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केंद्र सरकार ने देश में बढ़ती गैर-संक्रामक (NCDs) बीमारियों को रोकने और समय पर उनके इलाज के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य अभियान शुरू किया है। इस विशेष जांच अभियान के तहत 30 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 89 करोड़ लोगों की मुफ्त ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कैंसर (मुंह, स्तन, और सर्वाइकल कैंसर) की जांच की जाएगी। यह अभियान 20 फरवरी से शुरू हो चुका है और 31 मार्च 2025 तक चलेगा। इसमें सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, मोबाइल मेडिकल यूनिट्स और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर जांच की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में गैर-संक्रामक रोगों के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस अभियान का उद्देश्य इन बीमारियों की समय पर पहचान करना और उचित इलाज प्रदान करना है। सरकार इस पहल को आयुष्मान भारत योजना के तहत लागू कर रही है, ताकि भारत को स्वस्थ और रोगमुक्त बनाया जा सके।
बीमारियों की समय पर पहचान और सही इलाज
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि गैर-संक्रामक बीमारियां भारत में मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक बन चुकी हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 66 प्रतिशत मौतें इन बीमारियों की वजह से हो रही हैं। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियां 30 साल से अधिक उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे यह एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है।
सरकार ने इस अभियान के तहत मुख्य रूप से तीन प्रकार के कैंसर – मुंह का कैंसर, स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर की जांच करने का निर्णय लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर इन बीमारियों का पता चलने से उचित इलाज और रोकथाम की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे गंभीर जटिलताओं और मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
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घर-घर जाकर होगी जांच
सरकार ने इस जांच अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की विशेष टीमें गठित की हैं। ये टीमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जाकर लोगों की जांच करेंगी। इसके अलावा, आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और मोबाइल मेडिकल यूनिट्स पर भी जांच की सुविधा उपलब्ध होगी।
इस जांच अभियान में ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर टेस्ट के लिए ग्लूकोमीटर और बीपी मॉनिटरिंग मशीनों का उपयोग किया जाएगा। सरकार ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जरूरी दवाएं, मेडिकल उपकरण और जांच किट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस सुविधा का लाभ उठा सकें।
भारत में गैर-संक्रामक रोगों का बढ़ता खतरा
गैर-संक्रामक रोग अब भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं और स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव डाल रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 45 प्रतिशत मौतें हृदय रोगों से, 22 प्रतिशत मौतें कैंसर से और 12 प्रतिशत मौतें श्वसन संबंधी बीमारियों से होती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, गलत खान-पान, तनाव, शारीरिक गतिविधि की कमी और बढ़ता प्रदूषण इन बीमारियों के मुख्य कारणों में से हैं। इसलिए, नियमित जांच और समय पर इलाज ही इस संकट को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है।
राज्यों को निर्देश: हर दिन मंत्रालय को भेजनी होगी रिपोर्ट
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे इस अभियान को प्रभावी ढंग से लागू करें और हर दिन शाम छह बजे तक रिपोर्ट मंत्रालय को भेजें। यह डेटा देशभर में गैर-संक्रामक रोगों की व्यापकता और स्वास्थ्य सेवाओं की प्रभावशीलता का आकलन करने में मदद करेगा।
इसके अलावा, राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया है कि वे इस अभियान के प्रचार-प्रसार के लिए डिजिटल और पारंपरिक मीडिया का उपयोग करें, ताकि अधिक से अधिक लोग जांच के लिए आगे आएं।
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गैर-संक्रामक रोगों से बचाव के लिए सरकार का नया कदम
सरकार का यह अभियान आयुष्मान भारत योजना के तहत रोगों की रोकथाम और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने की दिशा में एक जरूरी पहल है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि भारत को गैर-संक्रामक रोग मुक्त और एक स्वस्थ देश बनाया जाए।
सरकार का मानना है कि नियमित जांच, स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और व्यायाम से इन बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। इसलिए सरकार जागरूकता अभियान भी चलाएगी, जिससे लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर अधिक सतर्क और जागरूक हो सकें।
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