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ईडी ने अहमदाबाद स्थित प्रमुख गुजराती समाचार पत्र 'गुजरात समाचार' के कार्यालयों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई के बाद, समाचार पत्र के मालिकों में से एक बाहुबली शाह को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, उन्हें स्वास्थ्य आधार पर हाईकोर्ट से 15 दिन की अंतरिम जमानत मिल गई।
कांग्रेस ने इस कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए इसे लोकतंत्र की आवाज दबाने की साजिश बताया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सत्ता को आईना दिखाने वाले अखबारों पर ताले लगाए जाते हैं, तब लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने यह भी कहा कि देश न डंडे से चलेगा, न डर से-भारत चलेगा सच और संविधान से।
कांग्रेस का केंद्र सरकार पर हमला
कांग्रेस ने इस कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि 'गुजरात समाचार' को खामोश करने की कोशिश सिर्फ एक अखबार की नहीं, बल्कि पूरे लोकतंत्र की आवाज दबाने की साजिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता को आईना दिखाने वाले अखबारों पर ताले लगाए जाते हैं, तब लोकतंत्र खतरे में है।
राहुल गांधी का बयान
राहुल ने 'एक्स' पर लिखा, "गुजरात समाचार को खामोश करने की कोशिश सिर्फ एक अखबार की नहीं, पूरे लोकतंत्र की आवाज दबाने की साजिश है। जब सत्ता को आईना दिखाने वाले अखबारों पर ताले लगाए जाते हैं, तब समझ लीजिए लोकतंत्र खतरे में है।" उन्होंने यह भी कहा कि बाहुबली शाह की गिरफ्तारी डर की उसी राजनीति का हिस्सा है, जो अब मोदी सरकार की पहचान बन चुकी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश न डंडे से चलेगा, न डर से-भारत चलेगा सच और संविधान से।
गुजरात समाचार को खामोश करने की कोशिश सिर्फ एक अख़बार की नहीं, पूरे लोकतंत्र की आवाज़ दबाने की एक और साज़िश है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 16, 2025
जब सत्ता को आईना दिखाने वाले अख़बारों पर ताले लगाए जाते हैं, तब समझ लीजिए लोकतंत्र खतरे में है।
बाहुबली शाह की गिरफ्तारी डर की उसी राजनीति का हिस्सा है, जो अब मोदी…
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लोकतंत्र की स्वतंत्रता पर सवाल
कांग्रेस नेताओं ने इस कार्रवाई को लोकतंत्र की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए कहा कि मीडिया की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आधारशिला है। जब मीडिया को दबाया जाता है, तो यह लोकतंत्र की हत्या के समान है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन करने की भी योजना बनाई है।
ईडी की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया
प्रवर्तन निदेशालय की इस कार्रवाई पर विभिन्न राजनीतिक दलों और मीडिया संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ ने इसे सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया संस्थानों को दबाने की कोशिश बताया, जबकि कुछ ने इसे कानून के तहत उचित कार्रवाई बताया। इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस जारी है।
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