संजय गुप्ता@INDORE. इंदौर में शुक्रवार को गुपचुप तरीके से एक हाईप्रोफाइल चुनाव हुआ। इसे लेकर दो साल से कानूनी लड़ाई भी चल रही थी और अभी भी मामला हाईकोर्ट में हैं। इस चुनाव में एक और है मप्र के सीनियर IAS व प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई की मां शारदा मंडलोई और दूसरी ओर थी झाबुआ परिवार की बहू प्रफुल्ला उर्फ नूतन सिंह। इस कांटे के मुकाबले में नूतन सिंह और उनके दोनों उपाध्यक्ष प्रत्याशियों की जीत हुई। कुल 315 मतदाताओं में से 71 ने वोट डाले।
इस संस्था के लिए आमने-सामने हुए दोनों
इंदौर में स्कीम 54 में सत्यसांई स्कूल के पास संस्था संजीवनी सेवा संगम है, जो मूक बधिरों के लिए काम करती है। इसी संस्था के अध्यक्ष पद और उपाध्यक्ष के दो पदों के लिए यह चुनाव शुक्रवार 14 जून को हुए। इसमें अध्यक्ष पद के लिए मंडलोई और सिंह दोनों ने नामांकन दाखिल किया और इनके बीच में सीधे चुनावी लड़ाई हुई। वहीं उपाध्यक्ष पद पर मंडलोई गुट से जगजीत शर्मा और सुनीता सैनी मैदान में थे तो वहीं सिंह गुट से कुमुदिनी तुरखिया और कृष्णा झालानी मैदान मे उतरे थे।
इन्हें मिले इतने वोट
अध्यक्ष पद के लिए नूतन सिंह को 37 वोट मिले और शारदा मंडलोई को 34। तीन वोट से नूतन सिंह जीत गई। उपाध्यक्ष पद के लिए नूतन सिंह के गुट के दोनों प्रत्याशी कुमुदनी तुरखिया और कृष्णा झालानी को 36-36 वोट मिले, वहीं मंडलोई गुट की जगजीत शर्मा और सुनीता सैनी को 32-32 वोट मिले, यह दोनों चार-चार वोट से हार गए। इस तरह पूरी पैनल नूतन सिंह की जीत गई।
मतदाता सूची से खुश नहीं था सिंह गुट
संस्था में अगस्त 2022 से ही प्रशासक नियुक्त है। पहले अपर कलेक्टर पवन जैन प्रशासक थे फिर अजय देव शर्मा हुए और अब अपर कलेक्टर रोहन राय है। इसकी मतदाता सूची को लेकर विवाद के चलते चुनाव नहीं हो सके। पहले करीब 900 से ज्यादा की मतदाता सूची बनी और इसे लेकर विवाद हुआ, फिर हाईकोर्ट में मामला गया। इसके बाद फरवरी 2023 में हाईकोर्ट के आदेश से फिर मतदाता सूची पर काम हुआ। अप्रैल 2024 में मतदाता सूची का प्रकाशन प्रशासन ने किया। इस पर आई दावे-आपत्तियों पर सुनवाई के बाद जिला प्रशासन ने सभी का एक-एक कर निराकरण किया और फिर अंतिम सूची जारी की, जिसमें 315 सदस्य की सदस्यता मान्य की गई। लेकिन इस सूची से सिंह नाराज हुई। उनका कहना था कि केवल 86 ही सदस्य मान्य थे, यह सूची गलत बनी है।
सिंह फिर गई हाईकोर्ट, लगी है याचिका
सिंह के अधिवक्ता पंकज बागड़िया ने बताया कि संस्था की सदस्यता नियम के अनुसार हर साल सदरस्यता होती है और जो राशि भरते हैं उन्हें सदस्यता आगे रहती है। ऐसे में 2021-22 में केवल 86 सदस्य थे जो सदस्यता वाले थे, लेकिन प्रशासन ने पुराने रजिस्टर से 315 सदस्यों को सदस्यता मान्य की। हमने इसके खिलाफ याचिका दायर की है, इस पर अभी सुनवाई नहीं हुई है।
अध्यक्ष ही बनाता है सचिव, संयुक्त सचिव
संस्था साल 1981 से रजिस्टर्ड है और इसका ऑफिस आईडीए की स्कीम 54 जमीन पर संचालित है। यह मूक-बधिरों के लिए काम करती है। इस संस्था के नियम से चुनाव के केवल एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्ष पद के लिए होता है। बाकी चुना गया अध्यक्ष अपने हिसाब से एक सचिव, एक संयुक्त सचिव, एक कोषाध्यक्ष, एक संयुक्त कोषाध्यक्ष और चार कार्यकारिणी सदस्यों की नियुक्ति करता है।
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