PM नरेंद्र मोदी सरकार के 11 सालः लिए कई बड़े फैसले, किसी में सफलता और कई में मिली विफलताएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले 11 वर्षों में कई ऐतिहासिक फैसले लिए, जिनका असर राजनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और समाज पर पड़ा। इन फैसलों ने भारत की छवि को मजबूत किया, जबकि कुछ आलोचनाएं भी हुईं।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले 11 वर्षों में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए, जिनका असर न केवल राजनीति पर पड़ा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और समाज के हर क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव डाला। इन वर्षों में कई सकारात्मक कदम उठाए गए, जिनसे भारत की छवि को मजबूती मिली, लेकिन साथ ही कुछ आलोचनाएं भी हुईं। आइए, प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में उठाए गए प्रमुख फैसलों और उनके प्रभावों पर एक नजर डालते हैं।

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 आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की ताकत-  ऑपरेशन सिंदूर

 प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में भारतीय सेना को आतंकवाद के खिलाफ खुली छूट दी गई। "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। यह कदम अप्रत्याशित था और इसने भारत की सैन्य क्षमता को विश्वभर में दर्शाया। मोदी सरकार ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ कोई भी कदम उठाने में संकोच नहीं करेगा, चाहे वह पाकिस्तान के अंदर हो।

आत्मनिर्भर भारत-  मेक इन इंडिया और रक्षा क्षेत्र में सुधार

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 प्रधानमंत्री मोदी ने मेक इन इंडिया अभियान को सिर्फ एक नारे के रूप में नहीं, बल्कि एक नीति के रूप में लागू किया। इसके तहत भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल की। कोरोना महामारी के दौरान इस नीति को और भी बढ़ावा मिला, जब भारत ने कई रक्षा उपकरणों का निर्माण शुरू किया, जिनकी पहले आयात पर निर्भरता थी। इस तरह भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए।

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कश्मीर में ऐतिहासिक बदलाव - अनुच्छेद 370 का उन्मूलन

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 प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया, जो राज्य को विशेष दर्जा देता था। इस निर्णय ने भारत को एकजुट किया और कश्मीर में विकास की नई राह खोली। अब कश्मीर घाटी अन्य भारतीय राज्यों की तरह विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है और वहां का रेल संपर्क भी सुधर चुका है।

डिजिटल इंडिया और वित्तीय समावेशन

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने डिजिटल इंडियाऔर जनधन योजना जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए। 2014 से अब तक, भारत में 51 करोड़ से अधिक जनधन खाते खोले गए, जिससे गरीब वर्ग को बैंकिंग सुविधाएं प्राप्त हुईं। डिजिटल भुगतान प्रणाली को सुदृढ़ किया गया, जिससे देशवासियों को कैशलेस ट्रांजैक्शन की सुविधा मिली।

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बुनियादी ढांचे का विकास

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में बुनियादी ढांचे का बहुत विकास हुआ है। जहां 2004 में भारत के हाईवे की लंबाई 65,500 किलोमीटर थी, वहीं 2024 तक यह बढक़र 1,46,145 किलोमीटर हो गई है। भारतीय रेलवे का नेटवर्क भी बढ़ा है और देश भर में एयरपोर्ट की संख्या में भी वृद्धि हुई है।

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मुस्लिम समाज के सुधारात्मक फैसले

प्रधानमंत्री मोदी ने मुस्लिम समाज में कई सुधारात्मक फैसले लिए। तीन तलाक को अपराध घोषित किया गया, जिससे मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिला। इसके अलावा, कश्मीर में कई सुधारात्मक कदम उठाए गए, जिससे वहां के नागरिकों का जीवन बेहतर हुआ।

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विफलताएं 

आर्थिक मंदी और बेरोजगारी

नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में कुछ चुनौतियां भी सामने आईं। कोरोना महामारी के बाद आर्थिक संकट ने देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया। नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों ने व्यापारियों और छोटे व्यवसायों के लिए कठिनाई पैदा की। इसके परिणामस्वरूप बेरोजग़ारी में वृद्धि हुई और आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा।

महामारी प्रबंधन में कमी

कोरोना महामारी के दौरान, लॉकडाउन के कारण प्रवासी श्रमिकों की स्थिति खराब हो गई थी। लाखों लोग पैदल घर लौटने के लिए मजबूर हो गए थे। इसके अलावा, वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत धीमी रही और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी संकटग्रस्त रही, जिससे सरकार की आलोचना हुई।

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कृषि कानून विवाद

कृषि कानूनों को लेकर किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि, सरकार ने इन कानूनों को वापस ले लिया, लेकिन किसानों के बीच इस मुद्दे को लेकर असंतोष बना रहा। सरकार ने कृषि सुधारों की कोशिश की, लेकिन इनकी अधूरी जानकारी और किसानों की परेशानियों को अनदेखा करने के कारण यह मुद्दा विवादों में घिर गया।

न्यायपालिका और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे

कई आलोचनाएं इस बात को लेकर भी की गईं कि सरकार ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित किया। साथ ही, भारत-चीन सीमा विवाद, खासकर 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए। चीन के खिलाफ ठोस कार्रवाई न करने और स्थिति को नियंत्रण में न लाने की वजह से सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा।

सामाजिक-आर्थिक विकास | सफलता 

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