महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर विवाद उठ चुका है। इस बीच, महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नितेश राणे (Nitesh Narayan Rane) ने एक जनसभा में कब्र हटाने के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की मानसिकता के अनुसार, औरंगजेब की कब्र को हटाना निश्चित है, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर कोई भी जानकारी पत्रकारों को नहीं दी जाएगी।
औरंगजेब की कब्र हटाने का कार्यक्रम
नितेश राणे ने स्पष्ट किया कि औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए सरकार तैयार है और यह काम जरूर होगा। उन्होंने कहा, "हमने शिवाजी महाराज के किलों पर हुए अतिक्रमण को हटाया था, हम पहले काम करते हैं और फिर ब्रेकिंग न्यूज़ देते हैं।" उनका यह बयान दर्शाता है कि यह निर्णय सरकार के प्रमुख के नेतृत्व में लिया गया है और इसे कार्यान्वित करने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
ये खबरें भी पढ़ें...
MP Budget 2025: बजट में जबलपुर के लिए बड़ी घोषणाएं, जानें संभाग के किस जिले को क्या मिला
मध्य प्रदेश में दूध उत्पादन 5.89 फीसदी और मांस-अंडा उत्पादन 9.65 फीसदी बढ़ा
कब्र की सुरक्षा पर राणे का तंज
राणे ने औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा बढ़ाने के संबंध में भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि सुना है कि औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा बढ़ा दी गई है, लेकिन जितनी सुरक्षा बढ़ाई जाएगी उतना ही हमें मजा आएगा। यह टिप्पणी उनकी रणनीतिक योजना को लेकर उनके आत्मविश्वास को दर्शाती है।
पहले काम फिर ब्रेकिंग न्यूज
मंत्री नितेश राणे ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जब हमने शिवाजी महाराज के किलों पर अतिक्रमण हटाया था, तो क्या पत्रकारों को बताया था कि सुबह 5 बजे कैमरा लेकर आना है? नहीं, हमने पहले काम किया और फिर ब्रेकिंग न्यूज दी। उनका यह बयान यह स्पष्ट करता है कि सरकार को इस मुद्दे पर पूरी जानकारी देने का तरीका अलग रहेगा।
ये खबरें भी पढ़ें...
विधायक सचिन यादव का आरोप- रिजल्ट रोककर पिछड़ा वर्ग का हक मार रही सरकार
कन्नड़ एक्ट्रेस रान्या राव ने यूट्यूब से सीखा था सोना छिपाना, तस्करी मामले में गिरफ्तार
पत्रकारों को नहीं देंगे कोई जानकारी
मंत्री राणे ने यह भी कहा कि यह कार्यक्रम निश्चित रूप से होगा, लेकिन वे पत्रकारों को पहले से कोई जानकारी नहीं देंगे। उन्होंने कहा, "जो तय हुआ है, वह होकर रहेगा, और एक दिन औरंगजेब की कब्र हटाने का कार्यक्रम होगा।" राणे के इस बयान ने इस विवाद को और भी उग्र बना दिया है, क्योंकि इसे लेकर अलग-अलग राजनीतिक दलों और सामाजिक समूहों में बहस छिड़ी हुई है।