इंटरनेशनल डेस्क. यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास आर्लिंगटन और यूनिवर्सिटी ऑफ कोलाराडो रिवरसाइड के एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाया कि ये चैटजीपीटी पानी की लगभग कितनी खपत करता होगा। मेकिंग एआई लेस थर्स्टी नाम से छपे इस पेपर में दावा किया गया कि इस ओपन एआई का वॉटर फुटप्रिंट काफी विशाल है। केवल ट्रेनिंग के दौरान ही GPT-3 7 लाख लीटर से ज्यादा पानी खर्च कर देता है। ये उतना पानी है, जितने में 70 बीएमडब्ल्यू कारें तैयार हो जाएं। या फिर इतने ही पानी से न्यूक्लियर रिएक्टर को ठंडा किया जा सकता है। इसी तरह हर 20 से 50 सवालों के बीच चैटबोट को 500 एमएल पानी की जरूरत होती है. सुनने में ये भले कम लगे, लेकिन कुछ ही समय के भीतर जैसे अरबों लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, अंदाजा लगाना मुश्किल है कि रोजाना कितना पानी इसपर खर्च हो रहा होगा.
क्यों जरूरत होती है पानी की?
परीक्षा में मुश्किल पेपर सॉल्व करते हुए हम कैसे गटागट पानी पीते हैं या फिर स्टेज पर कोई भाषण देना हो तो पानी की बोतल लेकर चलते हैं। ये इसलिए ताकि हमारा दिमाग ठंडा रहे और ठीक से काम करता रहे। बिल्कुल यही बात आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भी लागू होती है। सवालों के जवाब देने या कोई टास्क निपटाने के दौरान वो गर्म हो जाता है। ऐसे में डेटा सेंटर को ठंडा रखने के लिए पानी का उपयोग होता है। ये कई तरीकों से होता है और डेटा सेंटर के साइज और मौसम के अनुसार बदल भी जाता है, लेकिन इतना तय है कि ये पानी भरे-पूरे स्रोत को खाली करने के लिए काफी है।
जानिए कैसे खर्च होता है पानी
- सर्वर रूम का टेंपरेचर 10 से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है ताकि उपकरण ठीक से काम करता रहे।
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पानी पीने की रेस में गूगल भी शामिल
सर्च इंजन गूगल से लंबे समय से सवाल पूछा जाता रहा कि उसके डेटा सेंटर कितना पानी कंज्यूम करते हैं। साल 2021 में इसका जवाब मिल सका। उसी अकेले साल केवल अमेरिका में गूगल ने 6.3 बिलियन गैलन पानी की खपत की थी। वहीं दुनियाभर में ये खपत एक बिलियन गैलन थी। पांच साल पीछे चलें तो 2017 में ये वॉटर कंजंप्शन सालाना 3 बिलियन गैलन था। ये रिपोर्ट खुद गूगल ने जारी की थी।
गूगल के डेटा सेंटर घनी आबादी के करीब हैं
हर मिनट गूगल से करोड़ों या फिर उससे भी ज्यादा लोग कुछ न कुछ पूछ या समझ रहे होते हैं तो सर्वर पर लोड बढ़ जाता है। तब डेटा सेंटर खुद को ठंडा रखने के लिए पानी का इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर गूगल अपने डेटा सेंटरों को घनी आबादी के करीब रखता है ताकि ऑपरेशनल दिक्कतें कम हों। इस दौरान वो आसपास मौजूद ताजा पानी के ज्यादा स्रोतों का उपयोग करता है। फिलहाल जलसंकट जितना भयावह होकर सामने आया है, उसमें इन सर्च इंजनों का बड़ा हाथ है। हालांकि, इसपर बहुत कम ही लोगों का ध्यान जा रहा है।
कौन से डेटा सेंटर पर कितना पानी लगता है?
अलग-अलग डेटा सेंटर पानी की अलग मात्रा कंज्यूम करते हैं, लेकिन इस पर कोई पक्की जानकारी नहीं मिल सकी कि किस क्षमता के सेंटर पर लगभग कितना पानी खर्च होता है। कुछ स्टडीज मानती है कि एक छोटा 1 मेगावाट के सेंटर पर भी सालाना लगभग 25.5 मिलियन लीटर पानी का खर्च आता है। मौसम के अनुसार ये खपत घटती-बढ़ती है। आमतौर पर डेटा सेंटर सर्दियों के महीनों में कम और गर्मियों में ज्यादा पानी कंज्यूम करते हैं।
गूगल का दावा 25% सेंटरों में रीसाइकिल पानी का उपयोग
इसके लिए कंपनी म्युनिसिपल या फिर लोकल वॉटर यूटिलिटी सेंटर से करार करती है। यहां से उन्हें ताजा पानी मुहैया कराया जाता है। ये पीने लायक या गंदा पानी भी हो सकता है, जिसे रीसाइकिल कर डेटा सेंटर इस्तेमाल करते हैं। गूगल दावा करता है कि वो अपने 25% से ज्यादा सेंटरों में रीसाइकिल किया हुआ पानी ही उपयोग कर रहा है।
ऐसे बांटकर होता है पानी का उपयोग
हाइपरस्केल डेटा सेंटर पानी की सबसे ज्यादा खपत करते हैं। ये काफी बड़े होते हैं। जैसे गूगल अपने प्लेटफॉर्म्स जीमेल, गूगल ड्राइव, गूगल फोटो जैसे फीचर्स के लिए हाइपरस्केल डेटा चलाता है। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करने वाली वेबसाइट डीजीटीएल इंफ्रा की मानें तो साल 2021 में गूगल के औसत डेटा सेंटर ने रोज 4.5 लाख गैलन पानी की खपत की। इनके अलावा छोटे डेटा सेंटर भी हैं, जो पानी खर्च कर रहे हैं।
माइक्रोसॉफ्ट 2030 तक होगा वॉटर पॉजीटिव
माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन के डेटा सेंटर भी खुद को चलाए रखने के लिए पानी की भारी खपत कर रहे हैं। बहुत विवाद के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने साल 2030 तक वॉटर पॉजीटिव होने का लक्ष्य रखा। इसमें वो दावा करता है कि अगले 7 सालों के भीतर उसके सेंटर ज्यादा से ज्यादा वही पानी इस्तेमाल करेंगे जो पीने या सिंचाई के भी लायक नहीं। इसी तरह से अमेजन वेब सर्विस ने दुनिया के कुल 20 डेटा सेंटर को चिन्हित किया है, जहां वो रीसाइकिल किया हुआ पानी इस्तेमाल करने लगा है।