दिल्ली हादसा : ड्राइवर क्या वाकई अपराधी है? क्या वह घर-घर पूछता कि कार निकाल ले

दिल्ली में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर में तीन बच्चों की मौत पर सियासत और मनमानी दोनों जारी है। 'द सूत्र' बच्चों के हक में हमेशा आवाज उठाता रहा है। इस दर्दनाक हादसे में भी हमारी बच्चों और उनके परिजन के प्रति पूरी संवेदनाएं हैं।

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Ravi Kant Dixit
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New Delhi : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर में तीन बच्चों की मौत पर सियासत और मनमानी दोनों जारी है। मानवीय संवेदनाओं से इतर हर कोई अपनी रोटी सेंक रहा है। इस मामले में पुलिस के काम पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

'द सूत्र' बच्चों के हक में हमेशा आवाज उठाता रहा है। इस दर्दनाक हादसे में भी हमारी बच्चों और उनके परिजन के प्रति पूरी संवेदनाएं हैं। 'द सूत्र' का ध्येय वाक्य है कि 'हम सवाल उठाते हैं, पालकी नहीं...

लोगों ने की पुलिस की खिंचाई

दिल्ली पुलिस कार ड्राइवर को गिरफ्तार करने की कार्रवाई का सोशल मीडिया पर भी विरोध तेज हो गया है। एक यूजर ने लिखा कि अब अगला नंबर इंद्रदेव का होगा। एक यूजर ने लिखा, क्या गजब का तर्क दिया है दिल्ली पुलिस ने...। देखिए ये ट्वीट क्या बोले लोग..

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यहां भी सवाल पुलिस के काम पर है। दरअसल, पुलिस ने दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र राजेंद्र नगर में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर में एक छात्र और दो छात्राओं की मौत के मामले में एक कार ड्राइवर को हिरासत में लिया है। दावा है कि उसने रफ्तार से कार निकाली, जिससे कोचिंग सेंटर का गेट टूट गया और पानी अंदर भर गया। अब सबको कोर्ट के फैसले पर पूरा भरोसा है। अदालत ने कार ड्राइवर मनोज कथूरिया की गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने की मांग वाली याचिका पर जांच अधिकारी से जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी।

कोर्ट में इस तरह चली जिरह

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में सुनवाई के बीच दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पेश की। कार ड्राइवर के वकील ने कहा कि वह बस कार चला रहा था। ऐसी स्थिति में कार चलाना मुश्किल होता है, जबकि उनका (पुलिस) कहना है कि कार की रफ्तार तेज थी। पुलिस उसे मुख्य आरोपी और मुख्य अपराधी बनाने की कोशिश कर रही है। ड्राइवर का कहना है कि मेरे पास क्या विकल्प था? क्या मुझे हर दरवाजे पर दस्तक देकर पूछना चाहिए था कि क्या मैं अपनी कार वहां से ले जा सकता हूं? उनके हिसाब से यहां तेज स्पीड से कार चलाना अपराध है। क्या उन्होंने मुझे लापरवाही से गाड़ी चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है, नहीं...। ये तो हुए ड्राइवर के तर्क।

हम सवाल उठाते हैं, पालकी नहीं...

द सूत्र का सवाल है कि क्या वाकई पुलिस पूरी गंभीरता से काम कर रही है? लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सही अपराधी पकड़ा जाएगा, लेकिन क्या ऐसा होगा? जब साफ तौर पर नजर आ रहा है कि संस्था दोषी है? फिर किसी तीसरे पक्ष को आरोपी कैसे बनाया जा सकता है? एमसीडी अफसरों को नोटिस जारी किया गया है, जबकि कार ड्राइवर को नोटिस क्यों नहीं दिया गया? ये ऐसे सवाल हैं, जिनके वाजिब जवाब जिम्मेदारों के पास भी नहीं हैं।

ड्राइवर के वकील के तर्क

अब ड्राइवर के वकील के सवाल भी आपको बताते हैं। वकील ने कहा कि क्या दिल्ली पुलिस ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर रही है, जिनका मामले से कोई लेना-देना नहीं है? दिल्ली पुलिस ऐसे लोगों को क्यों छोड़ रही है, जो वास्तव में इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं? ड्राइवर के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि वह वीडियो देखे, जिसके आधार पर उसके मुवक्किल को गिरफ्तार किया गया है। वकील ने कहा कि ब्रेक लाइट लगातार जल रही हैं। क्या कार चलाना अपराध है?

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हिलोर से टूट गया गेट

सबसे अहम यह है कि इस घटना का एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें साफ तौर पर नजर आ रहा है कि पानी की एक हिलोर से गेट टूट गया। वहीं, दिल्ली पुलिस ने कार ड्राइवर को लेकर अदालत में दलील थी कि वह मस्तीखोर है, जिसके कारण यह हादसा हुआ। कोचिंग सेंटर के बाहर पहले से भरे पानी के बीच से ड्राइवर अपनी गाड़ी को स्पीड से लेकर निकला। इसकी वजह से पानी ओवरफ्लो हुआ और कोचिंग सेंटर के अंदर घुसने लगा। पानी का दबाव इतना ज्यादा था कि सेंटर का गेट टूट गया। अदालत ने मंगलवार को ड्राइवर की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

ड्राइवर की याचिका पर 7 अगस्त को सुनवाई

अब ओल्ड राजेंद्र नगर की घटना में तीस हजारी कोर्ट ने आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट के मालिकों परविंदर सिंह, सरबजीत सिंह, हरविंदर सिंह, तेजिंदर सिंह और कार ड्राइवर मनोज कथूरिया की जमानत याचिका रद्द कर दी है। अदालत ने मनोज कथूरिया की गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने की मांग वाली याचिका पर जांच अधिकारी से जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी।

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