भारत में हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पति और पत्नी का रिश्ता पवित्र माना जाता है। शास्त्रों में ऐसे कई कार्य बताए गए हैं, जिन्हें किसी पति को अपनी पत्नी के साथ नहीं करना चाहिए। गरुड़ पुराण, मनुस्मृति और महाभारत के अनुसार कुछ विशेष कार्य हैं जो दांपत्य जीवन को नकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं। आइए जानते हैं उन पांच कार्यों के बारे में जो किसी पति को अपनी पत्नी के साथ नहीं करने चाहिए।
शारीरिक और मानसिक कष्ट
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, दांपत्य जीवन में शारीरिक और मानसिक कष्ट देने से पति का जीवन दुर्बल और दुखपूर्ण हो जाता है। गरुड़ पुराण के अध्याय 7 के अनुसार, अगर कोई पति अपनी पत्नी को शारीरिक या मानसिक कष्ट देता है तो उसे मृत्यु के बाद 'रौरव नरक' में भेजा जाता है, जहां उसे लगातार सजा दी जाती है। इस नरक में पापी आत्मा को भयानक सर्पों से दंश मिलता है, जो उसे लगातार पीड़ा पहुंचाते हैं। इसके अलावा, मनुस्मृति के अनुसार, पत्नी को कष्ट देने वाला व्यक्ति अगले जन्म में भी कठिनाइयों का सामना करता है। आइए जानते हैं उन पांच कार्यों के बारे में जो किसी पति को अपनी पत्नी के साथ नहीं करने चाहिए।
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पत्नी को धोखा देना
धार्मिक शास्त्रों में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर पति अपनी पत्नी को धोखा देता है और पराई स्त्री से संबंध बनाता है, तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। गरुड़ पुराण के अध्याय 10 के श्लोक में कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति को मृत्यु के बाद 'कुंभीनिपाक नरक' में डाला जाता है। इस नरक में उस व्यक्ति को भयंकर यातनाएं दी जाती हैं, जिसमें खौलते हुए तेल में डालकर उसे सजा दी जाती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि पत्नी के प्रति वफादारी का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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अपमानित करना
महाभारत के अनुशासन पर्व के अध्याय 88 में यह उल्लेख किया गया है कि जो भी पति अपनी पत्नी को अपमानित करता है, उसे अगले जन्म में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मनुस्मृति में भी यह कहा गया है कि नारी का अपमान करने वाले व्यक्ति का जीवन नरक के समान होता है। इसलिए, किसी भी स्थिति में पत्नी का सम्मान करना और उसे अपमानित न करना बेहद आवश्यक है।
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भावनाओं की अनदेखी करना
एक पति को अपनी पत्नी की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और उसकी भावनाओं की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। जो पति अपनी पत्नी के भावनाओं के प्रति उदासीन रहते हैं या उसे सम्मान नहीं देते, उनके जीवन में आध्यात्मिक पतन होता है। इसके अलावा, जब पति अपनी पत्नी से जबरदस्ती कुछ काम करवाता है, तो उसका भौतिक जीवन भी दुखों से भरा हो जाता है। इस तरह के कर्म से व्यक्ति को गंभीर पाप लगता है और उसका जीवन असंतुलित हो जाता है।
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अधिकारों का हनन
पत्नी के अधिकारों का हनन करने वाले व्यक्ति का जीवन कष्टमय हो जाता है। यह भी धार्मिक मान्यता के अनुसार निंदनीय कार्य है। जो पति अपनी पत्नी के अधिकारों का उल्लंघन करता है, उसे कई जन्मों तक दरिद्रता और नरक का सामना करना पड़ता है। पत्नी के अधिकारों का सम्मान करना, उसका आभार और उसकी स्थिति को समझना एक स्वस्थ और सुखी दांपत्य जीवन के लिए आवश्यक है।