Delhi Election : 27 साल बाद वापसी करेगी BJP , इन 5 प्वाइंट्स से समझिए जीत का गणित!

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी 27 साल बाद सत्ता में वापसी करने जा रही है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के कई दिग्गज नेता हार का सामना कर रहे हैं। आइए जानते हैं वे 5 प्रमुख कारण, जिनकी वजह से बीजेपी ने दिल्ली में जीत की ओर कदम बढ़ाया।

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Siddhi Tamrakar
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दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ रहे हैं और अब तक के रुझानों से साफ है कि बीजेपी सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के कई दिग्गज नेता हार का सामना कर रहे हैं। बता दें कि बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करेगी।

आखिरी बार बीजेपी ने 1993 में दिल्ली विधानसभा चुनाव जीता था, लेकिन उसके बाद पार्टी को यहां सफलता नहीं मिली। इस बार चुनाव में बीजेपी ने कई मुद्दों को उठाया, जिसने मतदाताओं को प्रभावित किया। आइए जानते हैं वे 5 प्रमुख कारण, जिनकी वजह से बीजेपी ने दिल्ली में जीत की ओर कदम बढ़ाया।

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1. भ्रष्टाचार के मुद्दे ने आप की इमेज बिगाड़ी

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति (Excise Policy) को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसे बीजेपी ने चुनावी मुद्दा बनाया। शराब घोटाले की जांच में CBI और ED ने कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया, जिनमें मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन शामिल थे। BJP ने इस घोटाले को जनता के सामने प्रमुखता से रखा, जिससे आम आदमी पार्टी की इमेज पर काफी असर पड़ा।

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2. शीश महल पर बवाल

दिल्ली चुनाव में केजरीवाल का आलीशान सरकारी आवास बीजेपी के लिए बड़ा हथियार बन गया। पार्टी ने इसे "शीशमहल" नाम देकर प्रचार किया और दावा किया कि मुख्यमंत्री ने जनता के करोड़ों रुपए अपनी सुविधाओं पर खर्च कर दिए, जबकि वे खुद को "आम आदमी" बताते हैं।

बीजेपी ने इसे इतना जोर-शोर से उठाया कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम बड़े नेता इस मुद्दे को भुनाने में जुट गए। चुनावी सभाओं में "आम आदमी की सरकार या राजशाही?" जैसे नारे गूंजने लगे। जनता तक यह संदेश पहुंचाने में बीजेपी सफल रही और चुनावी नतीजों में भी इस मुद्दे का असर साफ नजर आया। केजरीवाल का "शीशमहल" चुनावी रणभूमि में बड़ा मुद्दा बनकर उभरा, जिसने उनकी छवि पर सीधा असर डाला।

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3. यूरोपीय लेवल की सड़कें बनाने का वादा

दिल्ली में सड़क, जल निकासी और सफाई व्यवस्था को लेकर जनता लंबे समय से परेशान थी। आप सरकार ने नगर निगम (MCD) का बहाना बनाकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की, लेकिन MCD में जीत के बाद भी हालात नहीं सुधरे। अरविंद केजरीवाल ने यूरोपीय लेवल की सड़कें बनाने का वादा किया था, लेकिन दिल्ली की सड़कें बदहाल रहीं, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ी।

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4. पीने के पानी की गुणवत्ता पर उठे सवाल

दिल्ली में गंदे पानी की सप्लाई बड़ा मुद्दा बन गई। एक कार्यक्रम में केजरीवाल ने नल का पानी पीकर इसे साफ बताया, लेकिन बीजेपी ने कई जगहों से गंदे पानी की तस्वीरें और वीडियो दिखाए। इससे लोगों को लगा कि दिल्ली जल बोर्ड साफ पानी देने में नाकाम रहा और यह चुनावी बहस का अहम हिस्सा बन गया।

5. 'आप-दा' बयान से बीजेपी ने साधा निशाना

एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी को 'आप-दा' (आपदा) कहा था। इसके बाद बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस शब्द का प्रचार करते हुए आम आदमी पार्टी को आपदा ही कहना शुरु कर दिया और उसकी नीतियों को दिल्ली के लिए नुकसानदायक बताया था। BJP के नेता और कार्यकर्ता इस बात को दिल्ली के लोगों तक पहुंचाने में सफल रहे। वोटर्स ने भी इस बात को समझा और बीजेपी के पक्ष में वोट किया।

27 साल बाद सत्ता में लौटेगी बीजेपी

दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने अपने मजबूत चुनाव प्रचार और रणनीति के दम पर 27 साल बाद सत्ता में वापसी का रास्ता साफ किया। भ्रष्टाचार, नागरिक सुविधाओं की स्थिति, मुख्यमंत्री आवास का विवाद, पानी की गुणवत्ता और प्रभावी चुनावी प्रचार जैसे मुद्दों ने बीजेपी को बढ़त दिलाने में मदद की। 

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