सरिता लिंग बदलकर बनी शरद, शादी के बाद बने पिता, पत्नी ने दिया बच्चे को जन्म
यूपी के रहनी वाली सरिता लिंग परिवर्तन कराकर शरद सिंह बन गईं। इसके बाद उन्होंने सविता से शादी की और अब वह पिता बन गए हैं। जानें उनकी लिंग परिवर्तन से लेकर शादी और पिता बनने की कहानी और अपने परिवार के इस नए अध्याय के बारे में...
शरद सिंह का जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है, जिसने समाज की पारंपरिक धारा से बाहर जाकर खुद को पहचानने और स्वीकारने की साहसिक राह अपनाई। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के एक क्रांतिकारी परिवार में जन्मी सरिता सिंह ने अपने जीवन को एक नई दिशा दी, जब उन्होंने अपना जेंडर चेंज (gender change) कराने का फैसला किया। आज वह शरद सिंह के नाम से जाने जाते हैं और हाल ही में उनके और उनकी पत्नी सविता सिंह के घर बेटे की किलकारी गूंज उठी है।
शरद का जेंडर चेंज: एक साहसिक कदम
शरद का जन्म एक लड़की के रूप में हुआ था, लेकिन उनकी मन की भावनाएं पुरुषों जैसी थीं। वे लड़कों जैसे कपड़े पहनना और छोटे बाल रखना पसंद करते थे। इसके चलते समाज में अक्सर उन पर सवाल उठाए जाते थे। उनका मानना था कि उन्हें अपनी असली पहचान अपनानी चाहिए। शरद ने अपने अंदर की भावनाओं को समझते हुए 2021 में हार्मोन थेरेपी ( hormone therapy ) से अपनी शारीरिक बदलाव की शुरुआत की। लखनऊ में हार्मोन थेरेपी के बाद उनकी आवाज में बदलाव आया और गालों पर दाढ़ी भी उग आई।
शरद ने 2023 में इंदौर जाकर जेंडर चेंज (gender change surgery) की सर्जरी कराई। इस प्रक्रिया के बाद, उन्हें सरिता से शरद के रूप में नया जीवन मिला। इस समय के जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने शरद को उनका नया नाम और पहचान प्रदान की। शरद अब शारीरिक रूप से और कानूनी रूप से एक पुरुष के रूप में जीवन जीने लगे थे।
सरिता से शरद बन की शादी अब बने पिता
शरद ने अपनी महिला मित्र सविता से शादी की, और दोनों एक खुशहाल परिवार की शुरुआत की। सविता ने 2025 में एक बेटे को जन्म दिया, जिससे शरद अब पिता बन गए हैं। यह यात्रा केवल उनके व्यक्तिगत जीवन की ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक उदाहरण है कि कैसे किसी को अपनी असली पहचान को अपनाने का हक होना चाहिए। शरद और सविता दोनों इस खुशी के पल को आपस में साझा कर रहे हैं और अपने बेटे की परवरिश के लिए तैयार हैं।
शरद और सविता की यात्रा एक प्रेरणा देती है कि समाज के बंधनों को तोड़कर खुद को पहचानने और अपना जीवन अपने तरीके से जीने का साहस जरूरी है। शरद की कहानी बताती है कि अगर आप सच्चे हैं तो दुनिया आपकी सच्चाई को समझेगी। शरद अब एक सहायक अध्यापक के रूप में काम कर रहे हैं, और उनका जीवन एक नये अध्याय में प्रवेश कर चुका है।