BHOPAL. लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और बीजेपी में उभरे मतभेद के बीच अब दोनों समन्वय बैठक करने जा रहे हैं। हालांकि संघ और बीजेपी ऐसी समन्वय बैठकें करते रहे हैं, लेकिन चुनावी नतीजों के बाद हो रही इस बैठक के अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
RSS और BJP अगले महीने तीन दिन (31 जुलाई से 2 अगस्त) मंथन करेंगे। इसे समन्वय बैठक नाम दिया गया है। यह मीटिंग केरल में होगी, जिसमें RSS और BJP के दिग्गज नेता व पदाधिकारी शिरकत करेंगे।
बीजेपी के चाल-चलन से क्या नाराज है संघ?
देश में लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सामने आए संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से बीजेपी के अंदरखानों में राजनीति गरमाई हुई थी। भागवत के इशारे को अब आरएसएस के दिग्गज नेता इंद्रेश कुमार ने मानो पूरा आकार दे दिया है। दोनों के वक्तव्य से देश में यह बहस खड़ी हो गई है कि चुनावी नतीजों और बीजेपी के चाल-चलन से संभवत: संघ नाराज है।
संघ का इशारा तो साफ है...
भारतीय राजनीति में बीजेपी और आरएसएस का हमेशा चोली दामन का साथ रहा है। दूसरे, शब्दों में कहें तो दोनों के पहियों की गति और लय हमेशा एक सी रही है। लोकसभा चुनाव के बीच जेपी नड्डा के बयान से बखेड़ा शुरू हुआ था। फिर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इशारों ही इशारों में सच्चे सेवक की परिभाषा समझा दी। कहा जा रहा है कि अब इंद्रेश कुमार के बयान ने एक तरह से पूरी पिक्चर साफ ही कर दी, जिसमें उन्होंने कहा है कि राम जिस पार्टी ने (भगवान राम की) भक्ति की, लेकिन अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक दिया गया, लेकिन उसे सबसे बड़ी पार्टी बना दिया गया।
पांचजन्य ने परफॉर्मेंस पर उठाए सवाल
संघ की बीजेपी से नाराजगी को इस बात से भी जोड़कर देखा जा रहा है कि संघ के मुखपत्र पांचजन्य में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के परफॉर्मेंस पर आलोचनात्मक लेख छपा है। इसका शीर्षक है 'लोकसभा चुनाव-2024/NDA: सबक हैं और सफलताएं भी। ऐसे ही 'आर्गनाइजर' में भी टिप्पणी की गई है। इसी के साथ अब देश में यह चर्चा आम है कि संघ ने बीजेपी से क्या दूरी बना ली है?
समर्थकों के लिए राहत की खबर
अब चूंकि केरल में 31 जुलाई से 2 अगस्त तक बीजेपी और आरएसएस के बीच समन्वयक बैठक होने जा रही है। यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब दोनों के बीच खींचतान की फुसफुसाहट है। फिलहाल तो इन संगठनों की विचाराधारा को फॉलो करने वालों के लिए केरल में तीन दिन होने वाली समन्वय बैठक राहत की खबर लेकर आई है। बैठक में बीजेपी और आरएसएस के दिग्गज नेता व पदाधिकारी जुटेंगे। दोनों ओर से देश हित के साथ कई विषयों पर मंथन होगा। इसी में संघ चुनावी नतीजों की बात भी रख सकता है।
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केरल में क्यों हो रही बैठक
आरएसएस की सबसे ज्यादा शाखाएं केरल में लगती हैं। बीजेपी ने पहली बार केरल में लोकसभा सीट पर जीत हासिल की है। ये सीट है त्रिशूर, यहां से बीजेपी ने अभिनेता सुरेश गोपी को उम्मीदवार बनाया था। गोपी 74 हजार से ज्यादा वोटों से जीते। ऐसा माना जा रहा है कि आरएसएस-बीजेपी की समन्वय बैठक केरल के पलक्कड़ में करके पूरे प्रदेश में संदेश देने का प्रयास कर रही है। दरअसल, पश्चिम बंगाल के बाद केरल ऐसा राज्य है जहां आरएसएस कार्यकर्ता अक्सर हिंसा का शिकार होते रहे हैं। ऐसे में इस बैठक को बीजेपी की जड़े मजबूत करने के दृष्टी से इस बैठक का देखा जा रहा है। बीजेपी दक्षिण के राज्यों में 2019 के लोकसभा चुनावों में 29 सीटों से अपनी संख्या बढ़ाने में विफल रही थी और इस बार भी उसकी संख्या वही रही। हालांकि, बीजेपी कर्नाटक में खोई सीटों की भरपाई के लिए तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और केरल में बढ़त हासिल की, जिससे इसका विस्तार हुआ।
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