BHOPAL. होली का त्योहार पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल होलिका दहन 24 मार्च को होगा और रंग वाली होली 25 मार्च ( holi 2024 ) को खेली जाएगी। पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च की सुबह से शुरू होगी और समापन 25 मार्च 2023 को दोपहर के समय होगा। होली को लेकर पूरे देश में ही कई तरह की परंपराएं और टोटके प्रचलित हैं। इनमें कई तो बड़े रोचक हैं और कई पर अक्सर ही विवाद जैसी स्थिति रहती है। द सूत्र किसी भी आडंबर या अवैज्ञानिक टोटके का समर्थन नहीं करता है। यह जानकारी सिर्फ होली का त्यौहार मनाने जा रहे पाठकों के लिए दी जा रही है। ( Holi Ke Totke Or Upay )
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होलिका दहन की रोमांचक कथा
होली पास आते ही हर तरफ खुशी की धूम मच जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं होलिका दहन के पीछे एक रोमांचक कहानी छिपी है और ज्योतिष का गहरा संबंध ? आइए, दिलचस्प कथा के साथ इस त्योहार के पीछे के विज्ञान और ज्योतिष रहस्य को जानें.....
संक्षिप्त पौराणिक कथा: भक्त प्रह्लाद और अहंकारी
हिरण्यकश्यप कथा ऐसे शुरू होती है कि एक समय दानवराज हिरण्यकश्यप नाम का राजा था। उसे अपने बल का इतना अभिमान हो गया था कि वो खुद को ही भगवान मान बैठा था। वो चाहता था कि सभी लोग उसकी ही पूजा करें। परन्तु हिरण्यकश्यप का बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। ये बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं थी। उसने कई बार प्रह्लाद को मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार विष्णु भगवान की कृपा से प्रह्लाद बच गया।
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होलिका के जलने का कारण बना उसका ही वरदान
क्रोध और ईर्ष्या से आग बबूला हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद लेने का फैसला किया। होलिका को एक वरदान मिला था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। योजना के तहत होलिका, प्रह्लाद को गोद में लेकर चली गई। लेकिन कहते हैं कि भगवान की लीला अप्रमेय है। भक्ति की शक्ति के आगे कोई नहीं टिक सकता। होलिका के जलने का कारण उसका ही वरदान बना। असल में वरदान में ये शर्त थी कि आग में बैठते समय होलिका को अकेले रहना था। लेकिन प्रह्लाद को गोद में लेकर वो नियम तोड़ बैठी और खुद आग में जलकर राख हो गई, वहीं प्रह्लाद बाल बांका भी नहीं हुआ।
होलिका दहन: बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न
यही कारण है कि होलिका दहन के दिन लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं। आग जलाकर होलिका की बुराई को जलाते हैं और अगले दिन रंग खेलकर खुशियां मनाते हैं। ज्योतिष का रहस्य प्रकाश, ज्ञान और आध्यात्मिकता का संगम ज्योतिष के नजरिए से भी होलिका दहन का पर्व महत्वपूर्ण है। इस दिन चंद्रमा सिंह राशि में विराजमान होता है। सिंह राशि के स्वामी सूर्य को प्रकाश और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। चंद्रमा भावनाओं का कारक है, वहीं सूर्य भी मीन गुरु की राशि में रहता है जो ज्ञान के कारक है। इस तरह होलिका दहन का पर्व ज्योतिषीय रूप से ज्ञान, प्रकाश, भावनाओं और आध्यात्मिकता के संगम का प्रतीक है। यह जरूर है कि इस साल होली चंद्र ग्रहण के साथ है और सूर्य भी राहु से युति कर रहा है, इस विषय पर चर्चा बाद में करेंगे।
होलिका दहन के रात के टोटके
- नीम की 10 पत्तियां, छह लौंग, और थोड़ा सा कपूर का टुकड़ा ले लें। अपने ऊपर से सात बार उतारकर अग्नि में डाल दें। ऐसा करने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
- सुपारी, नारियल, काला तिल, और उड़द लेकर लड़का या लड़की के सिर पर सात बार घुमाएं। इसके बाद उसे आग में डाल दें। ऐसा करने पर शादी में आने वाली अड़चन खत्म हो जाती है।
- अपने सिर के ऊपर से एक सूखा नारियल, काला तिल, और काली सरसों को सिर पर सात बार फेर कर होलिका की आग में डाल दें। इसके बाद उसकी सात बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से जीवन से जुड़े सारे भय दूर हो जाते हैं।
- जीवन में आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए होलिका दहन के दिन सूखे नारियल के गोले में बूरा भर लें और उसे होलिका में अर्पित कर दें। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, ऐसा करने से जीवन में आ रही समस्याएं होलिका के साथ ही भस्म हो जाती हैं।
- होलिका दहन के दिन होलिका को पान, नारियल, सुपारी इत्यादि का भोग अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से नौकरी प्राप्त करने में सहायता मिलती है और जीवन में उन्नति के नए अवसर मिलते हैं।