हम आपको बता रहे हैं चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी मेघा इंजीनियरिंग की कहानी… हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग ( Megha Engineering ) ने पांच साल में कुल 966 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे हैं। एक किसान के बेटे और मेघा इंजीनियरिंग के मालिक पीपी रेड्डी ने महज 5 लाख रुपए से अपने बिजनेस की शुरुआत की थी...
दो कर्मचारियों से शुरू हुआ था सफर
कंपनी का पूरा नाम मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ( MEIL ) है। इसकी शुरुआत एक छोटी कॉन्ट्रेक्टिंग कंपनी के रूप में हुई थी, जो अब देश की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में से एक बनकर उभरी है। 1989 में बनी इस कंपनी का हेडक्वार्टर हैदराबाद में है और इसके मालिक पीपी रेड्डी ( पामिरेड्डी पिची रेड्डी ) हैं। खास बात यह है कि पीपी रेड्डी ने अपनी मेहनत के दम पर ही इतना बड़ा कारोबार खड़ा किया है। उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था और उनके पिता भी किसान थे। उनके परिवार का कारोबार से दूर तक लेना देना नहीं था। वह अपने मां- बाप की पांचवीं संतान हैं। उन्होंने जब कारोबार की शुरुआत की तो केवल दो कर्मचारी ही हुआ करते थे। अब रेड्डी भारत के धनकुबेरों में शामिल हैं। फरवरी 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीपी रेड्डी का 67500 करोड़ का साम्राज्य है। फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक उनकी कुल संपत्ति 16591 करोड़ की है। 31 सितंबर, 2023 तक, MEIL के पास 1.87 लाख करोड़ रुपए के ऑर्डर बुक थे। 2024 के पहले छह महीनों में, MEIL (एकल आधार पर) ने 14,341 करोड़ का राजस्व और 1,345 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में क्रमशः 13,057 करोड़ रुपए और 1,532 करोड़ रुपए था।
दो लाख कर्मचारी करते हैं काम
मेघा समूह करीब 35 वर्षों में करीब 67500 करोड़ की कंपनी बन गई है। 1989 में 4-5 लोगों के साथ शुरू हुई इस कंपनी में आज दो लाख के करीब लोग काम कर रहे हैं। मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MIEL) के प्रोमोटर पीपी रेड्डी और पीवी कृष्णा रेड्डी (चाचा-भतीजा) की कुल संपत्ति 2023 में 4.05 अरब डॉलर थी और वे फोर्ब्स की लिस्ट में 54वें नंबर के अमीर भारतीय थे। 2021 में इनकी संपत्ति 2.7 अरब डॉलर थी, जबकि अगले ही साल 4.1 अरब डॉलर हो गई थी।
पाइप बनाने से की शुरुआत
पीपी रेड्डी ने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद वह एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने लगे। बाद में उन्हें कारोबार करने का आइडिया आया और 1989 में अपना बिजनेस शरू कर दिया। शुरू में उन्होंने छोटे पाइप बनाने का काम शुरू किया। इसके बाद उन्होंने भारत के सबसे बड़े लिफ्ट सिंचाई प्रोजेक्ट का टेंडर ले लिया। सफलता मिली तो कंपनी सड़कों और बांधों के निर्माण का काम भी करने लगी। पीपी रेड्डी की कंपनी ने ही तेलंगाना में कलेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजाना को पूरा किया था। गोदावरी नदी पर बने इस बांध से 13 जिलों में करीब 18.26 लाख एकड़ जमीन की सिंचाी होती है।
देश के बड़े बिजनेस टाइकून
पीपी रेड्डी का नाम भारत के सबसे अमीर बिजनेस टाइकून में से एक है। हैदराबाद में उनका आलीशान बंगला है। उनके बंगले का नाम डायमेंड हाउस है। इस बंगले में सुख सुविधा की हर चीज मौजूद है। वहीं उनका एक निजी गोल्फ कोर्स भी है।
MEIL ने कई बड़ी परियोजनाओं को पूरा किया
- जोजिला सुरंग परियोजना
- भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए एक प्रमुख स्टेशन का निर्माण
