चुनाव आयोग ने दो फेज के वोटिंग turnout का फाइनल डेटा किया जारी, विपक्ष ने उठाए सवाल, जानें एमपी की सीटों का अंतर

देश में इन दिनों लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है। 7 चरणों में लोकसभा चुनाव की शुरुआत 19 अप्रैल से हुई और 26 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग हुई। इस मतदान के बाद चुनाव आयोग वोटिंग प्रतिशत का आंकड़ा जारी करता है, लेकिन इसी मुद्दे पर अब सियासत गरमा गई है....

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Sandeep Kumar
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BHOPAL. भारत निर्वाचन आयोग ( Election Commission of India ) ने लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Election ) के पहले और दूसरे फेज की वोटिंग का फाइनल डेटा जारी किया। पहले चरण में 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान हुआ। चुनाव आयोग ( election Commission )  के पोल पैनल के मुताबिक, पहले चरण में, 66.22 प्रतिशत पुरुष और 66.07 महिला मतदाता मतदान करने आए। थर्ड जेंडर वोटर्स का मतदान प्रतिशत 31.32 प्रतिशत रहा। दूसरे चरण में पुरुष मतदान 66.99 प्रतिशत, जबकि महिला मतदान 66.42 प्रतिशत रहा। थर्ड जेंडर की वोटिंग 23.86 प्रतिशत रही। विपक्षी दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और CPM ने देरी से फाइनल डेटा आने पर चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए। विपक्ष का कहना है कि आमतौर पर यह आंकड़ा मतदान के 24 घंटों के भीतर जारी कर दिया जाता है, लेकिन इस बार यह काफी देर से जारी हुआ है। दरअसल, 18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए फर्स्ट फेज की वोटिंग 102 सीटों पर 19 अप्रैल को हुई थी। वहीं, 88 सीटों के लिए सेकंड फेज की वोटिंग 26 अप्रैल को हुई थी।

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एमपी में मतदान प्रतिशत में आई गिरावट

पहले चरण की छह सीटों सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा में वर्ष 2019 में औसत मतदान 75.23 प्रतिशत हुआ था, जो इस बार 67.75 रहा, यानी 7.48 प्रतिशत की गिरावट आई। दूसरे चरण की छह सीटें रीवा, सतना, खजुराहो, दमोह, टीकमगढ़ और होशंगाबाद में इस चुनाव में औसत मतदान 58.59 प्रतिशत हुआ, जबकि 2019 में प्रतिशत 67.65 प्रतिशत था, यानी 9.06 प्रतिशत की गिरावट आई।

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कांग्रेस ने देरी पर उठाए सवाल

इस आंकड़े के आने से पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग ( ECI) के लिए चुनाव संबंधी सभी आंकड़ों के बारे में समय पर और पारदर्शी होना जरूरी है । आयोग को आंकड़े सामने लाने चाहिए और उन्हें सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में पूछा, पहली बार, पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और दूसरे चरण के चार दिन बाद भी, ECI द्वारा अंतिम मतदान प्रतिशत जारी नहीं किया गया है। पहले, ईसीआई मतदान के तुरंत बाद अंतिम मतदान प्रतिशत जारी करता था। आमतौर पर यह मतदान के 24 घंटों के भीतर जारी होता है। लेकिन ईसीआई की वेबसाइट पर केवल अनुमानित मतदान के आंकड़े उपलब्ध हैं, इस देरी का कारण क्या है।

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वोटरों की संख्या क्यों नहीं बताते?

CPI( M ) नेता सीताराम येचुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सवाल उठाए और पहले दो चरणों के लिए पारदर्शिता की मांग की। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ECI के पहले दो चरणों में मतदान का आंकड़ा शुरुआती आंकड़ों से काफी अधिक है। उन्होंने पूछा, प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की पूरी संख्या क्यों नहीं बताई जाती? जब तक यह आंकड़ा ज्ञात न हो, आंकड़ा निरर्थक है। वे बोले, नतीजों में हेरफेर की आशंका बनी हुई है क्योंकि गिनती के समय कुल मतदाता संख्या में बदलाव किया जा सकता है।  2014 तक प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या हमेशा ईसीआई वेबसाइट पर उपलब्ध थी। ईसीआई को पारदर्शी होना चाहिए और इस डेटा को बाहर रखना चाहिए।

कहां कितना हुआ मतदान ?

बता दें कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में मतदान के पहले चरण में लक्षद्वीप ( 84.1 प्रतिशत ) में सबसे अधिक मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया है, जबकि बिहार ( 49.26 प्रतिशत ) में 19 अप्रैल को मतदान होने वाले 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे कम मतदान दर्ज किया गया है। दूसरे चरण के मतदान की बात करें तो मणिपुर में सबसे अधिक 84.85 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे कम 55.19 प्रतिशत मतदान हुआ।

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