/sootr/media/media_files/z8m8BKhllGq2WnEBRpiG.jpg)
प्रधानमंत्री का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन ( Green Hydrogen Mission ) तेजी से रफ्तार पकड़ रहा है। इसी के साथ देश के कई इलाकों में ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन शुरू हो गया है। कीमत ज्यादा होने की वजह से लोग इसके उपयोग से कतरा रहे हैं। हालांकि अब आईआईटी भिलाई ने इसका भी विकल्प तलाश लिया है।
उन्होंने सीएनजी के साथ 15 प्रतिशत ग्रीन हाइड्रोजन को मिलाकर उपयोग करने में प्रायोगिक तौर पर सफलता हासिल कर ली है। साथ ही अब इसे बड़े पैमाने पर उपयोग में लाने की तैयारी चल रही है।
मध्यप्रदेश में भी सीएनजी का चलन
आईआईटी भिलाई के रसायन विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. संजीब बनर्जी ने बताया कि मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में सीएनजी का चलन है।
जानकारी के मुताबिक दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, कोरबा में सीएनजी स्टेशन खुल रहे हैं। हाइड्रोजन की तुलना में सीएनजी कम ज्वलनशील होती है।
इसलिए 85 प्रतिशत सीएनजी में 15 प्रतिशत हाइड्रोजन मिलाकर वाहनों और उद्योगों में उपयोग किया जा सकता है।
दरअसल सीएनजी से गाड़ी चलाने पर उसका माइलेज पेट्रोल की तुलना से अधिक होता है। सुरक्षा की दृष्टि से इसे खतरनाक भी नहीं माना जाएगा।
हाइड्रोजन मिशन 2030
जानकारी के मुताबिक ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य 2030 रखा गया है। लेकिन दोनों गैसों के मिश्रण से काफी पहले इसको हासिल किया जा सकता है।
हाइड्रोजन को सस्ता करने की कोशिश
फ्यूल सेल के रूप में कार में ही हाइड्रोजन पैदा कर सकेगे। वहीं जरूरत के हिसाब से कारखानों में भी बड़ी-छोटी यूनिट बनाकर लगाई जा सकेंगी।
आपको बता दें कि हाइड्रोजन अभी 300 रुपए किलो यानी पेट्रोल से तीन गुना महंगा है। हालांकि
आईआईटी की टीम आने वाले दिनों में नए प्रयोग कर रही है। इस प्रयोग के कारण ग्रीन हाइड्रोजन के दाम 100-150 रुपए किलो तक पहुंच सकते हैं।
एक लीटर पेट्रोल से जितनी गाड़ी चलती है, उससे कई किलोमीटर ज्यादा आधा लीटर हाइड्रोजन से चल जाएगी। इसी के साथ मोदी सरकार के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य 2030 तक 5 मिलियन टन का उत्पादन करना है।
इलेक्ट्रोलाइजर
पहले कार और अन्य सीएनजी से चलने वाले वाहनों में सीएनजी के साथ हाइड्रोजन एनर्जी का उपयोग किया जाएगा। जब इसका उपयोग बढ़ जाएगा तो वाहनों और उद्योगों में हाइड्रोजन एनर्जी प्रोड्यूस करने वाला यंत्र ( इलेक्ट्रोलाइर ) को उपलब्ध कराया जाएगा।
जिससे वाहनों में ही पानी का विघटन करके हाइड्रोजन एनर्जी पैदा की जा सकेगी।
पर्यावरण को नुकसान नहीं
ग्रीन एनर्जी के रूप में हाइड्रोजन एनर्जी एक बड़ा विकल्प है। इसके उपयोग से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।
इसके उपयोग वाहनों में कैसे किया जाए। इस पर आईआईटी के एक्सपर्ट लगातार शोध कर रहे हैं। प्रायोगिक तौर पर बड़ी सफलता मिली सकती है।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक