मध्यप्रदेश में स्कूली शिक्षा की हालत खराब! आठवीं श्रेणी में रहा स्थान, PGI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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Jitendra Shrivastava
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मध्यप्रदेश में स्कूली शिक्षा की हालत खराब! आठवीं श्रेणी में रहा स्थान, PGI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

NEW DELHI. मप्र समेत कई राज्यों में स्कूली शिक्षा की हालत कुछ ठीक नहीं है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में भले ही अधिकतर बच्चों को स्कूलों से जोड़ने और स्कूलों के कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी हद तक दुरुस्त करने में बड़ी सफलता हासिल की है, लेकिन पढ़ने-पढ़ाने और गुणवत्ता के मानकों में अभी भी वह काफी पीछे है। इसका खुलासा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में राज्यों के प्रदर्शन पर आधारित तैयार की परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) से हुआ है।



पीजीआई की टॉप-5 श्रेणी में एक भी राज्य नहीं



पीजीआई की टॉप -5 श्रेणी में एक भी राज्य जगह नहीं बना पाया है। इस बीच पीजीआई की ओवरआल रैंकिंग में सबसे अधिक अंकों के साथ पंजाब और चंडीगढ़ शीर्ष पर रहे हैं, जबकि लर्निंग आउटकम और गुणवत्ता के मानक पर पंजाब और चंडीगढ़ के साथ राजस्थान भी सबसे अधिक अंकों के साथ शीर्ष पर रहा है।



शिक्षा मंत्रालय ने दिया PGI-2.0 नाम



स्कूली शिक्षा में राज्यों के प्रदर्शन के निर्धारण के लिए पहले पांच मानक और आठ श्रेणियां थी, जबकि शिक्षा मंत्रालय ने इस साल इनमें बड़ा बदलाव करते हुए इसके छह मानक और दस श्रेणियां तैयार की हैं, जिसमें शिक्षक शिक्षा जैसे विषय को नए सिरे से जोड़ा गया है, वही इन इंडेक्स में सरकारी कामकाज के आधार पर दिए जाने वाले वेटेज (अंकों) को कम किया गया है। इसके साथ ही मंत्रालय ने इसे PGI-2.0 नाम दिया है।



पीजीआई- 2.0 की वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट : आठवीं श्रेणी में आए मप्र समेत कई राज्य 




  • टॉप-5: ओवरआल रैंकिंग की इस श्रेणियों में कोई भी राज्य नहीं।


  • छठवीं श्रेणी: पंजाब व चंडीगढ़ ने जगह बनाई।

  • सातवीं श्रेणी: गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पुडुचेरी, तमिलनाडु (कुल 6 राज्य) थे। 

  • आठवीं श्रेणी: 13 राज्यों में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा , मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, अंडमान एवं निकोबार, लक्ष्यद्वीप, दमन एवं दादर नगर हवेली शामिल।

  • नौवीं श्रेणी: उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड सहित 12 राज्यों ने जगह बनाई है। 

  • दसवीं श्रेणी: कोई राज्य नहीं। 



  • ग्रेड को छह मानकों के आधार पर तैयार किया



    राज्यों की इस ग्रेड को छह मानकों के आधार पर तैयार किया गया है। इनमें लर्निंग आउटकम एंड क्वॉलिटी, स्कूल तक पहुंच , इंफ्रास्ट्रक्चर और फैसिलिटीज, समानता, गर्वेनेंस मैनेजमेंट और टीचर एजुकेशन एंड ट्रे¨निंग शामिल हैं। इन सभी के 73 अलग-अलग मानकों के आधार पर राज्यों को अंक दिए गए हैं।



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    गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में कौन राज्य कहां?



    पीजीआई- 2.0 के लर्निंग आउटकम और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के मानक में भले ही चंड़ीगढ़, पंजाब व राजस्थान सबसे अधिक अंकों के साथ शीर्ष पर रहे है, लेकिन इनका प्रदर्शन भी दस श्रेणियों में छठवीं श्रेणी में ही जगह बना पाया है। इसकी शीर्ष की पांच श्रेणियों को कोई भी राज्य जगह नहीं बनाया पाया है। ये तीनों राज्य भी 240 अंकों के इस मानक में से 122.3 से 98.4 अंक का ही स्कोर हासिल कर पाए है, जबकि सातवीं श्रेणी यानी प्रचेष्टा- 3 में 98.3 से 74.4 अंकों के साथ जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जगह बना पाए हैं। खासबात यह है कि पीजीआई में इसे जांचने के लिए कुल इंडीकेटर तय किए गए थे। अब इसके आधार पर ही राज्यों को उस क्षेत्र में काम करने के लिए कहा जाएगा।



    यह है दस श्रेणियां



    पीजीआई के तहत जो दस श्रेणियां बनाई गई है, जो अंकों के आधार पर है, उनमें पहली श्रेणी दक्ष ( 941-1000), दूसरी उत्कर्ष ( 881-940), तीसरी- अति उत्तम( 821-880), चौथी- उत्तम( 761-820), पांचवीं- प्रचेष्टा-1( 701-760), छठवीं- प्रचेष्टा-2( 641-700) , सातवीं- प्रचेष्टा-3( 581-640) आठवीं- आकांक्षी-1 (521-580), नौवीं-आकांक्षी- 2 (461-520) और दसवीं आकांक्षी-3( 401-460) है। यह आकलन कुल एक हजार अंकों का है।


    Performance Grading Index of Union Ministry of Education Punjab and Chandigarh on top 13 states including Madhya Pradesh are in the eighth category केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स पंजाब और चंडीगढ़ शीर्ष पर मप्र समेत 13 राज्य आठवीं श्रेणी में