सर्वाइकल कैंसर आजकल महिलाओं में होने वाला एक गंभीर रोग बन गया है। 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा अधिक है। हालांकि, समय रहते जांच होने पर यह पूरी तरह रोका जा सकता है। इसीके चलते अब भारत में इस दिशा में बड़ी सफलता मिली है। भारत में अब ट्रूनेट मशीन (Truenat Machine) से सर्वाइकल कैंसर या गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (Cervical Cancer) की जांच की जाएगी। पहले यह मशीन टीबी और कोरोना वायरस की पहचान करती थी। इस तकनीक की घोषणा जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने की है और इसको ट्रूनेट एचपीवी-एचआर प्लस नाम दिया है। यह देश के प्रत्येक जिला अस्पताल में पहले से उपलब्ध है और यह मशीन मात्र एक घंटे में सटीक जांच रिपोर्ट देती है। इस तकनीक के इस्तेमाल से जांच आसान, सस्ती और समय पर हो सकेगी।
क्या है ट्रूनेट एचपीवी-एचआर प्लस
चिप-आधारित आरटी-पीसीआर तकनीक (Chip-based RT-PCR Technology) आधारित यह मशीन पेपिलोमावायरस (HPV) के आठ उच्च-जोखिम वाले जीनोटाइप की पहचान कर सकती है। पेपिलोमावायरस ही सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण होता है। यह तकनीक बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल द्वारा विकसित की गई है।
लाभदायक साबित हो सकती है।
क्या है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर आजकल महिलाओं में होने वाला एक गंभीर रोग बन गया है। यह गर्भाशय के निचले हिस्से यानी गर्भाशय ग्रीवा की सेल्स में होता है। दरअसल, यह हिस्सा गर्भाशय और योनि से जोड़ता है। सर्वाइकल कैंसर होने का सबसे सामान्य कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) का संक्रमण है। यह संक्रमण मुख्यतः यौन संपर्क के से फैलता है।
भारत में सर्वाइकल कैंसर की स्थिति
हर साल भारत में सर्वाइकल कैंसर के करीब 1.23 लाख नए मामले सामने आते हैं। लगभग 77,000 महिलाएं इस बीमारी से जान गंवा देती हैं। महिलाओं में यह दूसरा सबसे आम कैंसर है। समय पर अगर जांच हो जाती है तो यह पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। इसलिए सर्वाइकल कैंसर के टीके को ज्यादा से ज्यादा लगवाने पर जोर दिया जा रहा है।
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ग्रामीण इलाकों में मिलेगा लाभ
अभी सर्वाइकल कैंसर की जांच के लियेपैप स्मीयर टेस्ट, एचपीवी डीएनए टेस्टिंग, आईवीए और का इस्तेमाल किया जाता है। ये टेस्ट काफी महंगे थे और ग्रामीण इलाकों में उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में अब यह ट्रूनेट तकनीक काफी उपयोगी साबित हो सकती है।
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सर्वाइकल कैंसर के प्रमुख लक्षण
सर्वाइकल कैंसर को शुरुआत में पहचान पाना मुश्किल हो सकता है क्योंकि अपने शुरुआती चरण में अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के रहता है । लेकिन जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जैसे-