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Photograph: (THESOOTR)
भारत में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है, और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इसकी जांच का प्रमुख संस्थान है। हाल ही में जारी सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट 2024 ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई से जुड़े 7,072 भ्रष्टाचार मामले (CBI Corruption Cases) देशभर की विभिन्न अदालतों में पेंडिंग केस (Pending Cases in Courts) हैं। यह आंकड़ा न केवल न्याय व्यवस्था की धीमी गति को दर्शाता है, बल्कि भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई में बड़ी बाधा भी साबित हो रहा है।
CBI भ्रष्टाचार मामलों की सीवीसी रिपोर्ट का खुलासा
हाल ही में जारी केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की वार्षिक रिपोर्ट 2024 ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि इन पेंडिंग मामलों में से 2,660 मामले 10 साल से ज्यादा पुराने हैं। इनमें से 379 मामले तो 20 साल से अधिक समय से अटके हुए हैं, जो कि बेहद चिंताजनक है। ऐसे पुराने भ्रष्टाचार मामले (Old Corruption Cases) न केवल न्याय की प्रक्रिया को कमजोर करते हैं, बल्कि आरोपियों को लंबे समय तक बचने का मौका भी देते हैं। सीवीसी रिपोर्ट 2024 (CVC Report 2024) के ये आंकड़े सरकार और न्यायपालिका के लिए एक अलार्म की तरह हैं।
31 दिसंबर 2024 तक पेंडिंग मामले...सीवीसी रिपोर्ट 2024 (CVC Report 2024) में पेंडिंग केस (Pending Cases in Courts) की समयावधि के आधार पर वर्गीकरण किया गया है। 31 दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक-
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ये आंकड़े दर्शाते हैं कि अधिकांश मामले लंबे समय से फंसे हुए हैं, जो न्यायिक प्रक्रिया में देरी के कारण हैं। इसके अलावा, सीबीआई और आरोपियों की कुल 13,100 अपील तथा संशोधन याचिकाएं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इनमें 606 अपील 20 साल से ज्यादा समय से और 1,227 अपील 15 से 20 वर्ष के बीच से पेंडिंग हैं। यह स्थिति न्याय व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है।
Conviction Rate में चिंताजनक गिरावट
2024 में सीबीआई भ्रष्टाचार मामलों (CBI Corruption Cases) में दोषसिद्धि दर (Conviction Rate) 69.14% रही, जो 2023 की 71.47% से 2% कम है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में कुल 644 मामलों का निपटारा हुआ। इनमें-
392 मामलों में दोषसिद्धि हुई।
154 मामलों में आरोपी दोषमुक्त हो गए।
21 मामलों में आरोपी बरी हुए।
77 मामलों का अन्य कारणों से निपटारा किया गया।
यह गिरावट कई कारकों से जुड़ी हो सकती है, जैसे सबूतों की कमी, गवाहों की अनुपस्थिति या न्यायिक प्रक्रिया में विलंब। पुराने सीबीआई भ्रष्टाचार मामले (Old Corruption Cases) में दोषसिद्धि दर (Conviction Rate) और भी कम होती है, क्योंकि समय के साथ सबूत कमजोर हो जाते हैं।
सीबीआई की जांच और नए पंजीकरण
सीवीसी रिपोर्ट 2024 (CVC Report 2024) में यह भी उल्लेख है कि 2024 में सीबीआई ने 807 नए मामले दर्ज किए, जिनमें 674 नियमित मामले और 133 प्रारंभिक जांच शामिल हैं। इनमें से 502 मामले भ्रष्टाचार से संबंधित थे। हालांकि, 31 दिसंबर 2024 तक 529 मामले जांच के अधीन थे, जिनमें 56 मामले 5 साल से ज्यादा पुराने हैं। यह दर्शाता है कि जांच प्रक्रिया में भी देरी हो रही है।
सीबीआई के कर्मचारियों के खिलाफ भी 60 विभागीय कार्रवाई के मामले लंबित हैं, जिनमें 39 ग्रुप 'ए' अधिकारियों और 21 ग्रुप 'बी' एवं 'सी' कर्मचारियों के हैं। यह सीबीआई की आंतरिक सत्यनिष्ठा पर भी सवाल उठाता है।
न्यायिक देरी के कारण और असर
भारत में अदालतों में पेंडिंग केस की समस्या नई नहीं है। सीबीआई भ्रष्टाचार मामलों में देरी के प्रमुख कारण हैं-
न्यायाधीशों की कमी।
बार-बार सुनवाई टलना।
सबूतों और दस्तावेजों की जटिलता।
अपीलों की अधिकता।
ये देरी न केवल न्याय को प्रभावित करती हैं, बल्कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा भी देती हैं। पुराने भ्रष्टाचार मामले में गवाहों की मौत या स्मृति कमजोर होने से मामला कमजोर हो जाता है। परिणामस्वरूप, दोषसिद्धि दर (Conviction Rate) प्रभावित होती है।
प्रमुख आंकड़े...
