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बिहार में साल 2025 के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है। उसके पहले निर्वाचन आयोग ने यहां की मतदाता सूची को सत्यापित करने का आदेश दिया है। जिसको लेकर अब प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है। इंडिया गठबंधन आज यानी बुधवार को सड़कों में उतरा है और बिहार बंद करने का आह्वान किया है।
प्रदेश भर में हो रहा प्रदर्शन
राजधानी पटना में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और तेजस्वी यादव विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बने हैं। इन्हीं के नेतृत्व विपक्ष ने आयकर चौराहे से लेकर चुनाव आयोग के कार्यालय तक मार्च निकालने की कोशिश की गई। इसी तरह प्रदेश के अन्य जिलों में प्रदर्शन किया जा रहा है। विपक्ष ने मतदाता सूची में संसोधन को चुनाव चोरी करने की कोशिश बताया है। आइए अब इस विषय को विस्तार से समझते हैं...
मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विरोध
दरअसल, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान चला रहा है। जिसके तहत बिहार के मतदाताओं को 24 जून से 25 जुलाई तक आवश्यक दस्तावेज के साथ इसके प्रपत्र को भरना होगा। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के अंतिम मतदाता सूची में उन्हीं मतदाताओं का नाम शामिल किया जाएगा जिसका रिकॉर्ड एसआईआर के तहत प्राप्त होगा।
इन दस्तावेजों की आवश्यकता
मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए मतदाता दो तरीके अपना सकता है पहला कि निवार्चन आयोग कि वेबसाइट में जाकर खुद ही इसे ऑनलाइन भर दे दूसरा बीएलओ के माध्यम से। लेकिन इसके लिए 11 जरूरी दस्तावेजों में से एक का होना बेहद जरूरी है। आइए पहले जानते हैं वो 11 दस्तावेज क्या हैं?
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1 जुलाई 1987 के पहले का सरकारी,स्थानीय प्राधिकार, बैंक, पोस्टऑफिस या एलआईसी का जारी किया आईकार्ड या कोई दस्तावेज
- बिहार का मूल निवासी होने का प्रमाण पत्र
- जाति प्रमाण पत्र
- वन अधिकार प्रमाण पत्र
- सरकार का जारी फैमिली रजिस्टर
- जन्म प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट
- पेंशन भुगतान का आदेश, केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारी होने का पहचान पत्र
- मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय का शैक्षणिक प्रमाण पत्र
- सरकारी भूमि या मकान आवंटन प्रमाणपत्र
- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC)
आधार कार्ड मान्य नहीं
इन्हीं 11 दस्तावेजों में से एक दस्तावेज मतदाता सूची के लिए जरूरी है। लेकिन एसआईआर के लिए आधारकार्ड जरूरी दस्तावेजों में शामिल नहीं है। मूलरूप से इन्हीं दस्तावेजों के कारण विरोध कि स्थिति बनी। ध्यान रहे बिहार का आधा से ज्यादा हिस्सा बाढ़ से ग्रसित रहता है।
मीडिया रिपोर्ट की माने तो बिहार में 15 फीसदी से भी कम लोग मैट्रिक पास हैं। ऐसे में जहां हर जगह आधार कार्ड आवश्यक दस्तावेजों में मान्य होता है वहां बिहार निर्वाचन आयोग का ये आदेश स्थानीय लोगों की समस्या बन रहा है।
बिहार की जमीनी स्थिति
जब हम बिहार के जमीनी स्थिति की बात करते हैं तो यहां हर साल बाढ़ के कारण लोगों को पलायन करना होता है। विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि कई बार समान को लेकर जाने में दस्तावेज छूट जाते हैं।
सरकार की रिपोर्ट की माने तो बिहार में 21 दिन के भीतर जन्मप्रमाण पत्र बनवाने वालों की भी संख्या महज 71.6 फीसदी है। हाल ही में हुए बिहार जातीय सर्वे के मुताबिक सामान्य वर्ग के 17.45, ओबीसी के 21.69, ईबीसी के 24.65, एससी के 24.31, एसटी के 24.52 और अन्य जातियों के 18.32 फीसदी लोग ही पहली कक्षा से पांचवी कक्षा तक उत्तीर्ण हैं।
सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को करेगा सुनवाई
मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल(RJD), महुआ मोइत्रा सहित कई संस्था और लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सोमवार को वरिष्ट अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई करने की मांग की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करने का नोटिस जारी किया है। अब देखना ये है कि गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय क्या निर्णय देता है।
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नीतीश कुमार | आरजेडी | bihar Vidhan Sabha Election 2025