मार्केट में ट्रेंड में हैं फूली हुई जैकेट, कौन कर रहा इसका भुगतान

देश के अलग-अलग राज्यों में बारिश के कारण ठंड बढ़ गई है। वहीं दिल्ली एनसीआर में भी ठंडी हवा चलने से लोग ठिठुर रहे हैं। ऐसे में मार्केट में गर्म कपड़ों की मांग भी तेज हो गई है। इसमें बॉम्बर, पफर या डाउन जैकेट काफी ट्रेंड में है।

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Jitendra Shrivastava
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देश के अलग-अलग राज्यों में बारिश होने से ठंड बढ़ गई है। वहीं दिल्ली एनसीआर में भी ठंडी हवा चलने से लोग ठिठुर रहे हैं। ऐसे में मार्केट में गर्म कपड़ों की मांग काफी बढ़ गई है। इसमें बॉम्बर, पफर या डाउन जैकेट काफी ट्रेंड में हैं। इसके लिए खरीदार हर कीमत देने के लिए तैयार हैं। ऐसे में जितनी अच्छी क्वालिटी होती है उतने ही ज्यादा कीमत होती है, लेकिन क्या आपने डक डाउन जैकेट के बारे में सुना है। अगर नहीं तो हम आपको बताने जा रहे हैं डाउन जैकेट के बारे में। बता दें ब्रांडेड स्टोर्स में इस जैकेट की कीमत 10 हजार से लाखों रुपए तक की है।

PETA की रिपोर्ट क्या कहती है?

  1. जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वाली एनजीओ PETA ने डाउन इंडस्ट्री के काले कारोबार की सच्चाई को उजागर किया है। PETA ने अपनी रिपोर्ट में मुनाफे के लिए बेबस पक्षियों के लिए किए जाने वाले अत्याचार के बारे में कहानी बताई। पक्षियों की छाती पर पंख की एक मुलायम परत को डाउन कहा जाता है।
  2. गार्मेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए डाउन सोने जितना कीमती होता है ऐसे पंखों के लिए बत्तख और हंस का शिकार किया जाता है। आमतौर पर पक्षियों को मारकर पंख निकाले जाते हैं। कई बार जिंदा ही पंख नोच लिए जाते हैं। जिससे आगे भी पंख निकाले जा सकें। पक्षियों की छाती से पंख निकालने का प्रोसेस काफी दर्दनाक होता है। 
  3. PETA की रिपोर्ट कहती है, इन पक्षियों को गर्दन या पंखों को पकड़कर उठाया जाता है। इसके बाद पंखों को पैरों के नीचे दबा लिया जाता है या फिर रस्सी के माध्यम से बाध दिया जाता है। इसके बाद पक्षियों की छाती से पंख नोंचे जाते हैं। कई बार पक्षियों की छाती से मांस भी फट जाता है।

स्टाइलिश डाउन जैकेट कैसे बनता है?

बता दें स्टाइलिश डाउन जैकेट डक डाउन से बनाया जाता है। इस जैकेट की देश विदेश में काफी मांग है। जैकेट को बनाने के लिए मैनुफैक्चरिंग कंपनी जैकेट बनाने के लिए सबसे पहले पंख या फिर फैदर और डाउन को अलग करती है। इसके बाद फैदर और डाउन को एयर चैम्बर में डाला जाता है। फिर हवा का प्रेशर दिया जाता है। इससे पंख उड़ने लगते हैं। इसके बाद फेदर नीचे बैठ जाता है और डाउन ऊपर आ जाता है। डाउन को निकालकर पॉलिस्टर या लिनिन जैसे कपड़ों के डिजाइन के लिए भेज दिया जाता है। इस प्रकार एक स्टाइलिश डाउन जैकेट बनकर तैयार हो जाता है।

डाउन जैकेट का क्रेज क्यों बढ़ा रहा?

रिपोर्ट के अनुसार डाउन एयर इंसुलेटर है, जो पक्षियों को शरीर गर्म रखने में सहायता करता है। यहीं कारण है कि मार्केट में डाउन से बने जैकेट, मैट्रेस या बेड कवर काफी पसंद किए जाते हैं। ये सफेद और ग्रे दोनों रंग के हो सकते हैं। डाइन जैकेट की आवश्यकता ऐसे देशों में ज्यादा होती है जहां पर तापमान माइनस डिग्री तक चला जाता है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन, न्यूजीलैंड, कनाडा, वियतनाम और हंगरी जैसे देशों में इसकी मांग काफी ज्यादा होती है।

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