- सिटी गैस का मैनेजमेंट
इन क्षेत्रों में काम करती है कंपनी
- हाइड्रोकार्बन: तेल और गैस पाइपलाइन, रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल संयंत्र
- परिवहन: सड़कें, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह
- ऊर्जा: बिजली संयंत्र, पारेषण और वितरण नेटवर्क
- सिंचाई: नहरें, बांध, जल भंडारण
- पीने का पानी: जल उपचार संयंत्र, पाइपलाइन
विवादों से है पुराना नाता
मेघा इंजीनियरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर (MEIL) कंपनी कई विवादों के कारण भी चर्चा में रही है।
- अक्टूबर 2019 में, आयकर विभाग ने कथित अनियमितताओं के लिए कंपनी के दफ्तरों पर छापा मारा था।
- पिछले साल, सरकार ने चीनी इलेक्ट्रिक कार निर्माता BYD और उसके सहयोगी MEIL के इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण संयंत्र स्थापित करने के 1 बिलियन डॉलर के निवेश प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
- अब चुनावी बॉन्ड को लेकर कंपनी विवादों में है।
एक ही दिन बॉन्ड के साथ ट्रस्ट से भी दिया चंदा
इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने में दूसरे नंबर पर रही मेघा इंजीनियरिंग समूह जिस वक्त चुनावी बॉन्ड खरीद रही थी, उसी वक्त ट्रस्ट के जरिए भी पार्टियों को मोटा चंदा दे रही थी। मेघा इंजीनियरिंग द्वारा संचालित प्रूडेंट ट्रस्ट की सालाना ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि 2022-23 में 17 जून, 2022 से 19 मार्च, 2023 के बीच प्रूडेंट ट्रस्ट ने 26 बार में पांच पार्टियों को 363 करोड़ 15 लाख रुपए दिए। बता दें कि कॉरपोरेट्स को ट्रस्ट के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा दिए जाने की व्यवस्था साल 2013 में बनी थी। प्रूडेंट ट्रस्ट भी तभी बनाया गया था। ट्रस्ट के जरिए चंदा किसने दिया और किसे दिया, यह बात चुनाव आयोग को सौंपी जाने वाली सालाना ऑडिट रिपोर्ट के जरिए सार्वजनिक हो जाती है।
किस पार्टी को कितनी बार ट्रांसफर हुई रकम
- बीजेपी- 17 बार
- वायरआरएस कांग्रेस- 4 बार
- आप- दो बार
- बीआरएस- दो बार
- टीआरएस- एक बार
प्रूडेंट ट्रस्ट को 2022-23 में कितना मिला चंदा
प्रूडेंट ट्रस्ट को 25 जून, 2022 से 28 मार्च, 2023 के बीच 42 बार में 363 करोड़ 16 लाख रुपए प्राप्त हुए थे। मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने चार बार में 87 करोड़ रुपए दिए थे। इनमें से 75 करोड़ तो दो दिन (6 और 7 जुलाई) में ही दिए गए थे। बाकी 12 करोड़ 15 नवंबर को दिए गए थे। जिस जुलाई में मेघा इंफ्रा ने प्रूडेंट ट्रस्ट को 75 करोड़ राजनीतिक चंदा देने के लिए दिए, उसी महीने 50 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड भी खरीदे। 125 करोड़ का यह चंदा 5 से 8 जुलाई (2022) के बीच दिया गया।
माह-दर-माह इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे
- मेघा इंजीनियरिंंग ने 5 और 8 जुलाई 2022 को 25-25 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। फिर उसी साल 10 अक्तूबर को भी दस करोड़ के बॉन्ड खरीदे। 14 नवंबर, 2022 को मेघा ने फिर 12 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड लिए। 12 दिसंबर को 56 करोड़ और 27 जनवरी, 2023 को भी कंपनी की ओर से 40 करोड़ का चुनावी बॉन्ड खरीदा गया।
- मेघा इंजीनियरिंग ने अप्रैल 2019 से नवंबर 2023 के बीच कुल 1232 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग के जरिए सार्वजनिक हुई जानकारी के मुताबिक यह ग्रुप इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की सूची में ऊपर से दूसरे नंबर पर (फ्यूचर गेमिंग के बाद) है।