भरोसे की आवाज बनी वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन कोरोना के केस को लेकर अब क्या कह रहीं

कोविड-19 के दौरान बीमारी से जु़ड़ी हर जानकारी के उपलब्ध कराने की वजह से डॉ. सौम्या स्वामीनाथन भरोसे की अवाज बनीं थी। अब उनका बयान बढ़ते कोविड मामलों को लेकर सामने आया है।

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Rohit Sahu
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कोविड-19 के सबसे अनिश्चित दौर में विज्ञान की विश्वसनीय आवाज बनकर उभरीं एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. सौम्या स्वामीनाथन इस बार फिर से एक मजबूत भरोसा दे रही हैं।उन्होंने कोविड के बढ़ते केस को लेकर स्थित को स्पष्ट किया है। उनका कहना है कि टीकों के कारण विकसित हुई इम्यूनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) ने हमारे शरीर को वायरस के खिलाफ मजबूत रक्षा कवच प्रदान किया है।

क्या कोविड से घबराने की जरूरत? 

चेन्नई में आयोजित स्कोप 2025 सम्मेलन में डॉ. स्वामीनाथन ने बताया कि भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में कोविड-19 मामलों में जो हालिया वृद्धि देखी जा रही है, वह मुख्य रूप से ओमिक्रॉन के उप-वेरिएंट्स के कारण हो रही है। हालांकि इससे घबराने की जरूरत नहीं है।

वायरस के ये नए स्वरूप पहले की तुलना में कम घातक हैं। उनके अनुसार, टीकाकरण की व्यापक पहुंच और समय-समय पर बूस्टर डोज़ के इस्तेमाल से जनता की प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी मजबूत हो चुकी है कि संक्रमण के लक्षण सामान्यतः हल्के और अस्थायी होते हैं।

कोविड के मामले 3783 पहुंचे, 28 मौतें

देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे एक्टिव केसेज की संख्या 3783 तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 22 मई को भारत में 257 केस थे, जो 9 दिनों में लगभग 1300% बढ़ गए हैं। केरल में सबसे ज्यादा 1400 मामले हैं, जबकि महाराष्ट्र में 485 और दिल्ली में 436 एक्टिव केस हैं। जनवरी 2025 से अब तक कोरोना से 28 मौतें हो चुकी हैं, जिसमें बीते दो दिनों में 21 मौतें शामिल हैं।

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कोविड से बचने के लिए ये लोग रखें सावधानी

डॉ. स्वामीनाथन ने जोर देकर कहा कि संक्रमण के शुरुआती लक्षण जैसे बुखार, खांसी या सर्दी दिखने पर मास्क पहनना आवश्यक है, जिससे वायरस के फैलाव को रोका जा सके। इसके साथ ही, उन्होंने उच्च जोखिम वाले वरिष्ठ नागरिक और वे लोग जो शुगर, हाईबीपी या हार्ट और लंग्स से संबंधी  बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी।

डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने सभी से बुनियादी स्वास्थ्य नियमों का कड़ाई से पालन करने का आह्वान किया है: मास्क का उपयोग, नियमित हाथ धोना, और सार्वजनिक स्थानों पर साफ-सफाई का ध्यान रखना। उनका कहना है कि ये छोटे लेकिन प्रभावी कदम हमें न केवल वर्तमान कोविड-19 की लहर से बचा सकते हैं, बल्कि आने वाले किसी भी संक्रमण के लिए भी सुरक्षा कवच का काम करेंगे।

कौन हैं सौम्या स्वामीनाथन

डॉ. सौम्या स्वामीनाथन एक जानी-मानी भारतीय बाल रोग विशेषज्ञ (Pediatrician) और वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य, संक्रामक रोगों और बाल चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है। वर्तमान में एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) की अध्यक्षा हैं, जिसकी स्थापना उनके पिता और हरित क्रांति के जनक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन ने की थी। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में मुख्य वैज्ञानिक (Chief Scientist) के रूप में भी काम किया और कोविड-19 महामारी के दौरान वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मिसाल पेश की।

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डॉ. सौम्या की शिक्षा और पारिवार 

डॉ. सौम्या स्वामीनाथन का जन्म 2 मई 1959 को स्विट्ज़रलैंड में हुआ, लेकिन वह भारतीय मूल से हैं। वह महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन की बेटी हैं। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, दिल्ली से की और AIIMS से बाल रोग विशेषज्ञता (MD) प्राप्त की। बाद में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (USA) में बाल चिकित्सा और संक्रामक रोगों पर रिसर्च की।

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मेडिकल में रिसर्च और WHO में योगदान

AIIMS और अन्य संस्थानों में काम करते हुए डॉ. सौम्या ने टीबी और एचआईवी/एड्स पर स्पेशल रिसर्च की। 2009 में वह WHO से जुड़ीं और बाल स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख बनीं। बाद में वे WHO की उप-महानिदेशक और अंततः 2018 से 2022 तक पहली मुख्य वैज्ञानिक रहीं। इस दौरान उन्होंने कोविड-19 महामारी में नीति निर्माण, वैक्सीन रणनीति और विज्ञान-संचार में निर्णायक भूमिका निभाई।

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MSSRF में नई भूमिका

2022 में WHO छोड़ने के बाद डॉ. सौम्या ने एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) की अध्यक्षता संभाली, जो कृषि, पोषण और ग्रामीण विकास पर काम करता है। MSSRF उनके पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए सतत विकास और जलवायु अनुकूल समाधान खोजने का कार्य कर रहा है।उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में अपने योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री (2007) से सम्मानित किया गया है। 

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