कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने रविवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि सरकार दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटें कम करने की योजना बना रही है। शिवकुमार ने परिसीमन प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस का विरोध जताया और कहा कि वे इसके खिलाफ लड़ेंगे। कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने भी इस पर केंद्र सरकार से स्पष्टता की मांग की है। सीएम सिद्धारमैया ने अमित शाह के बयान को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का उद्देश्य दक्षिणी राज्यों को नुकसान पहुंचाना हो सकता है।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री का तीखा विरोध
डीके शिवकुमार ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार का उद्देश्य दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटों को कम करना है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस प्रस्तावित परिसीमन का विरोध करती है और हम इससे संबंधित हर कदम का विरोध करेंगे। शिवकुमार ने चुनाव आयोग और अदालत में इस मुद्दे पर लड़ने का संकल्प लिया। उनका मानना है कि दक्षिणी राज्यों को नुकसान पहुंचाना सही नहीं है।
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सिद्धारमैया का बयान
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस आश्वासन को खारिज किया कि परिसीमन से दक्षिणी राज्यों को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि शाह के बयान से यह स्पष्ट होता है कि या तो उनके पास सही जानकारी नहीं है या फिर उनकी मंशा जानबूझकर दक्षिणी राज्यों को नुकसान पहुंचाने की है। सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार से यह स्पष्टता मांगी कि परिसीमन जनसंख्या के नवीनतम अनुपात या लोकसभा सीटों की वर्तमान संख्या पर आधारित होगा।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर भी बयान
शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस पार्टी महिला आरक्षण का समर्थन करती है, लेकिन ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव के खिलाफ है। उन्होंने इस मुद्दे पर पार्टी का रुख स्पष्ट किया और कहा कि यह हमारी पार्टी की नीति है।
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तमिलनाडु में परिसीमन पर उठे सवाल
तमिलनाडु के परिसीमन मुद्दे पर बात करते हुए शिवकुमार ने कहा कि परिसीमन प्रक्रिया को लागू करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है। उनका कहना था कि अगर परिसीमन किया जाना है, तो दो-तिहाई बहुमत होना चाहिए, और चूंकि वर्तमान में ऐसा बहुमत नहीं है, इसलिए परिसीमन संभव नहीं होगा।
केंद्र सरकार से स्पष्टता की मांग
सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि परिसीमन की प्रक्रिया कैसे और किन मानकों पर आधारित होगी। उनका कहना था कि अगर केंद्र सरकार निष्पक्षता दिखाना चाहती है, तो उसे इस पर पूरी स्पष्टता देनी चाहिए।