BHOPAL. होली, भारत का एक बहुत पुराना त्योहार है। इसे होलिका ( Holi ) या होलाका नाम से भी जाना जाता है। इस साल होलिका दहन 24 मार्च को होगा और रंग वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी। पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च की सुबह से शुरू होगी और समापन 25 मार्च 2023 को दोपहर के समय होगा। इधर पर्यावरण बचाने के लिए भोपाल ने बड़ी पहल की है। भोपाल की गोकाष्ठ संवर्धन एवं पर्यावरण संरक्षण समिति ने फैसला लिया है कि होलिका दहन के लिए आमजन को सुगमता से गोकाष्ठ उपलब्ध हो सके, इसके लिए पूरे शहर में 42 स्थानों पर गोकाष्ठ विक्रय काउंटर लगाए जाएंगे। गोकाष्ठ 10 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाएगा। यह गोकाष्ठ 25 और 30 किलो के कपड़े के बैग में उपलब्ध रहेगी।
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इन स्थानों पर आसानी से मिलेगी गोकाष्ठ
कालिका मंदिर भदभदा रोड, श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर, भोजपुर क्लब, नर्मदा इंडस्ट्रीज गोविंदपुरा, माता मंदिर के सामने, शुभम नर्सरी बावड़िया, राम मंदिर हमीदिया रोड, कोतवाली रोड, मानस भवन, मिलन स्वीट्स एंड केटर्स बरखेड़ा, शुभम नर्सरी, सी-21 मॉल के सामने, मानस उद्यान गुफा मंदिर, नेहरू नगर, करोंद, मंदाकिनी ग्राउंड कोलार, शिव मंदिर सुभाष नगर, मंडीदीप, बस स्टैंड बैरसिया, गंगेश्वर मंदिर साकेत नगर, महात्मा गांधी चौराहा भेल, अप्सरा टॉकीज, पिपलानी पेट्रोल पंप, अशोका गार्डन, मंगलवारा, एमपीईबी ग्राउंड मिनाल रेसीडेंसी, शुभम नर्सरी पटेल नगर, राज स्वीट्स कमला नगर, फायर ब्रिगेड आफिस के पास बैरागढ, नगर निगम आफिस के पास गांधी नगर, एन एम मार्बल लाल घाटी,10 नंबर मार्केट, गोविंद पूरा थाने के सामने, पीपुल्स मॉल के सामने, एमपी नगर, आदित्य एवेन्यू एयरपोर्ट रोड, जंबूरी मैदान में गोकाष्ठ ( Gokastha ) आसानी से मिल जाएगी।
यहां से खरीदी गोकाष्ठ
जानकारी के मुताबिक गोकाष्ठ, 18 गोशालाओं से इकट्ठा की गई है। इस गोकाष्ठ को शहरवासियों को उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए विक्रय सेंटर तक पहुंचने के बाद इसकी कीमत लगभग 15 रु प्रति किलो आ रही है। इसे 10 रु प्रतिकिलो पर बेचा जाएगा।
एक फोन पर आपके घर भी पहुंच जाएगी गोकाष्ठ
आप गोकाष्ठ को सीधा अपने घर भी मंगवा सकते है। गोकाष्ठ समिति घर पहुंचाने की सेवा भी उपलब्ध करवा रही है। लेकिन इसमें ट्रांसपोर्ट फीस अलग से होगी। इस पर्यावरण हितैषी अभियान से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए मम्तेश शर्मा 9977890859, 9300068899, अजय दुबे 9826489749, डॉ. योगेंद्र सक्सेना 8817677175, अरुण चौधरी 9425011312, प्रमोद चुग 9425008240 से संपर्क किया जा सकता है।
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गोकाष्ठ क्या है?
गोकाष्ठ गाय के गोबर से बने ईंधन का एक प्रकार है। इसे सूखे गोबर के उपले या गोबर के केक के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत, नेपाल और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में खाना पकाने और घरों को गर्म करने के लिए उपयोग किया जाता है।
गोकाष्ठ कैसे बनाया जाता है?
गोकाष्ठ बनाने के लिए, गाय के गोबर को पहले इकट्ठा किया जाता है। फिर इसे गीली घास, पुआल या अन्य जैविक सामग्री के साथ मिलाया जाता है। इस मिश्रण को आमतौर पर हाथ से गोल या चौकोर आकार में ढाला जाता है। इसके बाद इसे धूप में सुखाया जाता है, जिससे यह ईंधन के रूप में उपयोग के लिए तैयार हो जाता है।
गोकाष्ठ के उपयोग:
- खाना पकाने: गोकाष्ठ का उपयोग पारंपरिक चूल्हे और गैस स्टोव पर खाना पकाने के लिए किया जाता है। यह लकड़ी या कोयले की तुलना में अधिक किफायती और पर्यावरण के अनुकूल है।
- घरों को गर्म करना: गोकाष्ठ का उपयोग सर्दियों में घरों को गर्म करने के लिए भी किया जाता है। यह एक कुशल और सस्ता तरीका है।
- खाद: गोकाष्ठ का उपयोग खाद बनाने के लिए भी किया जाता है। यह मिट्टी की उर्वरता और जल धारण क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
गोकाष्ठ के लाभ:
- पर्यावरण के अनुकूल: गोकाष्ठ एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। यह लकड़ी या कोयले की तुलना में कम प्रदूषण पैदा करता है।
- किफायती: गोकाष्ठ लकड़ी या कोयले की तुलना में अधिक किफायती है। यह गरीब ग्रामीण समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत है।
- स्वच्छ: गोकाष्ठ का उपयोग खाना पकाने के लिए एक स्वच्छ तरीका है। यह लकड़ी या कोयले की तुलना में कम धुआं और राख पैदा करता है।