औरंगजेब की कब्र हटाना नहीं आसान, सरकार को करनी होगी ये मशक्कत, क्या कहता है कानून

औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर देशभर में विवाद चल रहा है। हालांकि यह प्रोसेस आसान नहीं है। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार को कई कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ेगा।

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Rohit Sahu
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Aurangzeb Tomb controversy
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महाराष्ट्र में छत्रपति संभाजी पर बनी फिल्म "छावा" के रिलीज होने के बाद से मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर विवाद ( Aurangzeb Tomb Controversy) शुरू हो गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कब्र को हटाने की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन क्या यह इतना आसान है? क्योंकि यह संरचना ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) संरक्षित है और वक्फ की संपत्ति भी है। ऐसे में इसके लिए सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।

क्या हैं कानूनी अड़चनें

औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए महाराष्ट्र सरकार को कई कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ेगा। यह संरचना 1958 से राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित की गई है और Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act (AMASR) के तहत संरक्षित है।

AMASR एक्ट के प्रावधान

AMASR एक्ट के सेक्शन-19 के मुताबिक, किसी भी संरक्षित स्मारक को तोड़ना, हटाना और नुकसान पहुंचाना गैरकानूनी है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है, तो सेक्शन-30 के तहत उसके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें अधिकतम 2 साल की जेल से लेकर 1 लाख के जुर्माने का भी प्रावधान है।

वक्फ की संपत्ति वाला पेंच

औरंगजेब की कब्र साल 1973 से महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्ति (Waqf Property) भी घोषित है। ऐसे में अगर ASI द्वारा कब्र को संरक्षित सूची से हटाया जाता है, तो इसका पूरा कंट्रोल वक्फ बोर्ड के पास आ जाएगा और वक्फ कानून की धारा 51A और 104 A के तहत महाराष्ट्र सरकार कब्र को नहीं नष्ट कर सकती है।

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साबित करना होगा, वक्फ संपत्ति नहीं

औरंगजेब की कब्र (Aurangzeb Tomb) नष्ट करने के लिए कब्र की जमीन का स्वामित्व महाराष्ट्र सरकार के पास होना चाहिए।

इसके दो तरीके हैं,

  • या तो वक्फ कानून की धारा 51 के तहत वक्फ बोर्ड के दो तिहाई सदस्यों की मंजूरी लेकर महाराष्ट्र सरकार को कब्र को अधिग्रहण करना होगा।
  • या फिर वक्फ ट्रिब्यूनल या कोर्ट में याचिका डाल कर साबित करना होगा कि कब्र वक्फ संपत्ति नहीं है और सरकारी संपत्ति है।

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