गई थी, लेकिन वह केस हार गई थी।

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