NEW DELHI. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भारत को बड़ा झटका दिया है। यहां वीजा स्पॉन्सर करने वाली कई कंपनियां फर्जी पाए जाने जाने के बाद सरकार ने उन भारतीय नर्सों पर कार्रवाई शुरू कर दी है, जिन्हें इन कंपनियों के जरिए रखा गया था। ऋषि सुनक सरकार के फैसले का प्रभाव 7 हजार से ज्यादा नर्सों पर पड़ेगा। इनमें सबसे ज्यादा भारत की 4 हजार नर्स हैं। वहीं जिन लोगों ने कर्ज लेकर ब्रिटेन में काम धंधा शुरू करने वाले भारतीय लोगों को भी देश वापसी का डर सता रहा है। अब ब्रिटेन गए भारतीय सुनक सरकार की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, ब्रिटेन में मोटी रकम लेकर वीजा दिलाने करने वाली कई कंपनियां फर्जी पाई गई हैं, ऐसे में ब्रिटेन में रह रही हजारों भारतीय नर्सों पर खतरा मंडरा रहा है। अब ऋषि सुनक सरकार ने इन कंपनियों के जरिए रखी गई भारतीय नर्सों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार के इस फैसले का असर 7 हजार से ज्यादा नर्सों पर पड़ेगा। इनमें सबसे ज्यादा भारत की 4 हजार नर्स हैं। इन नर्सों में से 94% मामले कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के कारण सामने आए हैं।
सुनक सरकार की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे ब्रिटेन गए भारतीय
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसके लिए सरकार को भी जिम्मेदार माना जा रहा है, क्योंकि ये समस्या फर्जी कंपनियों की वजह से पैदा हुई है, जिन्हें सुनक सरकार ने बिना जांच-पड़ताल किए विदेशों से आई नर्सों को नौकरी पर रखने की परमिशन दी थी। दरअसल, ब्रिटेन में विदेशियों को काम पर रखने के लिए स्पॉन्सर लाइसेंस की जरूरत होती है। आरोप है कि सुनक सरकार ने बिना जांच के ही 268 कंपनियों को लाइसेंस दिया है। जिन्होंने कभी इनकम टैक्स रिटर्न भी दाखिल नहीं किया। इनमें से लाइसेंस हासिल कर चुकी कई कंपनियां भी फर्जी थीं।
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भारत वापसी का सता रहा डर
सुनक सरकार की कार्रवाई के बाद प्रवासी भारतीय डरे हुए है। जिन लोगों ने कर्ज लेकर ब्रिटेन में काम शुरू किया, अब उन्हें देश वापसी का डर सता रहा है। महाराष्ट्र की रहने वाली जैनब और उनके भाई इस्माइल ने वीजा स्पॉन्सर के लिए ब्रिटेन की कंपनी को 18 लाख रुपए दिए थे। जैनब 2 बच्चों की मां हैं। जब वे वहां पहुंचे तो पता चला कि वह फर्म फर्जी है और पहले भी घोटाला कर चुकी है।
अप्रैल में, भाई-बहन को सरकारी अधिकारियों ने बताया कि जिस कंपनी ने वीजा स्पॉन्सर किया था, उससे लाइसेंस वापस ले लिया गया है। अधिकारियों ने उन्हें 60 दिनों में स्पॉन्सर या दूसरी कंपनी ढूंढने को कहा है, नहीं तो उन्हें ब्रिटेन को छोड़कर जाना होगा। उन्होंने 300 से अधिक कंपनियों को स्पॉन्सर करने के लिए आवेदन किया है, लेकिन उन्हें ऐसी कोई फर्म नहीं मिली जो उन्हें काम पर रखने या स्पॉन्सर करने के लिए तैयार हो। उनके अलावा, एक 32 साल की महिला ने भी ब्रिटेन जाने के लिए एक शिक्षक की नौकरी छोड़ी थी और उसके पति ने अपनी जमीन और कार डीलरशिप का बिजनेस बेच दिया था। उन्हें भी भारत वापसी का डर सता रहा है।
ब्रिटेन में प्रवासी लोगों की मदद करने वाले एनजीओ माइग्रेंट्स एट वर्क के संस्थापक अके अची ने बताया कि अवसर की तलाश में लाखों का कर्ज लेकर भारतीय देश छोड़कर यहां आते हैं। ये वे लोग होते हैं, जो नियम कायदों का पालन कर आते हैं, इन्हें फालसू में दंड दिया जा रहा है। प्रवासियों ने यहां आने के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया है।
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