सांप के जहर की काट के लिए सरकार ने उठाया यह कदम, अब ऐसे होगा बचाव

केंद्र सरकार ने लोगों को सांप के जहर से बचाव के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। इसका मकसद रोग के प्रसार को नियंत्रित करने के अलावा उससे बचाव के लिए समय रहते उचित कदम उठाना शामिल है।

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Dr Rameshwar Dayal
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भारत की आधी से अधिक आबादी गांवों में निवास करती है। इसके चलते वहां के लोगों जानवरों, सांपों आदि जीव-जंतुओं से जान का खतरा बना रहता है। माना जाता है कि इनके हमलों में हर साल बड़ी संख्या में लोग काल का ग्रास बन जाते है। इस कड़ी में केंद्र सरकार ने लोगों को सांप के जहर से बचाव के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। अब सापों को काटने के मामले को 'सूचित करने योग्य रोग' (Notifiable diseases) में शामिल कर लिया गया है। इस निर्णय का मकसद रोग के प्रसार को नियंत्रित करने के अलावा उससे बचाव के लिए समय रहते उचित कदम उठाना भी शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सांप के काटने से होने वाली मौतों की संख्या वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक भारत में है।

कौन सा नया कदम उठाया गया? 

इस मसले को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के स्वास्थ्य सचिवों को पत्र लिखा है, जिसमें बताया गया है कि सांप काटना सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है। कुछ मामलों में यह मृत्यु, बीमारी और विकलांगता का कारण बनता है। किसान, आदिवासी आबादी आदि इसके अधिक जोखिम में हैं। उन्होने सचिवों से आग्रह किया है कि राज्य सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम या अन्य लागू कानून के तहत प्रासंगिक प्रावधानों के तहत सर्पदंश के मामलों और मौतों को ‘सूचित करने योग्य रोग’ बनाया जाए। पत्र में सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं (मेडिकल कॉलेजों सहित) से आग्रह किया गया है कि वे सभी संदिग्ध संभावित सर्पदंश मामलों और मौतों की रिपोर्ट को सूचित करें। देश में लगभग 90 प्रतिशत सांप काटने के मामलों के लिए कॉमन क्रेट, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर जिम्मेदार हैं।

सूचित करने योग्य रोग क्या है?

असल में सूचित करने योग्य रोग (Notifiable Diseases) वे संक्रामक या गैर-संक्रामक रोग होते हैं, जिन्हें सरकार या स्वास्थ्य संस्थानो को रिपोर्ट करना अनिवार्य होता है। इन रोगों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को इसलिए दी जाती है ताकि रोग के प्रसार को नियंत्रित किया जा सके और समय रहते उचित कदम उठाए जा सकें। ऐसा किए जाने से सूचित रोगों के फैलने की स्थिति में त्वरित कार्रवाई कर महामारी को रोका जा सकता है। इस निर्णय का एक लाभ यह मिलेगा कि इनकी रिपोर्टिंग से स्वास्थ्य डेटा संग्रह में मदद मिलती है। साथ ही सरकार को स्वास्थ्य योजनाओं और नीतियों के निर्माण में सहायता मिलती है। भारत में जिन रोगों को सूचित करने योग्य श्रेणी में रखा गया है, उनमें तपेदिक (TB), मलेरिया, डेंगू, हैजा, कोविड-19, प्लेग आदि शामिल हैं। वैसे हर देश में सूचित करने योग्य रोगों की सूची स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित की जाती है और डॉक्टरों व लेबोटरीज को ऐसे रोगों की जानकारी सरकारी एजेंसियों को देनी होती है।

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सर्पदंश से कितने लोग मारे जाते हैं?

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में हर साल औसतन 30 से 40 लाख सर्पदंश की घटनाएं होती हैं, इनमें से करीब लगभग 50 हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। यह वैश्विक स्तर पर सांप काटने वाली मौतों का आधा हिस्सा है। हालांकि इन मामलों की रिपोर्टिंग बहुत कम की जाती है। भारत में सांपों की लगभग 300 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से लगभग 15 प्रतिशत प्रजातियां ही जहरीली (विषैली) होती हैं। भारत में मुख्य रूप से चार सबसे जहरीले सांपों के कारण ही लोगों की मौत होती है। इनमें कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर प्रमुख हैं। ये सांप भारत में अधिकांश सांप काटने की घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं। बाकी सांप या तो गैर-जहरीले होते हैं या हल्के विषैले होते हैं, जिनका विष मनुष्यों के लिए घातक नहीं होता। वैसे इन घातक सांपों से बचाव के लिए दवा ‘पॉलीवैलेंट एंटी-स्नेक वेनम’ 80 प्रतिशत मामलों में प्रभावी है। सर्पदंश के रोगियों के उपचार के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी चिंता का विषय बनी हुई है।

सर्पदंश मौतों को आधा करने का लक्ष्य

इस साल मार्च माह में परिवार कल्याण मंत्रालय ने सर्पदंश की समस्या से निपटने के लिए सर्पदंश के रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPSE) शुरू की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, कार्य योजना का उद्देश्य वर्ष 2030 तक सर्पदंश से संबंधित मौतों को आधा करना है। इस योजना में सर्पदंश प्रबंधन, नियंत्रण और रोकथाम में शामिल लोगों या स्टाफ की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां तय करना शामिल हैं। साथ ही इसका एक प्रमुख उद्देश्य देश में सर्पदंश के मामलों और मौतों की निगरानी को बढ़ावा देना है। मंत्रालय का कहना है कि भारत में सर्पदंश के मामलों और मौतों की निगरानी को मजबूत करना है। इसीलिए सर्पदंश निगरानी को मजबूत करने के लिए सभी सर्पदंश मामलों और मौतों की अनिवार्य अधिसूचना की आवश्यकता है। इसका पॉजिटिव परिणाम यह होगा कि विशेषज्ञों को सर्पदंश पीड़ितों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार कारकों, उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों आदि का सटीक आकलन करने में मदद मिलेगी और उनका प्रभावी तरीके से इलाज हो पाएगा। 

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पूरी दुनिया मे सर्पदंश के क्या हैं हालात?

पूरी दुनिया में सांपों की लगभग 3 हजार 900 से अधिक ज्ञात प्रजातियां हैं। इनमें से लगभग 600 प्रजातियां विषैली होती हैं। हालांकि, इनमें से केवल 200 प्रजातियां ही इंसानों के लिए घातक मानी जाती हैं, जबकि अधिकांश सांप विषहीन होते हैं। दुनिया के इन विषैले सांपों में कोबरा, वाइपर, करैत, टाइपैन, ब्लैक माम्बा आदि प्रमुख हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर साल सांप के काटने से लगभग 81 हजार से 1 लाख 38 हजार लोगों की मौत हो जाती है। यह आंकड़ा अनुमानित है क्योंकि कई मामले दर्ज नहीं हो पाते। इसके अलावा, लाखों लोग हर साल सांप के काटने से गंभीर रूप से घायल होते हैं या विकलांग हो जाते हैं। दुनिया में सबसे अधिक सर्पदंश की घटनाएं भारत और दक्षिण एशिया, अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका में होती हैं।

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