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Photograph: (THESOOTR)
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गुजरात हाईकोर्ट की वर्चुअल सुनवाई में एक अजीब घटना सामने आई। 20 जून को हुई इस घटना में एक व्यक्ति शौचालय में बैठकर सुनवाई में भाग ले रहा था। वीडियो में उसे ब्लूटूथ ईयरफोन पहने हुए दिखाया गया। यह घटना न्यायमूर्ति निरजर एस देसाई की पीठ के सामने हुई।
वायरल वीडियो की शुरुआत में ‘समद बैटरी’ नामक शख्स दिखाया गया है, इसमें वह अपने गले में इयरफोन पहने दिखाई दे रहा है। इसके बाद वह अपना फोन दूर रखते हुए दिखा इससे पता चला कि वो शौचालय में बैठा है। वीडियो में उसे अपनी दैनिक क्रियाएं करते हुए, खुद को साफ करते और फिर शौचालय से बाहर निकलते हुए देखा गया। इसके बाद वह कुछ समय के लिए स्क्रीन से गायब हो गया और फिर एक कमरे में दिखाई दिया।
वीडियो में दिख रहा था कि यह व्यक्ति एफआईआर रद्द करने की मांग करने वाले मामले में प्रतिवादी के रूप में न्यायालय में पेश हो रहा था। वह इस आपराधिक मामले में शिकायतकर्ता भी था। मामले के पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान के बाद, अदालत ने एफआईआर को रद्द कर दिया।
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गुजरात उच्च न्यायालय की वर्चुअल कार्यवाही ने पहले भी कुछ विवादों को जन्म दिया है। इससे पहले अप्रैल में एक अन्य व्यक्ति को वर्चुअल सुनवाई के दौरान सिगरेट पीते हुए पाया गया था, जिसके बाद अदालत ने उस पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया था। इस तरह की घटनाएं अदालत के लिए एक नई चुनौती पेश करती हैं, खासकर जब वर्चुअल सुनवाई के दौरान अनुशासन बनाए रखने की बात आती है।
अदालत ने ऑनलाइन कार्यवाही के दौरान इस प्रकार के अनुचित व्यवहार को गंभीरता से लिया है। इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश ने भी वर्चुअल सुनवाई की अहमियत और इसके संचालन में नियमों को लेकर अपने विचार साझा किए थे। उन्होंने कहा था कि इस तरह की कार्यवाही में सभी पक्षों को सम्मानजनक और उचित व्यवहार बनाए रखना चाहिए।
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यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया है और कई लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कुछ उपयोगकर्ताओं ने इसे हास्यपूर्ण और अनौपचारिक व्यवहार के रूप में देखा, जबकि कुछ ने इसे अदालत की गरिमा के खिलाफ मानते हुए आलोचना की है।
अदालतों में वर्चुअल सुनवाई के दौरान ऐसे घटनाएं न्यायपालिका की कार्यप्रणाली और उसके मानकों पर सवाल उठाती हैं। यह वर्चुअल कार्यवाही का एक उदाहरण है, जो तकनीकी दृष्टिकोण से बहुत प्रभावी है, लेकिन अनुशासन बनाए रखने में चुनौतियां पेश करती है। वर्चुअल सुनवाई ने न केवल कानूनी कार्यवाही की गति को बढ़ाया है, बल्कि कई लोगों के लिए इसे सुलभ भी बनाया है।
यह घटना न्यायपालिका के लिए एक संकेत है कि तकनीकी बदलावों के साथ-साथ, अदालतों को वर्चुअल कार्यवाही के दौरान कड़े नियमों और अनुशासन को बनाए रखने की जरूरत है।
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