How To Identify Deep Fake Videos
BHOPAL. लोकसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग हो गई है। इसी बीच सोशल मीडिया पर लोकसभा चुनाव को लेकर ऐसे कई डीप फेक वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसको लेकर बड़े से बड़े नेता और सेलिब्रिटीज चिंता में हैं। पिछले दिनों ही रणवीर, कृति और आमिर खान का चुनाव प्रचार करते हुए डीप फेक वीडियो वायरल हुआ था। हम आपको बता रहे हैं कि डीप फेक वीडियो क्या हैं, कैसे बनते हैं और इसकी पहचान कैसे करें।
क्या है डीप फेक ?
डीप फेक फोटो और वीडियो AI एप के इस्तेमाल से बनाया जाता है। इसमें आपका चेहरा किसी और की वीडियो में लगा देते हैं। या फिर आपकी आवाज बदल दी जाती है। डीप फेक में किसी और की लिप्सिंक भी लगाकर एडिट कर दिया जाता है, जो बिल्कुल असली लगता है। डीप फेक वीडियो बनाने के लिए AI और मशीन लर्निंग की भी मदद ली जाती है और इसके कई एप भी होते हैं।
कैसे बनाते हैं डीप फेक ?
डीप फेक बनाने के लिए ऐसे कई एप हैं जो प्ले स्टोर और एप स्टोर पर आसानी से मिल जाते हैं। किसी-किसी में एडिट का सब्सक्रिप्शन होता है। डीप फेक बनाने वाले इन्हीं की मदद से डीप फेक बनाते हैं।
कैसे करें डीप फेक की पहचान ?
सोशल मीडिया पर कई डीप फेक वीडियो वायरल हो रहे हैं। इसमें प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के भी वीडियो चुनाव के टाइम चर्चा में आए हैं। इनके साथ सेलिब्रिटीज की बात करें तो आलिया भट्ट, रणवीर सिंह, रश्मिका मंदाना, कृति सेनन, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली का भी डीप फेक वायरल हुआ है। इस तरह के फोटो-वीडियोज को पहचानना आसान तो नहीं है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं है। इन्हें पहचानने के लिए आपको वीडियो को बहुत ही बारीकी से देखना होगा। खासतौर पर चेहरे के एक्सप्रेशन, आंखों की मूवमेंट और बॉडी स्टाइल पर ध्यान देना होगा। इसके अलावा बॉडी कलर से भी आप इन्हें पहचान सकते हैं। आमतौर पर ऐसे वीडियो में चेहरे और बॉडी का कलर मैच नहीं करता है। इसके अलावा लिप सिंकिंग से भी इस तरह के वीडियोज की पहचान की जा सकती है। ऐसे वीडियोज को आप लोकेशन और एक्स्ट्रा ब्राइटनेस से भी पहचान सकते हैं।
कोई आपका डीप फेक बनाए तो क्या करें ?
अगर कोई आपका डीप फेक का गलत इस्तेमाल करता है तो उस पर आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। Consumer Protection Laws इस लॉ का इस्तेमाल धोखाधड़ी या गलत बयानी के मामलों में किया जाता है। जब किसी डीपफेक वीडियो में बिना सहमति के कॉपीराइट सामग्री शामिल होती है, तो कॉपीराइट अधिनियम, 1957 लागू होता है। कॉपीराइट धारकों के पास ऐसे उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करने का कानूनी अधिकार है।
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साइबर क्राइम में करें रिपोर्ट
ऐसे मामलों में जहां हैकिंग या डेटा चोरी जैसे अवैध तरीकों से डीप फेक वीडियो तैयार किए जाते हैं, वहां आप साइबर क्राइम में रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं । यदि गलत जानकारी फैलाकर किसी व्यक्ति की इमेज को नुकसान पहुंचाने के इरादे से कोई डीप फेक वीडियो बनाया गया है, तो आप इसके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर सकते हैं। गोपनीयता कानून से डीप फेक बनाने वाले को 3 साल तक की कैद हो सकती है और उस पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
Lok Sabha Elections | डीप फेक वीडियो कैसे पहचानें | डीप फेक वीडियो पहचानने का तरीका