BHOPAL. वासुकी नाग ( Vasuki Naga ) की कहानी तो आपने जरूर सुनी होगी। वासुकी को भगवान शेषनाग का भाई माना गया है। भगवान शिव ने जिस सांप को गले में धारण किया है, वह वासुकी हैं। जब समुद्र मंथन हुआ तो रस्सी की जगह वासुकी को मेरु पर्वत पर बांधा गया था। वासुकी नाग की कई कहानियां हैं, जो सनातन धर्म से जुड़ी पौराणिक ग्रंथों में मिलती हैं। फिलहाल गुजरात में खुदाई के दौरान IIT रुड़की के वैज्ञानिकों को कुछ ऐसा मिला है, जो इस तरह के विशालकाल जीवों के अस्तित्व की पुष्टि करता है। वैज्ञानिकों ने कच्छ में सांपों के जीवाश्म को प्राप्त किया है। यह अब तक का सबसे बड़ा सांप है। इसकी लंबाई 11-15 मीटर और गोलाई 17 इंच थी। इसे वैज्ञानिकों ने वासुकी इंडिकस ( Vasuki Indicus ) नाम दिया है। फिलहाल, आज का सबसे बड़ा जीवित सांप एशिया का 10 मीटर (33 फीट) का जालीदार अजगर है।
ये खबर भी पढ़िए...Narayana Murthy : इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति के अरबपति पोते ने कमाए 4 करोड़
11-15 मीटर के बीच हो सकती है सांप की लंबाई
प्रोफेसर सुनील बाजपेयी का कहना है कि माइथोलॉजी में भगवान शिव के गर्दन में लिपटे सांप वासुकी के नाम से प्रेरित होकर नाम रखा है। दोनों सांपों का आपस में संबंध नहीं है। सांप की लंबाई 11-15 मीटर के बीच हो सकती है। इस प्रजाति के सांप के अवशेष नॉर्थ अफ्रीका में मिलते हैं।
ये खबर भी पढ़िए...सट्टा बाजार BJP को नहीं दे रहा 319 सीट, Congress का 50 के अंदर सिमटने का दावा
आस्था का सम्मान है, लेकिन दोनों में संबंध नहीं
उन्होंने कहा कि आज लोग इसे समुद्र मंथन और वासुकी नाग से जोड़कर देख रहे हैं। आस्था का सम्मान है लेकिन प्रामाणिकता के आधार पर दोनों में संबंध नहीं है। सिर्फ नाम रखने के लिए वासुकी नाम दिया गया है। फॉसिल्स की स्टडी करने में 6 महीने का समय लगा है। यह सांप अन्य सांपों से अलग है।
ये खबर भी पढ़िए...क्या बदलेगा संविधान? बहस के बीच गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा खुलासा
2005 में खोजे गए थे जीवाश्म
IIT रुड़की के वैज्ञानिकों ने कहा है कि गुजरात में पाए गए जीवाश्म अब तक के सबसे बड़े सांप के अवशेष हैं, जो टी-रेक्स से भी लंबा था। 'वासुकी इंडिकस' की खोज 2005 में आईआईटी-रुड़की के वैज्ञानिकों ने की थी और हाल ही में इसकी पुष्टि एक विशालकाय सांप के रूप में हुई है। वैज्ञानिकों की इस खोज ने न सिर्फ प्राणियों के इवोल्यूशन का पता चला है बल्कि प्राचीन सरीसृपों से भारत के ताल्लुक का भी पता चलता है।
ये खबर भी पढ़िए...सूर्य के रौद्र रूप से सहमे लोग, MP के 19 शहरों में पारा 40 डिग्री पार
कहां रहता था वासुकी नाग ?
आईआईटी-रुड़की में जीवाश्म विज्ञान में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता और अध्ययन के मुख्य लेखक देबजीत दत्ता ने द गार्जियन को बताया कि बड़े आकार को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि वासुकी एक धीमी गति से हमला करने वाला शिकारी था, जो एनाकोंडा और अजगर की तरह अपने शिकार को लपेटकर अपने वश में कर लेता था। यह सांप उस समय तट के पास एक दलदली जगह में रहता था, जहां का तापमान आज की तुलना में अधिक था।
जीवाश्म विज्ञानी का दावा
आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर और जीवाश्म विज्ञानी सुनील बाजपेयी ने कहा कि वासुकी के शरीर की अनुमानित लंबाई टाइटनोबोआ (titanoboa ) के बराबर है। जो लगभग 60 मिलियन वर्ष पहले कोलंबिया में रहता था। इसका वजन एक टन से अधिक था। उन्होंने कहा कि यह जीवाश्म कच्छ के पनान्ध्रो गांव में उस क्षेत्र में पाया गया था, जो आज सूखा और धूल भरा है। लेकिन जब वासुकी पृथ्वी पर घूमता था तो यह दलदली था। जीवाश्म में अस्थिखंड तो मिले, लेकिन सिर नहीं मिला है।