कुल पेंडिंग मामले: 7,072
10 साल से ज्यादा पुराने: 2,660
20 साल से ज्यादा पुराने: 379
अपीलें पेंडिंग: 13,100
2024 में दोषसिद्धि: 392 मामले
भ्रष्टाचार विरोधी सुधारों की आवश्यकता
सीवीसी रिपोर्ट 2024 (CVC Report 2024) न्याय व्यवस्था में सुधार की मांग करती है। सरकार को विशेष अदालतें स्थापित करने, डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम अपनाने और जांच एजेंसियों को मजबूत करने की जरूरत है। सीबीआई को अधिक संसाधन प्रदान करने से जांच तेज हो सकती है। साथ ही, भ्रष्टाचार रोकथाम कानूनों को सख्त बनाना चाहिए।
सीबीआई का इतिहास और भूमिका
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की स्थापना 1963 में हुई थी। यह भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की जांच करती है। सीवीसी इसका पर्यवेक्षण करता है। पिछले दशकों में सीबीआई ने कई बड़े घोटालों का पर्दाफाश किया है, लेकिन पेंडिंग केस (Pending Cases in Courts) की समस्या ने इसकी प्रभावशीलता को कम किया है।
सीबीआई (CBI): भारत की प्रमुख जांच एजेंसी...
- सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) भारत की प्रमुख जांच एजेंसी है, जिसे 1941 में स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट (SPE) के रूप में भ्रष्टाचार की जांच के लिए स्थापित किया गया था। 1963 में गृह मंत्रालय ने इसका नाम बदलकर CBI रखा, और यह दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत काम करती है।
- सीबीआई को 1980 के दशक में अन्य अपराधों की जांच का कार्य भी सौंपा गया। 1987 में इसे एंटी करप्शन डिवीजन (ACD) और स्पेशल क्राइम डिवीजन (SCD) की जिम्मेदारी दी गई। अगर केस पेचीदा या विवादित हो, तो राज्य सरकार CBI जांच की सिफारिश करती है, जिसके बाद केंद्र से अनुमति ली जाती है।
- सीबीआई इंटरपोल के साथ भी काम करती है, और इंटरपोल से जुड़े मामलों की जांच इसका दायित्व है। CBI डायरेक्टर की नियुक्ति एक कमेटी करती है, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होते हैं। 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने CBI डायरेक्टर का कार्यकाल कम से कम 2 साल तय किया। CBI का कोई विशेष वर्दी नहीं होता।
निष्कर्ष: न्यायिक सुधारों की ओर कदम
सीबीआई भ्रष्टाचार मामलों की यह स्थिति भारत की न्याय व्यवस्था के लिए एक चुनौती है। सीवीसी रिपोर्ट 2024 से स्पष्ट है कि पुराने भ्रष्टाचार मामले और कम दोषसिद्धि दर से निपटने के लिए तत्काल सुधार जरूरी हैं। यदि ये मामले जल्द निपटाए जाते हैं, तो भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है और जनता का विश्वास बढ़ेगा। सरकार, न्यायपालिका और जांच एजेंसियों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। देश दुनिया न्यूज
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