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मोहन यादव (ग्रीन हाफ कोट) और भजनलाल शर्मा (सफेद कुर्ते में)
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मोहन यादव (ग्रीन हाफ कोट) और भजनलाल शर्मा (सफेद कुर्ते में)
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 27 साल बाद सत्ता में वापसी की ओर बढ़ रही है। इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा रहा है। नई दिल्ली सीट से बीजेपी उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को हराकर मुख्यमंत्री पद की रेस में अपनी जगह बना ली है। अब सवाल उठता है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? या फिर राजस्थान में भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश में मोहन यादव की तरह दिल्ली में भी मुख्यमंत्री पर बीजेपी एक नए चेहरे का चुनाव करेगी?
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बीजेपी ने चुनाव से पहले किसी भी नेता को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया था। अब जब पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने की स्थिति में है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी किसे दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बनाएगी। राजनीतिक गलियारों में प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता, मनोज तिवारी और रामवीर सिंह बिधूड़ी जैसे नामों पर चर्चा हो रही है।
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नई दिल्ली सीट को सत्ता की कुंजी माना जाता है। 1998 से 2013 तक शीला दीक्षित इसी सीट से जीतकर मुख्यमंत्री बनी थीं। 2013 से 2024 तक अरविंद केजरीवाल इस सीट से जीतकर दिल्ली के सीएम रहे। इस बार प्रवेश वर्मा ने इस सीट से जीत दर्ज की है, जिससे उनकी सीएम पद की दावेदारी मजबूत हो गई है।
प्रवेश वर्मा जाट समुदाय से आते हैं, जिससे दिल्ली और हरियाणा के जाट वोटरों को साधने में बीजेपी को फायदा मिल सकता है। हालांकि, उनके पिता साहिब सिंह वर्मा भी दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जिससे उन पर परिवारवाद के आरोप लग सकते हैं। ऐसे में बीजेपी इस पर विचार कर सकती है।
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रोहिणी विधानसभा सीट से विजेंद्र गुप्ता ने जीत दर्ज की है और उन्हें भी मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित दावेदार माना जा रहा है। वह दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। केजरीवाल सरकार के खिलाफ वह लगातार मुखर रहे हैं।
विजेंद्र गुप्ता वैश्य समुदाय से आते हैं, जो बीजेपी के लिए सियासी रूप से अहम माने जाते हैं। उनकी राजनीतिक पकड़ और अनुभव उन्हें मुख्यमंत्री पद की रेस में एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।
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मनोज तिवारी लगातार तीन बार से नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से सांसद हैं और पूर्वांचल समाज के बड़े नेता माने जाते हैं। उनकी लोकप्रियता और पूर्वांचल वोट बैंक पर मजबूत पकड़ बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकती है। हालांकि, वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़े हैं और बीजेपी में आने से पहले समाजवादी पार्टी (SP) में रह चुके हैं, जिससे उनकी दावेदारी थोड़ी कमजोर हो सकती है।
रामवीर सिंह बिधूड़ी गुर्जर समाज से आते हैं और दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं। वह लंबे समय तक विधायक रहे हैं और अभी दक्षिणी दिल्ली से सांसद हैं। चुनाव में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई, जिससे उनकी दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है।
बीजेपी किसे दिल्ली का नया मुख्यमंत्री बनाएगी, इसका फैसला पार्टी नेतृत्व करेगा। पार्टी दिल्ली के सियासी समीकरण और जातिगत संतुलन को ध्यान में रखकर फैसला ले सकती है। अब सभी की नजरें बीजेपी की अगली घोषणा पर टिकी हैं।