इस बार हमारे देश में 76वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा और गणतंत्र दिवस की सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड में अलग-अलग राज्यों की झांकियां देखने को मिलती हैं जो उनकी संस्कृति को दर्शाती हैं। इस बार भी गणतंत्र दिवस की परेड में मध्य प्रदेश की झांकी में कुछ खास देखने को मिलेगा। इस बार हमें देखने को मिलेगा कि इतने सालों में दिल्ली में कर्तव्य पथ पर मध्य प्रदेश में चीते की गति कैसी रही है।
चीता द प्राइड ऑफ इंडिया थीम
मप्र में कुल 12 राष्ट्रीय उद्यान, 24 वन्यजीव अभयारण्य और 3 संरक्षित बायोस्फीयर रिजर्व हैं। मध्य प्रदेश में चीता प्रोजेक्ट के बाद अब राज्य को 'चीता स्टेट' या 'टाइगर स्टेट' के नाम से भी जाना जाता है। इस बार गणतंत्र दिवस परेड में 'चीता द प्राइड ऑफ इंडिया' थीम पर आधारित झांकी देखने को मिलेगी। इस झांकी के जरिए मप्र में चीतों के ऐतिहासिक पुनरुद्धार को दिखाया जाएगा। मप्र के श्योपुर जिले में कूनो नदी के किनारे स्थित राष्ट्रीय कूनो अभयारण्य देश में चीतों का नया घर बन गया है जहां भोजन के साथ-साथ चीतों का प्राकृतिक आवास भी है।
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कूनो सेंचुरी झांकी की झलक
76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश की ओर से प्रस्तुत की गई झांकी में भारत में चीतों के सफल पुन: आगमन को दर्शाया गया है। थीम की टैगलाइन 'चीता द प्राइड ऑफ इंडिया' भी दर्शाती है कि चीते हमारे देश भारत के लिए गर्व की बात हैं। भारत कई वर्षों से चीतों के संरक्षण के लिए काम कर रहा है। बताया जा रहा है कि कूनो स्थित अभयारण्य में वयस्क और शावकों सहित कुल 24 चीते मौजूद हैं।
नन्हें चीता शावक देखने को मिलेंगे
झांकी की बात करें तो, झांकी के अग्र भाग में आपको कूनो राष्ट्रीय उद्यान के वयस्क चीतों का जोड़ा और कूनो में जन्मे नन्हें चीता शावक देखने को मिलेंगे। मध्य भाग में बहती कूनो नदी के साथ-साथ आसपास का वन क्षेत्र और वन्य जीव जैसे पक्षी, हिरण, चीते, बंदर और उनके प्राकृतिक आवास को भी दर्शाया गया है। झांकी के मध्य भाग के पिछले भाग में आपको चीता संरक्षण के बारे में बताते हुए 'चीता मित्र' नजर आएंगे। झांकी के अंतिम भाग में वॉच-टॉवर से वनकर्मी चीतों की निगरानी करते नजर आएंगे। साथ ही एलईडी पैनल के जरिए चीतों पर केंद्रित फिल्म भी दिखाई जाएगी।
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लहंगी नृत्य में कई कलाबाजियां
झांकी के दोनों ओर श्योपुर जिले का सहरिया आदिवासी नृत्य 'लहंगी' करते हुए नर्तक दल नजर आएंगे। आपको बता दें कि, लहंगी नृत्य लाठी थामे युवक करते हैं जिसमें लाठी पीटकर एक लय में ध्वनि उत्पन्न की जाती है। लहंगी नृत्य में कई कलाबाजियां भी देखने को मिलती हैं। यह लोक नृत्य मानसून के मध्य में किया जाता है। झांकी के दोनों ओर मप्र की यह कला संस्कृति भी देखने को मिलेगी जो मप्र की लोक कला संस्कृति को दर्शाएगी।