गठबंधन सरकार : यूनिफॉर्म सिविल कोड समेत लटक सकते है कई बड़े रिफार्म
गठबंधन में अहम भूमिका निभाने वाली JDU और TDP के अपने- अपने हित हैं। अतीत में एन. चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार दोनों के भाजपा के साथ उतार- चढ़ाव भरे रिश्ते रहे हैं।
लोकसभा चुनाव परिणामों में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में वह सहयोगी दलों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार चलाएगी। हालांकि यह गठबंधन बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि यही 'गठबंधन' उसके पिछले कई बड़े फैसलों और रिफॉर्म्स को लागू करने में रोडा बन सकता है। दरअसल, गठबंधन में अहम भूमिका निभाने वाली JDU और TDP के अपने- अपने हित हैं। अतीत में एन. चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार दोनों के भाजपा के साथ उतार- चढ़ाव भरे रिश्ते रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे में भाजपा को 10 सालों से जारी सुधार के अहम कदमों, प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डालने पड़ सकते हैं।
पीएम मोदी लगातार कह रहे थे कि तीसरा कार्यकाल बड़े बदलावों का होगा, बड़े रीफॉर्म का होगा। उन रीफॉर्म में एक देश एक चुनाव, यूनिफॉर्म सिविल कोड और कुछ हद तक जनसंख्या कानून भी शामिल था। लेकिन अब गठबंधन की सरकार में एक ऐसी सरकर जहां पर क्षेत्रीय दल सिर्फ अपने लिए बड़े मंत्रालय नहीं मांगेंगे, बल्कि इसके ऊपर सरकार की कई योजनाओं में हस्तक्षेप भी करेंगे।
विनिवेश : JDU सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विनिवेश के विरोध में रही है। भाजपा को इससे कदम पीछे खींचने पड़ सकते हैं। पार्टी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की भी मांग करती रही है।
मुस्लिम आरक्षण : TDP ने 2018 में आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा न देने के मुद्दे पर भाजपा से नाता तोड़ लिया था। अब वह फिर मांग दोहरा सकती है। यही नहीं, आंध्र में मुस्लिमों को 4% आरक्षण के मुद्दे पर भी दोनों पार्टियों के अहम टकरा सकते हैं।