भारत की मशहूर स्नैक्स निर्माता कंपनी हल्दीराम ( haldiram ) का परिवार अब एक साथ काम करने की दिशा में बढ़ रहा है। हल्दीराम के दिल्ली और नागपुर यूनिट्स अब एक हो जाएंगे, जिससे कंपनी के कार्यक्षेत्र में और भी सुधार होगा। यह कदम हल्दीराम के व्यवसाय को और मजबूती देने के लिए लिया गया है। हल्दीराम की यह साझेदारी कंपनी के कारोबार को एक नई दिशा देगी।
टेमासेक का हल्दीराम में निवेश
सिंगापुर की प्राइवेट इक्विटी फर्म टेमासेक अब हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने जा रही है। हल्दीराम में लगभग दस सालों से विभिन्न बड़ी कंपनियों की दिलचस्पी रही थी, और अब टेमासेक इस ब्रांड का हिस्सा बनेगी। टेमासेक करीब 10% हिस्सेदारी खरीदने की योजना बना रही है, जिससे हल्दीराम का वैल्यूएशन 10 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा, अग्रवाल परिवार अपनी 9% हिस्सेदारी टेमासेक को बेचने के लिए तैयार हो गया है।
नई कंपनी का गठन
इस विलय के बाद एक नई कंपनी बनेगी, जिसका नाम हल्दीराम फूड्स एंड स्नैक्स होगा। इस कंपनी के अंतर्गत स्नैक्स, मिठाई, रिटेल स्टोर और विभिन्न खाने-पीने की वस्तुएं शामिल होंगी। इससे हल्दीराम के ब्रांड की ताकत और बाजार में पकड़ मजबूत होगी। हल्दीराम का व्यवसाय अब एक मंच पर संचालित होगा, जिससे उसे दुनिया भर में अपने उत्पादों की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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आईपीओ की संभावना
विलय के बाद, हल्दीराम के पास आईपीओ (Initial Public Offering) लाने का भी अवसर है। इसके तहत, कंपनी अपनी हिस्सेदारी आम निवेशकों को बेचेगी। इस बारे में सूत्रों का कहना है कि कंपनी जल्द ही अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए आधिकारिक घोषणा कर सकती है। यह कदम हल्दीराम के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है।
नाश्ते की दुकान से 84,000 करोड़ रुपये तक का सफर
हल्दीराम की शुरुआत 1937 में गंगा बिशन अग्रवाल ने की थी। आज यह कंपनी 84,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। कंपनी की दो प्रमुख इकाइयाँ, हल्दीराम फूड्स और हल्दीराम स्नैक्स, का मर्जर होने वाला है। कंपनी की वर्तमान वैल्यू 84,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। हल्दीराम इन दिनों सिंगापुर की सरकारी निवेश कंपनी टेमासेक होल्डिंग्स को अपनी 9 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहा है। दोनों कंपनियों के मर्जर के बाद नई इकाई "हल्दीराम फूड्स एंड स्नैक्स" बनेगी।
हल्दीराम की शुरुआत बीकानेर, राजस्थान से हुई थी, जहां गंगा बिशन अग्रवाल ने 1937 में एक छोटी सी नाश्ते की दुकान खोली थी। वे अपनी दुकान में भुजिया और स्नैक्स बेचने लगे। उनका भुजिया इतना चटपटा और क्रिस्पी था कि उसे लोग पसंद करने लगे। 1941 तक हल्दीराम का नाम बीकानेर और आस-पास के इलाकों में मशहूर हो चुका था, और उन्हें कोलकाता और अन्य शहरों से बड़े ऑर्डर मिलने लगे।
1950 में कोलकाता में व्यवसाय की शुरुआत
1950 के दशक में गंगा बिशन अग्रवाल कोलकाता पहुंचे और "हल्दीराम भुजियावाला" ब्रांड की शुरुआत की। 1960 के दशक में गंगा बिशन बीकानेर लौट आए, और कोलकाता का कारोबार उनके बेटे रामेश्वरलाल और सत्यनारायण के हाथों में चला गया। इस दौरान हल्दीराम के उत्पादों में भुजिया के अलावा अन्य कई स्नैक्स भी शामिल हो गए।
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कानूनी विवाद और ब्रांड का विभाजन
1990 के दशक में हल्दीराम परिवार के बीच कानूनी विवाद हुआ, जिसके बाद दिल्ली के हल्दीराम ने अपना नाम बदलकर "हल्दीराम्स" रख लिया। 2010 में यह मामला सुलझा और हल्दीराम का बिजनेस विभाजित हो गया। दिल्ली का कारोबार मनोहरलाल और मधुसूदन ने संभाला, जबकि नागपुर का कारोबार शिव किशन अग्रवाल के पास गया। कोलकाता का कारोबार रामेश्वरलाल के बेटे प्रभु अग्रवाल को सौंपा गया।
अंतरराष्ट्रीय विस्तार और सफलता
1990 के दशक में हल्दीराम के उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंचने लगे। आज हल्दीराम अमेरिका, कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व सहित कई देशों में उपलब्ध है, जहां भारतीय प्रवासी रहते हैं। हल्दीराम अब 100 से ज्यादा उत्पाद बनाता है और बिना बड़े विज्ञापनों के, अपने उत्पादों की गुणवत्ता और मुंह से मुंह प्रचार के कारण सफलता प्राप्त करता है। वित्त वर्ष 2024 में हल्दीराम ने दिल्ली और नागपुर के संयुक्त रूप से 12,800 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया।