केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक अहम घोषणा की है कि जिन छात्रों ने नाम मात्र के लिए 'डमी स्कूलों' में दाखिला लिया है, उन्हें आगामी बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस फैसले का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में अनुशासन बनाए रखना और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना है।
क्या है डमी स्कूलों का मामला?
डमी स्कूल ऐसे स्कूल होते हैं, जहां छात्रों का नामांकन तो किया जाता है, लेकिन वहां पढ़ाई की कोई वास्तविक व्यवस्था नहीं होती। अक्सर देखा जाता है कि ऐसे छात्र सिर्फ कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए इन स्कूलों में नामांकित होते हैं, जबकि उनकी शिक्षा पूरी तरह से अन्य संस्थाओं या कोचिंग सेंटर्स में होती है।
विशेष रूप से, इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र इस प्रकार के स्कूलों का चुनाव करते हैं ताकि उन्हें पढ़ाई की ओर ध्यान न देना पड़े और वे अपनी पूरी ऊर्जा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगा सकें।
छात्र केवल परीक्षा देने ले रहे डमी स्कूलों का सहारा
CBSE ने पिछले साल दिसंबर में दिल्ली, बेंगलुरु, वाराणसी, बिहार, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 29 स्कूलों में 'डमी' छात्रों के नामांकन की जांच की थी। बोर्ड ने यह पाया कि कई छात्र नियमित स्कूलों में जाने के बजाय केवल परीक्षा देने के उद्देश्य से डमी स्कूलों का सहारा ले रहे थे।
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डमी स्कूलों से छात्रों के व्यक्तित्व पर असर
विशेषज्ञों के अनुसार, डमी स्कूलों में नामांकित छात्र अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। जो छात्र स्कूल नहीं जाते, उन्हें अक्सर मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तित्व विकास में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कोटा जैसे शहरों में जहां प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों की संख्या ज्यादा है, वहां इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं।
CBSE की स्पष्ट चेतावनी
CBSE ने स्पष्ट रूप से कहा है कि छात्रों और उनके माता-पिता को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे ऐसे स्कूलों में नामांकित न हों जो वास्तविक शिक्षा प्रदान नहीं करते हैं। बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए यह जरूरी है कि छात्र नियमित स्कूलों में नामांकित हों और उनकी उपस्थिति सुनिश्चित हो।
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छात्र-परिवार के लिए अहम सुझाव...
- नियमित स्कूलों में नामांकन: छात्रों को यह समझना चाहिए कि डमी स्कूलों का विकल्प उन्हें लंबी अवधि में नुकसान पहुंचा सकता है।
- सही कोचिंग का चुनाव: कोचिंग संस्थाओं का चयन सावधानी से करें, जिससे छात्रों को सही मार्गदर्शन मिले।
- मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान: परीक्षा की तैयारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी है, ताकि तनाव और दबाव कम हो सके।