देश में महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद बीजेपी में एक बार फिर नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की चर्चा तेज हो गई है। पार्टी संविधान के अनुसार अध्यक्ष का चुनाव होना है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के दौर से ही बीजेपी में यह प्रक्रिया आम सहमति और परंपरा पर आधारित रही है। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2024 में खत्म हो रहा है। नए साल में पार्टी को नए नेतृत्व का इंतजार है। इधर, मध्य प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव भी अब जनवरी में ही होगा। यह चुनाव भी फिलहाल टल गया है।
संघ की भूमिका होगी अहम
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका हमेशा से अहम रही है। बीजेपी और संघ के बीच यह समन्वय न केवल संगठन को दिशा देता है, बल्कि आने वाले समय के लिए पार्टी की प्राथमिकताओं को भी साफ करता है। हालांकि, इस बार संघ और बीजेपी के भीतर इस पद को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है। जानकारों का कहना है कि दोनों संगठनों के अंदर सर्वसम्मति से कोई स्पष्ट नाम उभरकर नहीं आया है।
संभावित नामों पर मंथन जारी
सूत्रों के अनुसार, अभी बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए तीन नाम चर्चा में हैं, इसमें शिवराज सिंह चौहान (कृषि मंत्री), धर्मेंद्र प्रधान (शिक्षा मंत्री) और भूपेंद्र यादव (वन मंत्री) शामिल हैं। भूपेंद्र यादव को पार्टी ने अभी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया है। शिवराज झारखंड के चुनाव प्रभारी हैं। ऐसे में इन दोनों राज्यों के परिणाम भी इन दोनों नेताओं के सियासी भविष्य पर असर डालेंगे।
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शिवराज को लेकर आशंका के बादल
हालांकि शिवराज सिंह चौहान को लेकर शुरुआत में संघ में सकारात्मक राय थी, लेकिन उनके कृषि मंत्रालय के कुछ फैसले संघ की विचारधारा से मेल नहीं खाते। ऐसे में उनके नाम को लेकर एक वर्ग के बीच आशंका है। वहीं, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नाम पिछले अध्यक्षीय चुनाव में भी सामने आए थे, लेकिन तब जेपी नड्डा को चुना गया था। इस बार इन दोनों नेताओं को संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सुरेश सोनी की पसंद बताया जा रहा है।
सुरेश सोनी की बढ़ती भूमिका
संघ-बीजेपी के संबंधों में पिछले कुछ समय में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सुरेश सोनी की सक्रियता इस प्रक्रिया में अहम हिस्सा है। सोनी, संघ और सरकार के बीच संवाद स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वह विवाद से बचते हुए, सहमति की राह तलाशने में जुटे हैं।
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आगे की तैयारी का दारोमदार
दरअसल, पूरी कवायद 2029 के लोकसभा चुनाव पर टिकी है। नए अध्यक्ष का चयन बीजेपी के लिए केवल आंतरिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह आने वाले लोकसभा चुनावों की रणनीति का आधार भी होगा। अभी जो अध्यक्ष बनेगा, उसी की अगुआई में बीजेपी 2028 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव के साथ 2029 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी। कुल मिलाकर नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव बीजेपी के लिए नई दिशा तय करेगा। देखना यह है कि पार्टी किस चेहरे पर भरोसा जताती है।
दिल्ली में एमपी की वाहवाही
संगठन चुनाव को लेकर बीजेपी की संगठनात्मक बैठक हाल ही में दिल्ली में हुई। इसमें राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी और संगठन पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। तय किया गया कि मंडल अध्यक्ष के चुनाव 1 से 15 दिसंबर तक चलेंगे। 16 से जिला अध्यक्षों के चुनाव होंगे। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव एक महीने टल गए। अब ये जनवरी में होंगे। संगठन पर्व को लेकर तय कार्यक्रमों और क्रियान्वयन को लेकर मध्य प्रदेश और गुजरात के संगठन तारीफ की गई। बूथ अध्यक्षों के चुनाव में एमपी ने 72% का चुनाव करवा लिया, जो देशभर में सबसे ज्यादा है। वाट्सऐप प्रभारी नियुक्त करने की भी तारीफ की गई।
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