HOLI पर भद्राकाल का साया - 11 बजे के पहले नहीं हो सकेगा दहन, जानें क्यों

रंगों से भरा होली का त्योहार इस बार 24 मार्च को पड़ेगा। 25 मार्च को होली खेली जाएगी। होलिका दहन के दिन 24 मार्च को भद्राकाल सुबह 9.55 से शुरू होकर रात 11.13 बजे तक रहेगा। यानी 24 मार्च को भद्रा के बाद ही होलिका दहन होगा। 

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Sandeep Kumar
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होली 24 मार्च को

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BHOPAL. रंगों से भरा होली ( HOLI ) का त्योहार इस बार 24 मार्च को पड़ेगा। 25 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी। होलिका दहन के दिन 24 मार्च को भद्राकाल ( Bhadrakal ) सुबह 9 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर रात 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भद्रा के बाद रात 11.13 बजे के बाद ही होली जलेगी। इसके चलते लोगों को देर रात तक होलिका दहन ( Holika Dahan ) के लिए इंतजार करना पड़ेगा। दहन के लिए महज 1.20 घंटे का शुभ मुहूर्त बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक 25 मार्च को होली खेली जाएगी। बता दें कि होली पर सौ साल बाद चंद्रग्रहण का योग बन रहा है। हालांकि ग्रहण के भारत में दृश्यमान होने से इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। फाल्गुन पूर्णिमा ( phalgun purnima ) की शुरुआत 24 मार्च को सुबह 8.13 बजे से होगी। अगले दिन 25 मार्च को सुबह 11.44 बजे तक रहेगी। 

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होलिका दहन भद्राकाल के बाद 

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक होलिका दहन भद्रा के बाद रात 11.13 से मध्य रात्रि 12.33 के मध्य होगा। होलिका दहन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7.34 बजे से अगले दिन सुबह 6.19 बजे तक है। रवि योग सुबह 6.20 बजे से सुबह 7.34 बजे तक रहेगा, वहीं शहरों के हिसाब से ये समय कुछ मिनट आगे-पीछे हो सकता है, इसलिए रात 11 बजे बाद होली जलानी चाहिए। इस बार होली पर चंद्र ग्रहण भी है, लेकिन भारत में नहीं दिखने के कारण इसका महत्व नहीं रहेगा।

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होलिका दहन के पूर्व ये जान लें

होलिका दहन मुहूर्त समय में जल, मौली, फूल, गुलाल तथा ढाल व खिलौनों की कम से कम चार मालाएं अलग से घर से लाकर सुरक्षित रख लेना चाहिए। इनमें से एक माला पितरों की, दूसरी हनुमान जी की, तीसरी शीतला माता की तथा चौथी अपने परिवार के नाम की होती है। कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटना चाहिए। फिर लोटे का शुद्ध जल और पूजन की अन्य सभी वस्तुओं को प्रसन्नचित्त होकर एक-एक करके होलिका को समर्पित करें।

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ऐसे करें होलिका का पूजन

रोली, अक्षत व फूल आदि को भी पूजन में लगातार प्रयोग करें। गंध-पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन किया जाता है। पूजन के बाद जल से अर्ध्य दें। होलिका दहन होने के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग- गेहूं, चना, जौ भी अर्पित करें। होली की पवित्र भस्म को घर में रखें। रात में गुड़ के बने पकवान प्रसाद गणेश जी को भेंट कर खाने चाहिए। 

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देश के लिए आर्थिक तरक्की वाली होली

होलिका दहन के सितारों को देखते हुए ज्योतिषियों का कहना है कि ये होली देश के लिए आर्थिक और भौतिक उन्नति लेकर आ रही है। देश में विकास योजनाओं पर तेजी से काम होने की संभावना है। इंडस्ट्रियल सेक्टर और स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ेंगे।
ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में भी बड़ी डील होने के आसार हैं। हालांकि, कई धार्मिक मामलों में विवाद और विरोध होने की आशंका है। राजनीति से जुड़े बड़े बदलाव होंगे। राजनेताओं में विवाद और टकराव बढ़ेंगे। देश में बीमारियां भी बढ़ सकती हैं।

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