NEW DELHI. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ( BJP ) अपने दावे के अनुसार 400 लोकसभा सीटें पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। इसके लिए वह राजनीतिक दुश्मनों को गले लगा रही है और बिछड़े हुए दोस्तों से प्रेमालाप कर रही है। उसका एक ही मकसद है कि इस बार जीत का रिकॉर्ड बन जाए और विपक्षी दल पूरी तरह बिखर जाएं। तो कहानी यह है कि ओडिशा ( Odisha ) में वहां की मौजूदा सरकार व उसकी पार्टी बीजू जनता दल ( BJD ) से दुआ-सलाम शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले इनमें गठबंधन हो जाएगा साथ ही लोकसभा सीटों पर समझौता पर भी।
15 साल पहले 10 वर्षों तक गठबंधन काफी मजबूत था
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बीजेपी और बीजेडी में पुराना याराना है। करीब 10 साल तक दोनों के बीच चला गठबंधन साल 2009 में टूट गया था। अब 15 साल बाद एक बार फिर से इनमें गठबंधन की चर्चाएं हैं और संभव है कि वह सिरे भी चढ़ जाए। असल में साल 2004 में लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में NDA की हार हुई थी, तब भी ओडिशा में इस गठबंधन ने सम्मनजनक सीटें पाई थीं। अपने 10 सालों के गठबंधन के दौरान इन्होंने तीन लोकसभा और दो विधानसभा चुनावों में सम्मानजनक प्रदर्शन किया था। इसलिए गठबंधन की चाह फिर से उमड़ने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब राज्य में अपनी पार्टी का प्रचार करते हैं तो बीजेडी नेता और सीएम नवीन पटनायक पर हलके हाथ धरे रहते हैं। पिछले दिनों राज्य में पीएम व सीएम ने एक मंच साझा किया था, जहां दोनों ने एक दूसरे को लेकर खासी समझदारी दिखाई और कुछ मामलों में एक-दूसरे की प्रशंसा भी की, जिससे लगने लगा कि गठबंधन होकर रहेगा।
दोनों के लिए गठबंधन लाभकारी रहेगा
असल में यह गठबंधन बीजेपी के साथ-साथ बीजेडी के लिए भी जरूरी है। उसका कारण यह है कि राज्य में बीजेपी धीरे ही सही लेकिन मजबूती से अपनी राह बना रही है। हाल के चुनावों में बीजेडी का ग्राफ लगातार नीचे आ रहा है। दूसरे, नवीन पटनायक की उम्र बढ़ रही है और उम्र के इस दौर में वह मानसिक व राजनीतिक शांति चाहते हैं, इसलिए गठबंधन को लेकर गंभीर हैं। ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटें हैं। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेडी ने 20 तो बीजेपी को एक सीट मिली थी, इसके बाद के वर्ष 2019 के चुनाव में बीजेडी 13 व बीजेपी की सीटें बढ़कर आठ हो गईं थी। इसलिए बीजेडी गठबंधन को लेकर गंभीर है। दूसरी ओर बीजेपी के पास भी राज्यस्तरीय धाकड़ नेता कम है, इसलिए वह चाहती है कि फिलहाल बीजेडी से समझौता कर लिया जाए। बताते हैं कि इस मसले को लेकर दोनों दलों के नेताओं में नई दिल्ली और भुवनेश्वर में लंबी बातचीत चल रही है। मसला अब सीटों के बंटवारे का ही बना हुआ है।